मोहम्मद कैफ टीम इंडिया के टॉप फील्डर रहे हैं (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स पर प्रतिबंध लगने के बाद आईपीएल 2016 में दो नई टीमें शामिल की गईं थी. एक थी एमएस धोनी की कप्तानी वाली राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स और दूसरी थी सुरेश रैना की कप्तानी वाली गुजरात लॉयन्स. रैना ने धोनी की कप्तानी में लंबे समय तक खेलने के बाद अपनी कप्तानी वाले पहले ही साल में शानदार नेतृत्व किया और उनकी टीम गुजरात अंकतालिका में 14 में से 9 जीत और 5 हार के साथ नंबर वन पर रही थी. हालांकि वह खिताब नहीं जीत पाई. अब गुजरात ने 2017 के लिए भी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. अब टीम ने एक ऐसे खिलाड़ी को सहायक कोच की जिम्मेदारी दी है, जिसने टीम इंडिया को 13 जुलाई, 2002 को इंग्लैंड की धरती पर युवराज सिंह के साथ मिलकर नेटवेस्ट ट्रॉफी दिलाई थी... नीचे पढ़िए इस खिलाड़ी के क्रिकेट सफर और उपलब्धियों के बारे में...
गुजरात लॉयन्स टीम प्रबंधन ने टीम की फील्डिंग और बल्लेबाजी को संवारने के लिए भारत के मध्यक्रम के पूर्व बल्लेबाज और बेहतरीन फील्डर रहे मोहम्मद कैफ को 5 अप्रैल से शुरू हो रहे आईपीएल सीजन 10 के लिए टीम का सहायक कोच बना दिया है.
आईपीएल टीम गुजरात लॉयन्स की मालिक इंटेक्स टेक्नालॉजीस के निदेशक केशव बंसल ने कहा, ‘कैफ के पास काफी अनुभव है और खेल की गहराई से जानकारी भी है. उनका अनुभव देखते हुए हमें लगा कि उन्हें बड़ी भूमिका दी जानी चाहिए. मुझे यकीन है कि उनके मार्गदर्शन में टीम का प्रदर्शन बेहतर होगा.’
सुरेश रैना के साथ उत्तरप्रदेश से रणजी खेल चुके कैफ ने इसे एक बेहतरीन अवसर बताते हुए कहा, ‘मुझे नई भूमिका का इंतजार है. यह सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा और ब्रावो जैसे बेहतरीन खिलाड़ियों के साथ काम करने का सुनहरा मौका है.’
कैफ-युवी का वह कमाल
भारतीय क्रिकेट इतिहास में विदेशी धरती पर मिली सबसे शानदार जीतों में शुमार की जाने वाली नैटवेस्ट ट्रॉफी-2002 अगर किसी ने दिलाई, तो वह थे मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह. इंग्लैंड की ओर से फाइनल में रखे गए 325 के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत बेहद शानदार रही थी, लेकिन 15 ओवर में बिना किसी नुकसान के 106 रन बना लेने वाली टीम इंडिया के 24वें ओवर तक 146 रन पर 5 विकेट गिर गए थे. सचिन तेंदुलकर के आउट होने के बाद नंबर 7 पर मोहम्मद कैफ उतरे और साथ थे युवराज सिंह. दोनों ही युवा और नए थे. सचिन के जाते ही सबने मान लिया कि अब मैच हाथ से गया और टीम एक और फाइनल हारने जा रही है, लेकिन कैफ और युवी ने कुछ और ही ठान रखा था और अंत में टीम जीत गई.
हथियार यूं ही नहीं डाल देने का दृष्टिकोण...
मोहम्मद कैफ ने इस मैच को लेकर कहा था कि उन्हें कभी हथियार नहीं डालने के दृष्टिकोण से संबल मिला और हां जीत के प्रति उनमें भूख भी थी. उनके अनुसार युवराज के साथ उन्होंने काफी क्रिकेट खेला था और एक-दूसरे को समझते थे. इससे भी उन्हें मदद मिली.
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कैफ ने पूरे किए 10,000 रन...
