England vs India 2nd ODI: इंग्लैंड टीम का मैदान पर अपने गेंदबाजों के इस्तेमाल को लेकर बॉलकनी से सीक्रेड कोड का इस्तेमाल करने के मामले ने फिर से तूल पकड़ लिया है. भारत के खिलाफ लॉर्ड्स में वीरवार को खेले गए दूसरे वनडे के दौरान टीम के एनालिस्ट को बॉलकनी से सीक्रेट कोड का इशारा करते देखा गया. यह इशारा इस बात को लेकर था कि अगला ओवर किस गेंदबाज से कराया जाना चाहिए. बहरहाल, इस "कोडिंग" पर इंग्लिश मीडिया ने सवाल खड़े कर दिए हैं. और करीब दो साल पहले का पूर्व कप्तान माइकल वॉन का ए ट्वीट भी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने टीम को सीक्रेट कोडिंग के इस्तेमाल के लिए लताड़ लगायी थी. मैच के दौरान इंग्लैंड टीम के एनालिस्ट नॉथन लेमन ने मैच के दौरान बॉलकनी से नंबर दिखाया कि उनके हिसाब से किस गेंदबाज को बॉलिंग करनी चाहिए. इंग्लैंड टीम की इस हरकत को मेजबान एक अग्रणी अखबार ने चीटिंग बताते हुए मामले में क्रिकेट के नियमों के संरक्षक मेरिलोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) से मामले में दखल देने को कहा है.
इस नीति का वीरवार को इंग्लैंड को फायदा मिला, जब मेजबान टीम ने भारत को दूसरे वनडे में 100 रन से पीट दिया. इस मुकाबले में रेसी टॉपले ने 24 रन देकर छह विकेट लिए और सीरीज में 1-1 की बराबरी बी हासिल कर ली. बाद में बल्लेबाजी करते हुए भारत को मुकाबले में 100 रन से हार झेलनी पड़ी. लेकिन इंग्लैंड की जीत पर मेजबान मीडिया ने सवाल खड़ा करते हुए कप्तानी पर बटलर की पकड़ को लेकर भी सवाल किया है.
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आईसीसी को बॉलकनी से इस संवाद सिस्टम पर कोई आपत्ति नहीं है, जिसे इंग्लिश टीम दक्षिण अफ्रीका में साल 2020 से अमल में ला रही है, लेकिन इस पर मेजबान मीडिया ही सवाल उठा रहा है कि क्या यह खेल भावना के अंतर्गत आता है. एक बहस कप्तान बटलर की खेल पर पकड़ को लेकर भी भी है क्योंकि मैदान पर हालात विशेष को ध्यान में रखते हुए गेंदबाज के चयन की जिम्मेदारी कप्तान बटलर की है, लेकिन जब बाहर एनालिस्ट के आंकलन से फैसले लिए जा रहे हैं, तो बटलर को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं.
जहां तक सीक्रेट कोड की बात हैर, तो अक्षर और अंक को मिलाकर तैयार किया जाता है. और खेल के हिसाब से बॉलकनी में बैठा एनालिस्ट इसे मैदान की ओर दिखा देता है. इसका जनक एनालिस्ट नॉथन लेमक को ही माना जाता है, जिन्होंने इस रणनीति की शुरुआत की. इंग्लैंड के एक अग्रणी अखबर के पत्रकार लिखते हैं, "यह खेल में धोखाधड़ी. मेरी राय में एमसीसी को इस पर रोक लगानी चाहिए. यह इस सिद्धांत का उल्लंघन करता है कि खिलाड़ी को मैदान पर खुद के लिए सोचना चाहिए. क्रिकेट जो है, वह रग्बी, फुटबॉल या कोई अमेरिकी खेल नहीं है जहां मैदान के बाहर कोच ही किंग माना जाता है"
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