- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय नौसेना की स्वदेशी कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर का दौरा किया
- अक्टूबर में राष्ट्रपति ने वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरकर रक्षा बलों के प्रति समर्थन व्यक्त किया
- राष्ट्रपति ने पहले भी सुखोई-30 एमकेआई विमान में उड़ान भरी, जो उनकी सशस्त्र बलों के साथ जुड़ाव का हिस्सा है
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को भारतीय नौसेना की स्वदेशी रूप से निर्मित कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर पर सवार हुईं. भारत की सशस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर, राष्ट्रपति कर्नाटक के कारवार नौसैनिक अड्डे पर पहुंची थीं. राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा भारतीय नौसेना की क्षमता और आत्मनिर्भर भारत के रक्षा निर्माण कार्यक्रम का सशक्त प्रतीक मानी जा रही है. इस विशेष अभियान में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी भी मौजूद रहे.

पनडुब्बी पर उच्च नौसैनिक अधिकारियों और पनडुब्बी के कमांडिंग ऑफिसर ने राष्ट्रपति मुर्मू का स्वागत किया. इस दौरान राष्ट्रपति को नौसेना की इस पनडुब्बी की परिचालन क्षमता, स्टील्थ फीचर्स व हथियार प्रणालियों से अवगत कराया गया. साथ ही, उन्हें भारतीय नौसेना के अंडरवॉटर वॉरफेयर नेटवर्क के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई. यह सॉर्टी कई मायनों में ऐतिहासिक है.

यह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कलवरी क्लास की पनडुब्बी पर यह पहला दौरा था. भारतीय इतिहास में ऐसा करने वाली वह दूसरी राष्ट्रपति हैं. उनसे पहले पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने एक पनडुब्बी पर सॉर्टी की थी. भारतीय नौसेना के इतिहास में वह एक विशेष क्षण माना जाता है.

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक कारवार स्थित आईएनएस वाघशीर और अन्य नौसैनिक प्रतिष्ठानों पर राष्ट्रपति की यह यात्रा न केवल नौसेना के मनोबल को बढ़ाने वाली है, बल्कि यह दर्शाती है कि देश की सर्वोच्च नेतृत्व व्यवस्था सैन्य तैयारियों का प्रत्यक्ष अनुभव और मूल्यांकन करने में कितना सक्रिय है. राष्ट्रपति मुर्मू को समुद्र में तैनाती के दौरान पनडुब्बी कर्मियों की चुनौतियों, उनके प्रशिक्षण और मिशन प्रोफाइल के बारे में भी जानकारी दी गई. स्वदेशी डिजाइन और निर्माण वाली कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां भारतीय नौसेना की अंडरवॉटर क्षमता का मजबूत स्तंभ हैं.

आईएनएस वाघशीर, प्रोजेक्ट 75 के तहत निर्मित, अत्याधुनिक सेंसर, हथियारों और ध्वनि-रहित संचालन क्षमता से लैस है, जो इसे हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री शक्ति का एक महत्वपूर्ण साधन बनाता है. राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा पश्चिमी समुद्री तट पर नौसेना के परिचालन क्षेत्रों के व्यापक मूल्यांकन का हिस्सा मानी जा रही है. रक्षा विशेषज्ञों ने इसे नौसेना के लिए प्रेरणादायक क्षण बताया, जो सैन्य बलों के प्रति राष्ट्रीय नेतृत्व के समर्थन और संवेदनशीलता को दर्शाता है.

गौरतलब है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अक्टूबर महीने में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान 'राफेल' में उड़ान भरी थी. अपनी इस उड़ान के साथ ही उन्होंने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया था. राष्ट्रपति 29 अक्टूबर को हरियाणा के अंबाला स्थित वायुसेना स्टेशन का पहुंची थी. यहां उन्होंने वायुसेना के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान 'राफेल' में सॉर्टी यानी उड़ान भरी.

इस दौरान राष्ट्रपति ने फाइटर पायलट सूट व अन्य सभी आवश्यक उपकरण भी पहने. यह अवसर भारतीय वायुसेना के लिए गौरव का क्षण रहा. अंबाला भारतीय वायुसेना का एक प्रमुख एयरबेस है. यह एयरफोर्स स्टेशन राफेल लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन की तैनाती का एक प्रमुख केंद्र भी है. यही कारण है कि इसे भारत की हवाई सुरक्षा का महत्वपूर्ण आधार माना जाता है.

रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान ‘राफेल' में राष्ट्रपति की यह उड़ान भारतीय वायुसेना की आधुनिकता, क्षमता और आत्मनिर्भर भारत के रक्षा प्रयासों का प्रतीक है. इसके माध्यम से राष्ट्रपति ने भारतीय वायुसेना के पराक्रम, तकनीकी दक्षता और सैन्य शक्ति के योगदान को सैल्यूट किया.

इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 8 अप्रैल 2023 को असम के तेजपुर वायुसेना स्टेशन पर सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी. उस समय उन्होंने भारतीय वायुसेना के पायलटों के साथ अनुभव साझा करते हुए वायुसेना की दक्षता, अनुशासन और समर्पण की सराहना की थी.

विमान को 106 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन नवीन कुमार ने उड़ाया था. विमान ने समुद्र तल से करीब दो किलोमीटर की ऊंचाई पर और करीब 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरी. राष्ट्रपति मुर्मू इस तरह की उड़ान भरने वाली तीसरी राष्ट्रपति और दूसरी महिला राष्ट्रपति थीं.

बाद में विजिटर्स बुक में राष्ट्रपति ने एक संक्षिप्त नोट लिखकर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने कहा, "भारतीय वायु सेना के शक्तिशाली सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरना मेरे लिए एक उत्साहजनक अनुभव था. मुझे गर्व है कि भारत की रक्षा क्षमताओं ने भूमि, वायु और समुद्र की सभी सीमाओं को कवर करने के लिए अत्यधिक विस्तार किया है. मैं इस सॉर्टी के आयोजन के लिए भारतीय वायु सेना और तेजपुर वायु सेना स्टेशन की पूरी टीम को बधाई देती हूं."

सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान में राष्ट्रपति की उड़ान भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में सशस्त्र बलों के साथ जुड़ने के उनके प्रयासों का एक हिस्सा है. मार्च 2023 में, राष्ट्रपति ने आईएनएस विक्रांत का दौरा किया था और स्वदेश निर्मित विमान के बोर्ड पर अधिकारियों और नाविकों के साथ बातचीत की थी.

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