छत्तीसगढ़ की कप्तानी करते हुए कैफ ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 10,000 रन पूरे किए हैं. कैफ ने अपने प्रथम श्रेणी करियर में 182 मैच खेलकर करीब 40 के औसत से 10,093 रन बनाए हैं, जिनमें 19 शतक और 58 फिफ्टी शामिल हैं. वर्ष 2002 में टीम इंडिया के लिए खेलना शुरू करने वाले कैफ ने बल्लेबाज के साथ-साथ एक शानदार फील्डर के रूप में भी नाम कमाया, लेकिन उनका अंतरराष्ट्रीय करियर ज्यादा दिन नहीं चल पाया. 2006 वह आखिरी साल था, जब वह टीम इंडिया के लिए खेले, लेकिन उसके बाद वह टीम में कभी चुने नहीं गए. कैफ ने भारत के लिए 13 टेस्ट और 125 एक-दिवसीय मैच खेले हैं. कैफ ने राजनीति में भी किस्मत आजमाई, लेकिन सफल नहीं हो पाए. 2014 में उन्होंने उत्तरप्रदेश की फूलपुर सीट से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए.
गुजरात लॉयन्स टीम प्रबंधन ने टीम की फील्डिंग और बल्लेबाजी को संवारने के लिए भारत के मध्यक्रम के पूर्व बल्लेबाज और बेहतरीन फील्डर रहे मोहम्मद कैफ को 5 अप्रैल से शुरू हो रहे आईपीएल सीजन 10 के लिए टीम का सहायक कोच बना दिया है.
आईपीएल टीम गुजरात लॉयन्स की मालिक इंटेक्स टेक्नालॉजीस के निदेशक केशव बंसल ने कहा, ‘कैफ के पास काफी अनुभव है और खेल की गहराई से जानकारी भी है. उनका अनुभव देखते हुए हमें लगा कि उन्हें बड़ी भूमिका दी जानी चाहिए. मुझे यकीन है कि उनके मार्गदर्शन में टीम का प्रदर्शन बेहतर होगा.’
सुरेश रैना के साथ उत्तरप्रदेश से रणजी खेल चुके कैफ ने इसे एक बेहतरीन अवसर बताते हुए कहा, ‘मुझे नई भूमिका का इंतजार है. यह सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा और ब्रावो जैसे बेहतरीन खिलाड़ियों के साथ काम करने का सुनहरा मौका है.’
कैफ-युवी का वह कमाल
भारतीय क्रिकेट इतिहास में विदेशी धरती पर मिली सबसे शानदार जीतों में शुमार की जाने वाली नैटवेस्ट ट्रॉफी-2002 अगर किसी ने दिलाई, तो वह थे मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह. इंग्लैंड की ओर से फाइनल में रखे गए 325 के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत बेहद शानदार रही थी, लेकिन 15 ओवर में बिना किसी नुकसान के 106 रन बना लेने वाली टीम इंडिया के 24वें ओवर तक 146 रन पर 5 विकेट गिर गए थे. सचिन तेंदुलकर के आउट होने के बाद नंबर 7 पर मोहम्मद कैफ उतरे और साथ थे युवराज सिंह. दोनों ही युवा और नए थे. सचिन के जाते ही सबने मान लिया कि अब मैच हाथ से गया और टीम एक और फाइनल हारने जा रही है, लेकिन कैफ और युवी ने कुछ और ही ठान रखा था और अंत में टीम जीत गई.
हथियार यूं ही नहीं डाल देने का दृष्टिकोण...
मोहम्मद कैफ ने इस मैच को लेकर कहा था कि उन्हें कभी हथियार नहीं डालने के दृष्टिकोण से संबल मिला और हां जीत के प्रति उनमें भूख भी थी. उनके अनुसार युवराज के साथ उन्होंने काफी क्रिकेट खेला था और एक-दूसरे को समझते थे. इससे भी उन्हें मदद मिली.
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कैफ ने पूरे किए 10,000 रन...
छत्तीसगढ़ की कप्तानी करते हुए कैफ ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 10,000 रन पूरे किए हैं. कैफ ने अपने प्रथम श्रेणी करियर में 182 मैच खेलकर करीब 40 के औसत से 10,093 रन बनाए हैं, जिनमें 19 शतक और 58 फिफ्टी शामिल हैं. वर्ष 2002 में टीम इंडिया के लिए खेलना शुरू करने वाले कैफ ने बल्लेबाज के साथ-साथ एक शानदार फील्डर के रूप में भी नाम कमाया, लेकिन उनका अंतरराष्ट्रीय करियर ज्यादा दिन नहीं चल पाया. 2006 वह आखिरी साल था, जब वह टीम इंडिया के लिए खेले, लेकिन उसके बाद वह टीम में कभी चुने नहीं गए. कैफ ने भारत के लिए 13 टेस्ट और 125 एक-दिवसीय मैच खेले हैं. कैफ ने राजनीति में भी किस्मत आजमाई, लेकिन सफल नहीं हो पाए. 2014 में उन्होंने उत्तरप्रदेश की फूलपुर सीट से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए.
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