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उपराष्ट्रपति चुनाव: टी शिवा, अन्नादुरई, तुषार गांधी से होते हुए सुदर्शन रेड्डी तक कैसे पहुंचा INDIA गठबंधन? इनसाइड स्टोरी

डीएमके नेता स्टालिन ने कहा कि एनडीए के तमिलनाडु से उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार देने के बाद इंडिया गठबंधन का भी यहीं से उम्मीदवार देना एक अच्छा राजनीतिक संदेश नहीं होगा.

उपराष्ट्रपति चुनाव: टी शिवा, अन्नादुरई, तुषार गांधी से होते हुए सुदर्शन रेड्डी तक कैसे पहुंचा INDIA गठबंधन? इनसाइड स्टोरी
  • इंडिया गठबंधन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए शुरुआत में डीएमके सांसद टी शिवा को उम्मीदवार बनाया है
  • डीएमके नेता स्टालिन ने तमिलनाडु से उम्मीदवार देने को राजनीतिक दृष्टि से उचित नहीं माना था
  • सपा और आरजेडी जैसे दल उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारने के पक्ष में थे
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नई दिल्ली:

देश के अगले उपराष्ट्रपति के लिए सी पी राधाकृष्णन के एनडीए द्वारा उम्मीदवारी के बाद इंडिया गठबंधन ने अपने उम्मीदवार के लिए रणनीति बनानी शुरू की..सबसे पहला नाम राज्यसभा के डीएमके सांसद टी शिवा का आया जिसकी वकालत वो खुद कर रहे थे..एक नाम का सुझाव दिल्ली में तमिलनाडु से ही मलईसामी अन्नादुरैइ का आया जो कोयंबतूर के ही रहने वाले और उसी पिछड़ी जाति से आते हैं जहां से सीपी राधाकृष्णन हैं..तर्क यह दिया गया कि इंडिया गठबंधन यदि तमिलनाडु से ही उम्मीदवार दे तो डीएमके की दुविधा भी खत्म हो जाएगी और तमिलनाडु से पूरा इंडिया गठबंधन एकजुट हो कर वोट करेगा. 

तमिलनाडु का क्यों नहीं हुआ उम्मीदवार?

मगर जब कांग्रेस अध्यक्ष ने डीएमके नेता स्टालिन से बात की तो उन्होंने कहा कि एनडीए के तमिलनाडु से उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार देने के बाद इंडिया गठबंधन का भी यहीं से उम्मीदवार देना एक अच्छा राजनीतिक संदेश नहीं होगा. स्टालिन के यह कहने के बाद फिर सलाह मशविरा का दौर शुरू हुआ कई नाम चर्चा में आए जैसे महाराष्ट्र से तुषार गांधी जैसे नाम पर भी चर्चा हुई. यहां पर एक जानकारी यह भी है कि ममता बनर्जी ने डीएमके के उम्मीदवार पर वीटो किया मगर यह सब ऑफ द रिकॉर्ड जानकारी है.

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कुछ दल उम्मीदवार नहीं खड़ा करने के थे पक्ष में

सूत्रों की माने तो सपा और आरजेडी जैसे दल उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार ना खड़ा करने के पक्ष में थे उनका कहना था कि जब हार निश्चित है तो हमें इसमें नहीं पड़ना चाहिए और एसआईआर पर ही फोकस करना चाहिए.मगर इंडिया गठबंधन ने यह तय किया गया कि उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा.

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गैर राजनीतिक व्यक्ति को प्रत्याशी बनाने की उठी मांग

डीएमके नेता स्टालिन के मना करने के बाद टीएमसी ने कहा कि किसी गैर राजनीतिक व्यक्ति को हमें अपना उम्मीदवार बनाना चाहिए और इस पर आम राय बनाने का ज़िम्मा खरगे साहब पर छोड़ दिया गया. यह भी तय हुआ कि यदि उम्मीदवार दक्षिण भारत से हो.यह भी कहा गया कि इंडिया गठबंधन जब संविधान बचाने की बात कर रहा है तो ऐसा व्यक्ति उपराष्ट्रपति हो जो संविधान का विशेषज्ञ हो और सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस या जज रहा हो तो बहुत ही अच्छा रहेगा.

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बी सुर्दशन रेड्डी का कैसे हुआ नाम तय

फिर कांग्रेस आलाकमान को याद आया कि रेवंत रेड्डी पहले ही कह चुके हैं कि उपराष्ट्रपति पद के लिए तेलंगाना से किसी उम्मीदवार पर विचार करना चाहिए और जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री को पूछा गया तो बी सुर्दशन रेड्डी का नाम आया जो सुप्रीम कोर्ट में जज रह चुके हैं, साथ ही आंध्र प्रदेश से आते हैं. वो वहां के स्थाई न्यायाधीश रहे फिर गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे..तेलंगाना में जो जाति सर्वेक्षण हुए उसके आंकडों का अध्ययन करने के लिए जो समिति बनाई गई थी उसके अध्यक्ष भी रेड्डी ही थे.

इसी सर्वेक्षण का जिक्र हर जगह राहुल गांधी करते हैं.सुर्दशन रेड्डी को उम्मीदवार बना कर कांग्रेस ने ममता,केजरीवाल और डीएमके सहित अपने सभी सहयोगियों को खुश करने की कोशिश की है.कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार उनके उम्मीदवार को अच्छा समर्थन मिलेगा पिछली बार विपक्ष के उम्मीदवार माग्रेट अल्वा को 183 वोट ही मिले थे.

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