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This Article is From Dec 27, 2018

MP कांग्रेस में ऑल इज़ नॉट वेल! विभागों को लेकर कमलनाथ सरकार में जारी है 'सिर फुटौव्वल'

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल (Kamal Nath Cabinet) में बगावत शुरू हो गई है. कांग्रेस के कई नेताओं के साथ 3 निर्दलीय सपा, बसपा के विधायक भी सरकार से नाराज़ बताए जा रहे हैं.

MP कांग्रेस में ऑल इज़ नॉट वेल! विभागों को लेकर कमलनाथ सरकार में जारी है 'सिर फुटौव्वल'
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल (Kamal Nath Cabinet) में बगावत शुरू हो गई है.
भोपाल:

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल (Kamal Nath Cabinet) में शामिल न किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी (Congress) में बगावत शुरू हो गई है. मंत्रिमंडल के गठन के बाद नाराज़गी का सिलसिला घटने के बजाए बढ़ने लगा है. कांग्रेस के कई नेताओं के साथ 3 निर्दलीय सपा, बसपा के विधायक भी सरकार से नाराज़ बताए जा रहे हैं. उधर कैबिनेट गठन के दो दिन बाद भी अब तक मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो सका है. मंत्रियों के विभागों को लेकर कांग्रेस में गुटबाजी की खबरें सामने आने लगी हैं. मुरैना में कांग्रेस विधायक ऐदल सिंह कंसाना (Aidal Singh Kansana) के समर्थक उन्हें शामिल नहीं किए जाने की वजह से पार्टी से नाराज चल रहे हैं. मुरैना में उनके समर्थकों का गुस्सा सड़क और गाड़ियों पर निकला. उनके समर्थन में सुमावली विधानसभा के ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मदन शर्मा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

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मंदसौर में सिर्फ सुवासरा का गढ़ बचाए रखने में कामयाब हरदीप सिंह डंग भी चाहते थे कि मंत्रिमंडल में वो मंत्री बनते, चाहत पूरी नहीं हुई. पूरे मध्यप्रदेश में सिख समाज से 230 में एक सिख को मौका मिला है, मेरा मानना है कि उसमें ध्यान दिया जाए तो मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना चाहिये. मनावर से बीजेपी की पूर्व मंत्री रंजना बघेल को पटखनी देने वाले जयस नेता और कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा है. अलावा का आरोप है कि कांग्रेस चुनाव से पहले किए गए वादे से अब मुकर गई है.

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कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने से पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक केपी सिंह और बिसाहूलाल अब कांग्रेस आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में लग गए हैं. मध्य प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी, कांग्रेस को 114 यानी बहुमत से दो सीटें कम मिलीं. बहुमत तक पहुंचाने उसे बसपा की 2, समाजवादी पार्टी के एक और 4 निर्दलीयों का समर्थन मिला. अब दूसरे दल भी मंत्रिमंडल में अनदेखी से आंखें तरेर रहे हैं.

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समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने तो यहां तक कहा कि हम कांग्रेस को भी धन्यवाद देंगें कि मध्यप्रदेश में हमारे विधायक को मंत्री नहीं बनाया. वहीं बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह ने कहा सरकार हमारे समर्थन से चल रही है, पांच दिन में मुझे मंत्री बनाना ही होगा. कांग्रेस को लगता है, वो सबकों साध लेंगे. वहीं, बीजेपी मानती है कि कांग्रेस के लिये सरकार चलाना मुश्किल होगा. 

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कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा 15 साल बाद हम सत्ता में आए हैं. हर आदमी चाहता है सत्ता में आकर जनता की सेवा कर सके, सबको ज़िम्मेदारी देकर सबको संतुष्ट किया जाएगा. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी ने कहा  सरकार के सामने कठिनाई पैदा होगी, इसका लाभ बीजेपी को मिलेगा. ये सरकार लंबे समय नहीं चलेगी. कैबिनेट में फिलहाल 5 वैकेंसी है. संसदीय सचिव का विकल्प है, लेकिन नाराजगी बनी रही तो विधानसभा स्पीकर के चुनाव पर असर हो सकता है. क्योंकि अगर बीजेपी ने अपना उम्मीदवार उतार दिया तो नाराज़ नेताओं का गुस्सा कांग्रेस पर भारी पड़ सकता है. 

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