विज्ञापन

न कोई डिलीवरी चार्ज, न प्लेटफार्म फीस, Zomato का 7 साल पुराना बिल वायरल, देखकर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

रेडिट यूजर ने लिखा, "यह वह समय था जब ज़ोमैटो वाकई किफायती था." उन्होंने आगे कहा कि उस समय कूपन कोड का मतलब आज के "चालबाज़ियों" के विपरीत, वास्तविक छूट होता था.

न कोई डिलीवरी चार्ज, न प्लेटफार्म फीस, Zomato का 7 साल पुराना बिल वायरल, देखकर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
न कोई डिलीवरी चार्ज, न प्लेटफार्म फीस, Zomato का 7 साल पुराना बिल वायरल

7 Years old Zomato Bill: सात साल पुराना ज़ोमैटो बिल शेयर करने वाला एक रेडिट पोस्ट वायरल हो गया है, जिसने कई यूज़र्स को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि डिलीवरी फ़ूड की कीमतें समय के साथ कैसे बदल गई हैं. इस पोस्ट ने ऑनलाइन फूड डिलीवरी बिजनेस पर सवाल खड़ा किया है.

2019 के इस बिल में न तो कोई डिलीवरी फीस, न ही कोई प्लेटफ़ॉर्म चार्ज, और लगभग 9.6 किलोमीटर दूर स्थित एक रेस्टोरेंट से कूपन पर भारी छूट देखी जा सकती है. यूज़र ने बताया कि आज उसी ऑर्डर की कीमत लगभग 300 रुपये होगी, खाने की कीमतें पिछले कुछ वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई हैं. रेडिट यूजर ने लिखा, "यह वह समय था जब ज़ोमैटो वाकई किफायती था." उन्होंने आगे कहा कि उस समय कूपन कोड का मतलब आज के "चालबाज़ियों" के विपरीत, वास्तविक छूट होता था.

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

इस वायरल पोस्ट ने सोशल मीडिया पर इस बात पर चर्चा को हवा दे दी है कि फ़ूड डिलीवरी ऐप्स कैसे विकसित हुए हैं और क्या अब सुविधा बहुत महंगी हो गई है. कई लोग एक्स्ट्रा चार्ज, डिलीवरी चार्ज और डायनेमिक प्राइसिंग को इसकी मुख्य समस्या मानते हैं.

पोस्ट पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, "वैसे, उस समय हर प्लेटफ़ॉर्म किफ़ायती था, लेकिन इसकी तुलना जीवन-यापन के खर्च और मज़दूरी से कीजिए. अब सब कुछ कम दाम में नहीं मिल सकता. हमेशा याद रखें कि हर जगह खर्चा होता है. अगर आपको पनीर चिली 150 रुपये में मिल रहा है, तो मुनाफ़ा कौन कमा रहा है? ज़ोमैटो 30% ले लेता है. रेस्टोरेंट के पास 100 रुपये बच जाते हैं. ज़ाहिर है, आपको नकली पनीर मिलेगा. ये किराया या तनख्वाह के लिए भी पर्याप्त नहीं."

Zomato order from 7 years ago
byu/No-Win6448 inZomato

एक अन्य ने लिखा, भाई, मैं आपकी बात समझ रहा हूं, लेकिन मैं कुछ समय से फूड इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं. कच्चे माल की लागत लगभग दोगुनी हो गई है (पूरी नहीं, लेकिन मुझे याद है कि हम 15 किलो के डिब्बे के लिए 5500 रुपये में अमूल घी खरीदते थे, और अब यह लगभग 9000 रुपये है), तो यह एक और कारण है. उस समय ज़ोमैटो और स्विगी लगभग 90% रेस्टोरेंट पर लगभग 50 प्रतिशत की छूट देते थे."

ज़ोमैटो ने लॉजिस्टिक्स, रेस्टोरेंट पार्टनरशिप और संचालन के पैमाने को बेहतर बनाने के लिए समय के साथ धीरे-धीरे डिलीवरी और प्लेटफ़ॉर्म शुल्क शुरू किए, लेकिन आलोचकों का तर्क है कि इस बदलाव ने कभी सस्ती सेवा को कई लोगों के लिए दुर्गम बना दिया है. प्लेटफ़ॉर्म का विस्तार और बदलता बिज़नेस मॉडल भी लागत में वृद्धि का एक कारण है.

यह भी पढ़ें: पानी भरे खेत को जोत रही थी मां, पास ही तसले में लेटी खेल रही नन्ही परी, Video देख यूजर्स बोले- रियल योद्धा

कंजूस ससुर से बहू ने दीवाली पर मांगी नीले रंग की साड़ी, फिर पापा जी ने दी ऐसी चीज, खुशी के मारे झूम उठी बहू

क्रिकेट की सबसे बड़ी फैन निकली दादी, भारत-PAK मैच की बताई ऐसी डिटेल्स, यूजर्स बोले- इनको टीवी पर होना चाहिए

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com