
एक भारतीय ट्रैवल व्लॉगर हांगकांग और भारतीय शहरों के बीच अपनी बेबाक तुलना के लिए वायरल हो रहा है. इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, व्लॉगर सामल हांगकांग की एक साफ़ नदी के किनारे टहलते हुए दिखाई दे रहे हैं, जहां वे बता रहे हैं कि आख़िर विदेशी देश ज़्यादा "विकसित" क्यों लगते हैं? वे कहते हैं, "क्या है विदेश? कुछ भी नहीं है विदेश में." अगर हम अपने शहरों को ऐसा बनाना चाहते हैं, तो हम ऐसा बहुत आसानी से कर सकते हैं. हमें बस सरकार और लोगों के सहयोग की ज़रूरत है. हमारे पास ऊंची इमारतें, हरियाली और नदियां सबकुछ हैं."
उनके अनुसार, जो चीज़ गायब है, वह है नागरिक कर्तव्य की बुनियादी भावना (basic sense of civic duty). उन्होंने बेदाग़ फुटपाथ और खूबसूरती से सजे फूलों की क्यारियां दिखाते हुए मज़ाक में कहा, “सिर्फ़ सफ़ाई और नागरिक भावना का फ़र्क़ है. यहां सड़कें साफ़ हैं. फूलों की क्यारियों में सिर्फ़ फूल हैं, गुटखे के पैकेट नहीं हैं. किसी ने उन पर रंग बदलने के लिए पान मसाला नहीं थूका है. कोई फूल नहीं तोड़ता या पौधे नहीं चुराता.”
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आगे यूजर ने कहा, "नदियां साफ़ हैं और उनमें प्लास्टिक का कचरा नहीं तैर रहा है. कहीं कोई कचरा नज़र नहीं आता. किसी भी विदेशी देश के पास यही सब है और हम यहां आने के लिए इतनी पैसे खर्च करते हैं. हम इन देशों से सीखकर अपने देश में भी ऐसा कर सकते हैं. ये भले ही बड़े मुद्दे न लगें, लेकिन ऐसी छोटी-छोटी हरकतें भारत को दूसरे देशों से पीछे धकेल रही हैं. हम भी उतने ही सक्षम हैं."
इस वीडियो ने कई भारतीयों को प्रभावित किया और बेहतर नागरिक चेतना की मांग की. एक यूज़र ने कमेंट किया, "काश भारत में भी ऐसा हो पाता, लेकिन हमारे पास सिविक सेंस ही नहीं है. हम जाति, धर्म और भाषा के झगड़ों में इतने व्यस्त हैं कि ऐसे मुद्दों पर ध्यान ही नहीं जाता." एक अन्य ने कहा, "हम भारतीयों में सब कुछ है, सिवाय अत्यंत आवश्यक नागरिक भावना के."
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