गृह मंत्रालय ने सीबीआई को निलंबित आईएएस अफसर राजेंद्र कुमार के खिलाफ मामला चलाने की इजाजत दे दी है (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रधान सचिव और निलंबित आईएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार के खिलाफ मामला चलाने की इजाजत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीबीआई को दे दी है. उन पर एक निजी कंपनी को दिल्ली सरकार का ठेका देने में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप है. राजेंद्र कुमार का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन नामंजूर कर दिया गया है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "सीबीआई ने इजाजत मांगी थी, हमने दे दी है. साथ ही उनकी वीआरएस की दरख्वास्त भी नामंजूर कर दी गई है." उनके मुताबिक वीआरएस को इसीलिए नामंजूर कर दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है.
राजेंद्र कुमार ने केंद्र सरकार से वीआरएस मांगी थी, साथ ही एक पत्र भी लिखा था कि सीबीआई ने उन पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाला था. ऐसा करने पर उन्हें छोड़ने की बात भी सीबीआई ने उनसे कही थी. पत्र में राजेंद्र कुमार ने अपने संघर्ष और अलग-अलग पदों पर मिली सफलता की कहानी बयां की है. लेटर में कुमार ने लिखा है इस सिस्टम पर उन्हें बहुत विश्वास था, क्योंकि एक गरीब परिवार से आने वाला शख्स भी सिविल सर्विसेज एग्जाम में सफलता पाकर आईएएस बन गया था, लेकिन आज हालात बदल गए हैं.
कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के झगड़े में उन्हें मोहरा बनाया गया. उन्होंने लिखा है कि उन्हें 2008 में देश का सबसे प्रतिष्ठित पीएम मेडल मिला और पब्लिक सर्विसेज में शानदार योगदान के लिए प्राइम मिनिस्टर अवॉर्ड दिया गया, लेकिन अब उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. सीबीआई के जरिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और झूठे केसों में फंसाया जा रहा है.
राजेंद्र कुमार 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन पर निजी कंपनी एंडेवर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को दिल्ली सरकार का कुल 9.5 करोड़ रुपये का ठेका देने में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप है. कुमार को भ्रष्टाचार के आरोप में बीते साल चार जुलाई को गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन उसके बाद 26 जुलाई को उन्हें जमानत मिल गई थी.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "सीबीआई ने इजाजत मांगी थी, हमने दे दी है. साथ ही उनकी वीआरएस की दरख्वास्त भी नामंजूर कर दी गई है." उनके मुताबिक वीआरएस को इसीलिए नामंजूर कर दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है.
राजेंद्र कुमार ने केंद्र सरकार से वीआरएस मांगी थी, साथ ही एक पत्र भी लिखा था कि सीबीआई ने उन पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाला था. ऐसा करने पर उन्हें छोड़ने की बात भी सीबीआई ने उनसे कही थी. पत्र में राजेंद्र कुमार ने अपने संघर्ष और अलग-अलग पदों पर मिली सफलता की कहानी बयां की है. लेटर में कुमार ने लिखा है इस सिस्टम पर उन्हें बहुत विश्वास था, क्योंकि एक गरीब परिवार से आने वाला शख्स भी सिविल सर्विसेज एग्जाम में सफलता पाकर आईएएस बन गया था, लेकिन आज हालात बदल गए हैं.
कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के झगड़े में उन्हें मोहरा बनाया गया. उन्होंने लिखा है कि उन्हें 2008 में देश का सबसे प्रतिष्ठित पीएम मेडल मिला और पब्लिक सर्विसेज में शानदार योगदान के लिए प्राइम मिनिस्टर अवॉर्ड दिया गया, लेकिन अब उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. सीबीआई के जरिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और झूठे केसों में फंसाया जा रहा है.
राजेंद्र कुमार 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन पर निजी कंपनी एंडेवर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को दिल्ली सरकार का कुल 9.5 करोड़ रुपये का ठेका देने में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप है. कुमार को भ्रष्टाचार के आरोप में बीते साल चार जुलाई को गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन उसके बाद 26 जुलाई को उन्हें जमानत मिल गई थी.
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