चहल ने बेंगलुरू टी20 में इंग्लैंड की बल्लेबाजी की कमर तोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई (फाइल फोटो)
टी20 क्रिकेट में टीम इंडिया के लिए बेंगलुरू में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन (25 रन देकर 6 विकेट) कर यजुवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) इस समय मीडिया की सुर्खियां बटोर चुके हैं. हरियाणा का 26 साल के इस युवा को अपने कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) का इस कदर विश्वास हासिल है कि जब भी विकेट की जरूरत होती है वे गेंद चहल को सौंप देते हैं. दरअसल, आईपीएल में चहल उसी रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (आरसीबी) टीम की से खेलते हैं, जिसके विराट कोहली कप्तान है. ऐसे में स्वाभाविक है कि पावर प्ले में सटीक गेंदबाजी करते हुए विकेट निकालने के चहल के टेलेंट से कोहली वाकिफ हो चुके थे. इंग्लैंड के खिलाफ जादुई गेंदबाजी से चहल ने टी20 टीम में कुछ समय के लिए अपना स्थान पक्का कर लिया है. अब उनका अगला लक्ष्य वनडे और टेस्ट टीम में नियमित स्थान बनाने पर होगा.
जींद के छरहरे यजुवेंद्र ने अब तक तीन वनडे और 6 टी20 मैचों में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया है. हालांकि इस छोटे करियर के बाद उनके बारे में कोई भी बात करना जल्दबाजी होगी लेकिन यह जरूर है कि अपने गेंदबाजी औसत और इकोनॉमी रेट से उन्होंने शातिर गेंदबाज के रूप में पहचान जरूर बना ली है. वनडे में जहां चहल का गेंदबाजी औसत12.83 और इकोनॉमी रेट 3.20 का है,वहीं टी20 में उन्होंने 15.81के औसत से 11 विकेट लिए हैं और उनका इकॉनोमी रेट 7.25 रन प्रति ओवर का है.
चेस में करियर बनाना चाहते थे यजुवेंद्र चहल
मजे की बात यह है कि चहल बचपन में क्रिकेट के बजाय किसी और खेल में अपना करियर बनाना चाहते थे. इस खेल में कोई स्पांसर न मिलने के कारण ही उन्होंने क्रिकेट के खेल की ओर रुख किया. यह अच्छा ही रहा कि शतरंज में प्रायोजक नहीं मिलने के कारण चहल क्रिकेट के खेल के प्रति समर्पित हो गए और टीम इंडिया को एक अच्छा गेंदबाज मिल गया. शतरंज का खेल भले ही चहल से छूट गया लेकिन उनकी गेंदबाजी के चेस के किसी शातिर की तरह की योजना की ही झलक मिलती है.
इस खेल में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं
चहल शतरंज में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. यही नहीं, अंडर-12 में नेशनल चेस चैंपियन भी रह चुके हैं. चेस की एशियन यूथ चैंपियनशिप में भी वे हिस्सा ले चुके हैं. चेस के प्रति चहल के समर्पण को उस समय झटका लगा जब उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए धनराशि की जरूरत पड़ी और कोई स्पांसर नहीं मिला. ऐसे में चहल ने अपने दूसरे प्यार यानी क्रिकेट के खेल की ओर रुख किया और कम समय में ही लेग स्पिन गेंदबाजी में महारत हासिल कर ली.
रन रोकने के बजाय विकेट लेने पर होता है ध्यान
दाएं हाथ के लेग स्पिनर चहल की खासियत यह है कि उनका जोर हमेशा डिफेसिंग गेंदबाजी के बजाय विकेट लेने पर होता है. इस कोशिश में वे गेंद को फ्लाइट देकर बल्लेबाजों को ललचाते हैं और फिर उन्हें 'छकाकर' पेवेलियन लौटने पर मजबूर कर देते हैं. चहल ने अपने टी20 और वनडे करियर की शुरुआत जिम्बाब्वे के खिलाफ की थी. अपने पहले वनडे में उन्होंने 27 रन देकर एक विकेट लिया था जबकि शुरुआती टी20 मैच में उन्होंने चार ओवर में 38 रन खर्च करके एक विकेट लिया था. बेंगलुरू टी20 के प्रदर्शन के बाद चहल से क्रिकेटप्रेमियों की अपेक्षाएं काफी बढ़ गई हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन अपेक्षाओं पर किस हद तक खरे उतरते हैं...
जींद के छरहरे यजुवेंद्र ने अब तक तीन वनडे और 6 टी20 मैचों में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया है. हालांकि इस छोटे करियर के बाद उनके बारे में कोई भी बात करना जल्दबाजी होगी लेकिन यह जरूर है कि अपने गेंदबाजी औसत और इकोनॉमी रेट से उन्होंने शातिर गेंदबाज के रूप में पहचान जरूर बना ली है. वनडे में जहां चहल का गेंदबाजी औसत12.83 और इकोनॉमी रेट 3.20 का है,वहीं टी20 में उन्होंने 15.81के औसत से 11 विकेट लिए हैं और उनका इकॉनोमी रेट 7.25 रन प्रति ओवर का है.
चेस में करियर बनाना चाहते थे यजुवेंद्र चहल
मजे की बात यह है कि चहल बचपन में क्रिकेट के बजाय किसी और खेल में अपना करियर बनाना चाहते थे. इस खेल में कोई स्पांसर न मिलने के कारण ही उन्होंने क्रिकेट के खेल की ओर रुख किया. यह अच्छा ही रहा कि शतरंज में प्रायोजक नहीं मिलने के कारण चहल क्रिकेट के खेल के प्रति समर्पित हो गए और टीम इंडिया को एक अच्छा गेंदबाज मिल गया. शतरंज का खेल भले ही चहल से छूट गया लेकिन उनकी गेंदबाजी के चेस के किसी शातिर की तरह की योजना की ही झलक मिलती है.
इस खेल में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं
चहल शतरंज में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. यही नहीं, अंडर-12 में नेशनल चेस चैंपियन भी रह चुके हैं. चेस की एशियन यूथ चैंपियनशिप में भी वे हिस्सा ले चुके हैं. चेस के प्रति चहल के समर्पण को उस समय झटका लगा जब उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए धनराशि की जरूरत पड़ी और कोई स्पांसर नहीं मिला. ऐसे में चहल ने अपने दूसरे प्यार यानी क्रिकेट के खेल की ओर रुख किया और कम समय में ही लेग स्पिन गेंदबाजी में महारत हासिल कर ली.
रन रोकने के बजाय विकेट लेने पर होता है ध्यान
दाएं हाथ के लेग स्पिनर चहल की खासियत यह है कि उनका जोर हमेशा डिफेसिंग गेंदबाजी के बजाय विकेट लेने पर होता है. इस कोशिश में वे गेंद को फ्लाइट देकर बल्लेबाजों को ललचाते हैं और फिर उन्हें 'छकाकर' पेवेलियन लौटने पर मजबूर कर देते हैं. चहल ने अपने टी20 और वनडे करियर की शुरुआत जिम्बाब्वे के खिलाफ की थी. अपने पहले वनडे में उन्होंने 27 रन देकर एक विकेट लिया था जबकि शुरुआती टी20 मैच में उन्होंने चार ओवर में 38 रन खर्च करके एक विकेट लिया था. बेंगलुरू टी20 के प्रदर्शन के बाद चहल से क्रिकेटप्रेमियों की अपेक्षाएं काफी बढ़ गई हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन अपेक्षाओं पर किस हद तक खरे उतरते हैं...
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