- भारत ने महिला विश्व कप के फाइनल में 298 रन बनाकर दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर खिताब जीता
- शेफाली वर्मा ने 87 रन और दीप्ति शर्मा ने 58 रन बनाकर बल्लेबाजी में अहम योगदान दिया
- दीप्ति शर्मा ने गेंदबाजी में पांच विकेट लिए जबकि शेफाली ने दो विकेट लेकर ऑलराउंड प्रदर्शन किया
[हिमांशु जोशी] महिला विश्व कप के फाइनल में भारत ने इतिहास रच दिया. पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 298 रन का विशाल स्कोर बनाया. शेफाली वर्मा ने शानदार 87 रन और दीप्ति शर्मा ने अहम 58 रन जोड़े. जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 246 रन पर सिमट गई और भारत ने यह मैच 52 रन से जीतकर पहली बार महिला विश्व कप का खिताब अपने नाम किया. गेंदबाजी में भी दीप्ति शर्मा ने कमाल दिखाया और 5 विकेट झटके, जबकि शेफाली ने 2 विकेट लेकर ऑलराउंड प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया.
महिला क्रिकेट का नया दौर शुरू
यह सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के स्वर्ण युग की शुरुआत है. अब तक पुरुष टीम के मुकाबले महिला क्रिकेट को कम आंका जाता था, लेकिन इस जीत ने पूरी तस्वीर बदल दी है. अब बीसीसीआई और राज्य संघ महिला क्रिकेट में अधिक निवेश करेंगे, घरेलू टूर्नामेंट्स को विस्तार मिलेगा और नए प्रायोजक सामने आएंगे.

Photo Credit: @BCCIWomen/X
बीसीसीआई के अनुबंध ढांचे में अभी भी बड़ा अंतर है. जहां पुरुष क्रिकेटरों को सालाना अनुबंध में अधिकतम 7 करोड़ रुपये मिलते हैं, वहीं महिला खिलाड़ियों की शीर्ष श्रेणी 50 लाख रुपये पर सीमित है. यह जीत शायद उस असमानता को तोड़ने का पहला कदम बने.
लड़कियों के लिए नई प्रेरणा
यह जीत सिर्फ मैदान की नहीं, बल्कि मानसिकता की जीत है. अब गांव-शहर की लड़कियां क्रिकेट को करियर के रूप में देखेंगी. माता-पिता भी बेटियों को खेलों में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. 'लड़की होकर क्रिकेट' जैसी पुरानी सोच को यह जीत हमेशा के लिए बदल देगी. शेफाली, दीप्ति और हरमनप्रीत जैसी खिलाड़ी अब हर लड़की की प्रेरणा बनेंगी. कोहली, गिल की तरह ही अब हमारी लड़कियां भी नए हेयरस्टाइल, टैटू के साथ युवाओं के लिए नई सुपरस्टार और रोल मॉडल होंगी.

समानता और आत्मविश्वास की मिसाल
भारत की यह जीत लैंगिक समानता की दिशा में बड़ा कदम है. इससे महिला खिलाड़ियों की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी, फिल्मों और मीडिया में उनकी ज्यादा कहानियां आएंगी और समाज महिलाओं के नेतृत्व को नए दृष्टिकोण से देखेगा. यह ट्रॉफी सिर्फ एक खिताब नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, समान अवसर और नए भारत की नारी शक्ति का उदाहरण बन जाएगी.
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