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    आखिर ये कैसी ईद, पूरे साल तो मिले सिर्फ गम

    ईद का त्यौहार खुशी का त्यौहार होता है. 30 दिन रमज़ान के महीने में रोज़े रखने के बाद ईद का दिन आता है. इस ईद को मीठी ईद भी कहते हैं. लेकिन इस बार की ईद सबके लिए फीकी ही है... ना इस बार कोई भी मुसलमान मस्ज़िद में जाकर इबादत कर सका, ना कोई जुमे या ईद की नमाज़ पढ़ सका. ना ही ईद की तैयारी कर सका.

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    लॉकडाउन की वजह से नहीं उठ सका हज़रत अली का ताबूत

    इस साल हज़रत अली का ताबूत नहीं उठाया गया, जबकि ताबूत कई सदियों से उठाया जाता रहा है. ताबूत हज़रत अली अस के नाम का उठता है. हज़रत अली की शहादत 21 रमज़ान को हुई थी. लॉकडाउन की वजह से लोग घर में ही ग़म मना रहें हैं. 

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