मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल (Kamal Nath Cabinet) में शामिल न किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी (Congress) में बगावत शुरू हो गई है. मंत्रिमंडल के गठन के बाद नाराज़गी का सिलसिला घटने के बजाए बढ़ने लगा है. कांग्रेस के कई नेताओं के साथ 3 निर्दलीय सपा, बसपा के विधायक भी सरकार से नाराज़ बताए जा रहे हैं. उधर कैबिनेट गठन के दो दिन बाद भी अब तक मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो सका है. मंत्रियों के विभागों को लेकर कांग्रेस में गुटबाजी की खबरें सामने आने लगी हैं. मुरैना में कांग्रेस विधायक ऐदल सिंह कंसाना (Aidal Singh Kansana) के समर्थक उन्हें शामिल नहीं किए जाने की वजह से पार्टी से नाराज चल रहे हैं. मुरैना में उनके समर्थकों का गुस्सा सड़क और गाड़ियों पर निकला. उनके समर्थन में सुमावली विधानसभा के ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मदन शर्मा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
मध्यप्रदेश में कमलनाथ (Kamal Nath) सरकार का आज विस्तार किया गया (Kamal Nath Cabinet Expands). आज 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. 17 दिसंबर को अकेले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ ली थी. कांग्रेस हाईकमान से चर्चा के बाद मंत्रियों की लिस्ट फ़ाइनल हुई और आज राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें शपथ दिलाई. मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन का पूरा ख्याल रखा गया है. साथ ही तीनों बड़े नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री कमल नाथ के 11, दिग्विजय सिंह के 9, ज्योतिरादित्य सिंधिया के 7 और अरुण यादव के एक मंत्री शामिल किए गए हैं. मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश भी कई गई है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से रायशुमारी के बाद राजस्थान में मंत्रिमंडल के नाम तय किए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल के गठन के लिए आयोजित बैठकों में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस के पर्यवेक्षक के सी वेणुगोपाल और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी भी शामिल थे. साथ ही बताया गया कि अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य के मंत्रिमंडल गठन में ज्यादातर नए चेहरों को शामिल करने पर ध्यान केन्द्रित किया. मंत्रिमंडल में पुराने और ऐसे नए लोगों को शामिल किया गया है, जिनके पास पूर्व में मंत्री पद का कोई अनुभव नहीं है.
सोमवार को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सीएम के शपथ ग्रहण समारोह में स्टालिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही रहे. साल 2019 लोकसभा चुनाव से पहले यह विपक्षी दलों की ताकत प्रदर्शन का एक मंच भी बना गया.
मध्य प्रदेश में सीएम कमलनाथ के शपथग्रहण की ये तस्वीर इतिहास में दर्ज हो गई. चुनाव प्रचार के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ज्योतिरादित्य सिंधिया को 'महाराज' कहकर तंज कसते थे और कमलनाथ पर भी जमकर निशाना साधा.
वसुंधरा राजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की बहन हैं. माधवराव सिंधिया की साल 2001 में प्लेन हादसे में मौत हो गई थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया को गले लगाए वसुंधरा राजे की तस्वीर काफी वायरल हो रही है. तस्वीर में देखा जा सकता है कि वसुंधरा ने ज्योतिरादित्य को गले लगा रखा है और स्नेह से उनकी आंखें बंद हैं.
साल 2018 में उनके पास कुल 8 करोड़ की संपत्ति थी, लेकिन अब यह बढ़कर 23 करोड़ के पार पहुंच गई है. जानकारी के मुताबिक, बघेल के पास कुल 230,526,171 रुपये की संपत्ति है. इनके पास 14,667,061 रुपये की चल संपत्ति और 215,859,110 रुपये की अचल संपत्ति है.
पहली बार 1 दिसबंर 1998 में वो मुख्यमंत्री बने थे और पांच साल तक कांग्रेस सरकार चलाई थी. साल 2008 में कांग्रेस पार्टी राजस्थान में फिर से सत्ता में आई और गहलोत दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे.
मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ में भी किसानों का कर्ज माफ किया गया है. शपथ लेने के कुछ घंटों के भीतर ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने कर्जमाफी (Loan Waiver) की घोषणा कर दी. भूपेश बघेल ने पहली कैबिनेट बैठक में तीन अहम फैसले लिए. इनमें 16 लाख 65 हजार से अधिक किसानों का 6100 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया. दूसरे फैसले में धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपये प्रति क्विंटल करने की बात कही गई. वहीं झीरम हमले के शहीदों को न्याय दिलाने के लिए SIT का गठन किया गया.
कमलनाथ (Kamal Nath) मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री बन गए हैं. पद और गोपनियता की शपथ (Kamal Nath Oath Ceremony) लेने के तुरंत बाद ही उन्होंने अपने वादे के मुताबिक किसानों के कर्ज़ माफ (Loan Waiver) करने वाली फाइल पर दस्तखत कर दिए. बता दें कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेने से पहले ही कहा कि था कि वे 10 दिनों से पहले ही किसानों का कर्ज माफ करेंगे. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दस्तखत के बाद किसानों के दो लाख रुपये तक के ऋण माफ हो गए. मध्यप्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजोरा ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा कर्जमाफी की फाइल पर हस्ताक्षर करने के बाद इस संबंध में आदेश जारी कर दिये गए हैं. उन्होंने कहा, 'सोमवार शाम जारी आदेश में कहा गया है कि मध्यप्रदेश शासन एतद् द्वारा निर्णय लिया जाता है कि मध्यप्रदेश राज्य में स्थित राष्ट्रीयकृत तथा सहकारी बैंकों में अल्पकालीन फसल ऋण के रूप में शासन द्वारा पात्रता अनुसार पात्र पाए गए किसानों के दो लाख रुपये की सीमा तक का 31 मार्च 2018 की स्थिति में बकाया फसल ऋण माफ किया जाता है.'
