वाशिंगटन:
अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ सकारात्मक रिश्तों का उदाहरण पेश करते हुए उसे बेचे जाने वाले अहम रक्षा उपकरणों पर रियायत देने का फैसला किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा हितों का हवाला देते हुए अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को छह महीने के भीतर दी गई इस तरह की यह दूसरी छूट है। तत्कालीन अमेरिकी उप विदेश मंत्री थॉमस नाइड्स ने 15 फरवरी को यह रियायत देने का फैसला किया था और सप्ताह भर बाद 22 फरवरी को गृह विभाग की वेबसाइट पर इसका ब्योरा डाला गया।
इस फैसले से पाकिस्तान को भारी मात्रा में रक्षा साजो-सामान बेचे जाने का रास्ता साफ हो गया है। विदेशमंत्री जॉन केरी द्वारा 1 फरवरी को अमेरिकी कूटनीति की बागडोर संभालने के 15 दिनों बाद ही पाकिस्तान को यह रियायत देने का फैसला किया गया, इससे अमेरिका के 'फॉरन मिलिट्री फाइनेंसिंग' (एफएनएफ) कार्यक्रम के कार्यांवयन और कुछ मुख्य रक्षा साजोसामान (एमडीई) की बिक्री या निर्यात का रास्ता साफ हो गया है।
एक प्रवक्ता ने कहा, मुख्य रक्षा साजो-सामान, की श्रेणी के अंतर्गत अमेरिका में बने वे रक्षा उपकरण हैं, जिनका गैर-आवर्ती अनुसंधान एवं विकास का खर्च पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर से या निर्माण खर्च 20 करोड़ डॉलर से अधिक है। इन उपकरणों के लिए अमेरिकी संसद की अधिसूचना आवश्यक होती है।
दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक, 15 फरवरी को जारी की इन रियायतों का मुख्य मकसद पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों के साथ वाशिंगटन में होने वाली बैठक के लिए बेहतर माहौल तैयार करना है।
राष्ट्रीय सुरक्षा हितों का हवाला देते हुए अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को छह महीने के भीतर दी गई इस तरह की यह दूसरी छूट है। तत्कालीन अमेरिकी उप विदेश मंत्री थॉमस नाइड्स ने 15 फरवरी को यह रियायत देने का फैसला किया था और सप्ताह भर बाद 22 फरवरी को गृह विभाग की वेबसाइट पर इसका ब्योरा डाला गया।
इस फैसले से पाकिस्तान को भारी मात्रा में रक्षा साजो-सामान बेचे जाने का रास्ता साफ हो गया है। विदेशमंत्री जॉन केरी द्वारा 1 फरवरी को अमेरिकी कूटनीति की बागडोर संभालने के 15 दिनों बाद ही पाकिस्तान को यह रियायत देने का फैसला किया गया, इससे अमेरिका के 'फॉरन मिलिट्री फाइनेंसिंग' (एफएनएफ) कार्यक्रम के कार्यांवयन और कुछ मुख्य रक्षा साजोसामान (एमडीई) की बिक्री या निर्यात का रास्ता साफ हो गया है।
एक प्रवक्ता ने कहा, मुख्य रक्षा साजो-सामान, की श्रेणी के अंतर्गत अमेरिका में बने वे रक्षा उपकरण हैं, जिनका गैर-आवर्ती अनुसंधान एवं विकास का खर्च पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर से या निर्माण खर्च 20 करोड़ डॉलर से अधिक है। इन उपकरणों के लिए अमेरिकी संसद की अधिसूचना आवश्यक होती है।
दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक, 15 फरवरी को जारी की इन रियायतों का मुख्य मकसद पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों के साथ वाशिंगटन में होने वाली बैठक के लिए बेहतर माहौल तैयार करना है।
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