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ब्लॉग राइटर
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गांधीजी का मेरी दादी एमएस सुब्बुलक्ष्मी से 'वह' अनुरोध...
मेरी दादी की यादों में सबसे अधिक बसा है उनका घर पर गर्मी की लंबी दोपहर में गायकी का रियाज करना। ऐसा कोई भी दिन नहीं बीता जब उन्होंने रियाज न की हो। वे तानपूरे को कसतीं और उनकी खूबसूरत उंगलियां उसके तारों पर थिरकने लगतीं।