ये नदियां बरसात के दिनों में उगलती हैं सोना, लोगों को रहता है बाढ़ का इंतजार

जब पानी कम हो जाता है तो कुछ खास उपकरणों के साथ नदी में उतर जाते हैं और वह नदियों द्वारा बहाकर लाई बालू और कणों को छानकर सोने के कण निकालते हैं फिर उसे बाजार में बेचते हैं.

ये नदियां बरसात के दिनों में उगलती हैं सोना, लोगों को रहता है बाढ़ का इंतजार

नदी से सोने के कण निकालकर बेचने की परंपरा है काफी पुरानी (फाइल फोटो)

खास बातें

  • पश्चिमी चंपारण के कई गांवों के लोग नदियों से निकालते हैं सोना
  • बरसात के दिनों में बाढ़ के साथ बहकर आते हैं सोने के कण
  • बालू छानकर सोना निकालने का काम है काफी पुराना
नई दिल्ली:

मानसून का इंतजार सबको हर साल सबको रहता है ताकि भीषण गर्मी से राहत मिल सके. लेकिन बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के रामनगर इलाके के कुछ गांवों के लोगों को हर साल मानसून में सोना मिलता है. जानकर आप भी चौंक गए होंगे लेकिन यह भी एक सच्चाई है. यह सोना उन्हें कोई देने नहीं आता है बल्कि यह धातु नदियां उगलती हैं. 

ये नदियां बलुई, कापन और सोनहा हैं जो हर साल अपने  साथ सोना बहाकर लाती हैं. इनके पानी से सोना छानकर इन गांवों के लोग साल भर की रोजी-रोटी का जुगाड़ कर लेते हैं. लेकिन यह काम इतना आसान नहीं होता है. बिहार में मानसून के समय बाढ़ हमेशा बड़ी समस्या रही है. ये नदियां भी इस मौसम में खूब उफनाती हैं. गांव के लोग बाढ़ कम होने का इंतजार करते हैं जब पानी कम हो जाता है तो कुछ खास उपकरणों के साथ नदी में उतर जाते हैं और वह नदियों द्वारा बहाकर लाई बालू और कणों को छानकर सोने के कण निकालते हैं फिर उसे बाजार में बेचते हैं. हालांकि यह काम इतना आसान नहीं होता है.  

बहुत पुराना यह काम
आपको सुनकर यह जरूर हैरत में डाल रहा होगा लेकिन यह काम इन इलाकों में काफी सालों से होता आया है. पहाड़ी नदियों से सोना निकालने का काम आदिवासी कई पीढ़ियों से कर रहे हैं. कई बार ऐसा होता भी कि लोग दिन भर बालू और कणों को छानते रहते हैं लेकिन हाथ भी कुछ भी नहीं आता है.

मेहनत के बाद भी नहीं मिलता है वाजिब दाम
इतनी मेहनत के बाद जब यह लोग बाजार में इन सोने के कणों को बेचने जाते हैं तो वहां पर पहले जौहरी इन कणों का इकट्ठा करता है फिर एक गोला बनाकर औने-पौने दाम लगाता है.


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