
- ब्राउन पेपर फेसबुक पेज पर दिलचस्प कॉमिक्स देखी जा सकती हैं
- इस वेब कॉमिक में भारतीय समाज की कुछ ठेठ आदतों का जिक्र है
- फेसबुक पर ब्राउन पेपर के 88 हज़ार से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं
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गर्मियां आने वाली हैं और छुट्टियों के दस्तक देते ही दिमाग में कॉमिक्स डेरा जमाने लग जाती हैं. हालांकि इन दिनों कॉमिक्स की जगह इंटरनेट और मोबाइल फोन ने ले ली है लेकिन एक वक्त था जब कॉमिक्स ही बच्चों की छुट्टियों का सहारा बनकर सामने आती थीं. यह बात अलग है कि जिन्हें कॉमिक्स से लगाव है, वह अभी भी इसे पढ़ने का कोई मौका नहीं चूकते और अब तो इंटरनेट पर भी कॉमिक्स उपलब्ध है. खास बात यह है कि इन कॉमिक्स को सिर्फ बच्चे ही नहीं, बड़े भी पसंद करते हैं.
ऐसे ही एक वेबकॉमिक लेकर आए हैं शैलेश गोपालन जिसमें ऐसी कई 'भारतीय आदतों' की याद दिलाई गई है जिसे आप या हम अछूते नहीं रहे हैं. Brown Paperbag कॉमिक्स के फेसबुक पेज पर 88 हज़ार सब्सक्राइबर्स हैं जिसमें शैलेश ने एक डिसक्लेमर भी लिखा है कि 'इस कॉमिक में दर्ज उपमाओं के कई अर्थ हो सकते हैं और आप अपने हिसाब से इसका मतलब निकाल सकते हैं. इसलिए मुझसे मत पूछिएगा कि इसका क्या मतलब है.'
इस कॉमिक सीरिज़ के कई प्रशंसक हैं और फेसबुक पर यह काफी लोकप्रिय है. इसमें दिखाई गई छोटी छोटी बातों से आप खुद को इतना जोड़ पाएंगे कि एक पढ़ने से आपका काम नहीं चलेगा. मसलन किस तरह चोट लगने से लेकर बुखार आने तक मां का हल्दी के प्रति लगाव. या फिर गर्मियों में पंखे की स्पीड पर घरवालों का आपस में लड़ना या फिर छुट्टे पैसे न होने पर दुकान वाले का आपको चॉकेलट थमा देना. ऐसे ही कुछ हल्के फुल्के लम्हों को यह वेबकॉमिक खुद में समेट लेती है. तो बिना वक्त गंवाए आप भी एक नज़र डाल ही लीजिए -
जब हल्दी है हर मर्ज़ का इलाज :
क्या हम जानते हैं अपने गिरेबान में झांकना क्या होता है :
पंखा पांच पर रहेगा या एक पर :
क्या ज़माना आ गया है :
तो क्या इन कॉमिक स्ट्रिप्स को देखकर आपको भी कुछ याद आया. अगर हां तो कमेंट बॉक्स में अपनी यादें साझा कर सकते हैं.
ऐसे ही एक वेबकॉमिक लेकर आए हैं शैलेश गोपालन जिसमें ऐसी कई 'भारतीय आदतों' की याद दिलाई गई है जिसे आप या हम अछूते नहीं रहे हैं. Brown Paperbag कॉमिक्स के फेसबुक पेज पर 88 हज़ार सब्सक्राइबर्स हैं जिसमें शैलेश ने एक डिसक्लेमर भी लिखा है कि 'इस कॉमिक में दर्ज उपमाओं के कई अर्थ हो सकते हैं और आप अपने हिसाब से इसका मतलब निकाल सकते हैं. इसलिए मुझसे मत पूछिएगा कि इसका क्या मतलब है.'
इस कॉमिक सीरिज़ के कई प्रशंसक हैं और फेसबुक पर यह काफी लोकप्रिय है. इसमें दिखाई गई छोटी छोटी बातों से आप खुद को इतना जोड़ पाएंगे कि एक पढ़ने से आपका काम नहीं चलेगा. मसलन किस तरह चोट लगने से लेकर बुखार आने तक मां का हल्दी के प्रति लगाव. या फिर गर्मियों में पंखे की स्पीड पर घरवालों का आपस में लड़ना या फिर छुट्टे पैसे न होने पर दुकान वाले का आपको चॉकेलट थमा देना. ऐसे ही कुछ हल्के फुल्के लम्हों को यह वेबकॉमिक खुद में समेट लेती है. तो बिना वक्त गंवाए आप भी एक नज़र डाल ही लीजिए -
जब हल्दी है हर मर्ज़ का इलाज :
क्या हम जानते हैं अपने गिरेबान में झांकना क्या होता है :
पंखा पांच पर रहेगा या एक पर :
क्या ज़माना आ गया है :
तो क्या इन कॉमिक स्ट्रिप्स को देखकर आपको भी कुछ याद आया. अगर हां तो कमेंट बॉक्स में अपनी यादें साझा कर सकते हैं.
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