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This Article is From May 04, 2022

ये है हिन्दुस्तान: ईदगाह के लिए हिंदु बहनों ने मुसलमानों को दान कर दी 1.5 करोड़ की जमीन

उत्तराखंड में अपने मरहूम पिता की आखिरी ख्वाहिंश पूरी करने के लिए दो हिंदु बहनों ने डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत की अपनी चार बीघा जमीन ईद के त्योहार से पहले ईदगाह के विस्तार के लिए दे दी.

ये है हिन्दुस्तान: ईदगाह के लिए हिंदु बहनों ने मुसलमानों को दान कर दी 1.5 करोड़ की जमीन
प्रतीकात्मक तस्वीर

कहते हैं कि हिन्दुस्तान एक ख़ूबसूरत जगह है. यहां कई धर्म और पंथ के लोग सदियों से एक साथ मिल जुलकर रहते हैं. इस देश को ख़ूबसूरत बनाने वाले लोग हैं. हम आपस में एक दूसरे का ध्यान रखते हैं. एक दूसरे के त्योहारों में शरीक होते हैं. आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे पढ़ने के बाद आपका दिल गदगद हो जाएगा. दरअसल, उत्तराखंड में अपने मरहूम पिता की आखिरी ख्वाहिंश पूरी करने के लिए दो हिंदु बहनों ने डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत की अपनी चार बीघा जमीन ईद के त्योहार से पहले ईदगाह के विस्तार के लिए दे दी. इन बहनों के दान ने मुसलमानों के दिल को छू लिया है और उन्होंने भी मंगलवार को दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. देश के अलग-अलग हिस्सों से आ रही सांप्रदायिक तनाव की खबरों के बीच दो बहनों की यह उदारता उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के छोटे से शहर काशीपुर में चर्चा का मौजूं बन गया है. 

20 साल पहले मौत से पहले पिता ने जताई थी अंतिम इच्छा 
जानकारी के मुताबिक बीस वर्ष पहले स्वर्गवास से पहले ब्रजनंदन प्रसाद रस्तोगी ने अपने करीबी रिश्तेदारों को बताया था कि वह अपनी चार बीघा कृषि भूमि नजदीक ही बने ईदगाह के विस्तार के लिए दान देना चाहते हैं. हालांकि, अपने बच्चों को अपनी अंतिम इच्छा बताने से पहले ही रस्तोगी का जनवरी, 2003 में निधन हो गया. दिल्ली और मेरठ में अपने परिवारों के साथ रह रहीं उनकी पुत्रियों सरोज और अनीता को हाल में अपने पिता की इस इच्छा के बारे में पता चला तो उन्होंने तत्काल काशीपुर में रहने वाले अपने भाई राकेश से सहमति लेने के लिए संपर्क किया. राकेश भी इस पर तुरंत राजी हो गया.

पिता की अंतिम इच्छा का सम्मान करना हमारा दायित्व
संपर्क किए जाने पर राकेश रस्तोगी ने कहा, ‘‘पिता की अंतिम इच्छा का सम्मान करना हमारा दायित्व है. मेरी बहनों ने कुछ ऐसा किया है जिससे पिता की आत्मा को शांति मिलेगी.'' ईदगाह कमेटी के हसीन खान ने कहा, ‘‘दोनों बहने सांप्रदायिक एकता की जीती जागती मिसाल हैं. ईदगाह कमेटी उनकी इस उदारता के लिए उनका आभार प्रकट करती है. दोनों बहनों का जल्द ही अभिनंदन किया जाएगा.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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