कमलनाथ (Kamal Nath) मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री बन गए हैं. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कमलनाथ को पद और गोपनियता की शपथ (Kamal Nath Oath Ceremony) दिलाई. कमलनाथ के शपथग्रहण समारोह के दौरान एक दिलचस्प तस्वीर भी देखने को मिली.
शपथग्रहण के बाद अपने पहले प्रेस कांफ्रेंस में कमलनाथ ने सरकारी बैंकों पर तंज कसते हुए कहा कि बैंकों को उद्योगपतियों का कर्ज माफ करने में कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन किसानों का कर्ज माफ करने के समय उनके पेट में दर्द होने लगता है.
भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री बन गए हैं. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) ने उन्हें पद और गोपनियता की शपथ दिलाई. भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel Oath Ceremony) राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले रविवार को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रमुख भूपेश बघेल ने विधायक दल का नेता चुने जाने पर राजभवन जाकर सरकार गठन का दावा पेश किया था. राज्यपाल के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल के सचिव सुरेंद्र कुमार जायसवाल ने बघेल का दावापत्र ग्रहण किया. उसके बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 17 दिसंबर को भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था.
कमलनाथ (Kamal Nath) मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री बन गए हैं. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कमलनाथ को पद और गोपनियता की शपथ (Kamal Nath Oath Ceremony) दिलाई. शपथ लेने के तुरंत बाद ही अपने वादे के मुताबिक मध्यप्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजधानी भोपाल में किसानों के कर्ज़ माफ (Loan Waiver) करने वाली फाइल पर दस्तखत कर दिए. बता दें कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेने से पहले ही कहा कि था कि वे 10 दिनों से पहले ही किसानों का कर्ज माफ करेंगे.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेता कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. भव्य समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस समारोह में कांग्रेस के प्रमुख नेता सहित विपक्षी दलों के नेता भी मौजूद थे. शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एच.डी.देवगोड़ा, शरद यादव, राकांपा के शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे
गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं. राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले वह चौथे नेता हैं. गहलोत से पहले भैंरो सिंह शेखावत और हरिदेव जोशी तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे. हालांकि मोहन लाल सुखाड़िया सबसे अधिक चार बार इस पद पर रहे. गहलोत 1998 में पहली बार और 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. इंदिरा गांधी के समय से राजनीति में सक्रिय गहलोत केंद्र में मंत्री भी रहे हैं. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कई अहम पदों पर रह चुके गहलोत तीन बार कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं. गहलोत ने राजनीति के अलावा 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी शरणार्थियों के शिविरों में काम किया और कई सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहे.
उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होने के पीछे ममता बनर्जी और मायावती की जायज वजह हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने खुद मायावती से बात की थी. उनकी कोई नस खींच गई है. उन्होंने बताया कि वे अपने डॉक्टर से बात करेंगी. ऐसा नहीं है कि वे किसी तरह के संकेत दे रही हैं, उनकी यह वास्तविक स्वास्थ्य समस्या है.'
कमलनाथ ने कहा, 'यह लोकसभा चुनाव के बाद का मुद्दा है. अगर सभी नेता मिलकर एक नाम तय करते हैं तो वही आखिरी नाम होगा. इसके बारे में अभी कुछ भी कहना 'जल्दबाजी' होगी. आने वाले एक या दो महीने में चीजें और ज्यादा साफ हो जाएंगी'
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के शपथ ग्रहण के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस राज्य की जनता की सेवा करने की अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाएगी.
राजस्थान में अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है उनके साथ सचिन पायलट ने भी शपथ लिया है. उनको उप मुख्यमंत्री बनाया गया है. राजस्थान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीच का रास्ता निकालते हुए तय किया है कि अशोक गहलोत को सीएम और सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया. हालांकि दोनों के समर्थकों के बीच जमकर नारेबाजी हुई. सचिन पायलट के एक समर्थक ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा है कि अगर पायलट को सीएम नहीं बनाया गया तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. आपको बता दें कि सचिन पायलट ने उमर अब्दुल्ला की बेटी सारा से प्रेम विवाह किया था. बताया जाता है कि सारा ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर सचिन से शादी की थी. दोनों की मुलाकात विदेश में हुई थी. सचिन पायलट ने इस बार टोंक विधनासभा सीट से चुनाव जीता है. चार साल पहले राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष का पद संभाला था. उनके सामने पस्त पड़ी कांग्रेस में फिर से जान फूंकने की बड़ी चुनौती थी. पायलट ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को दो सीटें जिताकर अपने तेवर दिखा दिए.