
- UN की नई रिपोर्ट के अनुसार उत्तर कोरिया में पिछले दस वर्षों में मानवाधिकारों की स्थिति और भी खराब हुई है.
- किम जोंग-उन की सरकार ने नागरिकों पर निगरानी और दमन में तेजी लाकर असंतोष के सभी संकेतों को दबाया है.
- विदेशी टीवी शो देखना या साझा करना जैसे मामूली अपराधों के लिए भी उत्तर कोरिया में मौत की सजा दी जाती है.
उत्तर कोरिया में लोगों पर राष्ट्रपति किम जोंग-उन के अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट इस बात की तस्दीक कर रही है. UN की नई मानवाधिकार रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर कोरिया में विदेशी टीवी शो, खासकर दक्षिण कोरियाई ड्रामा देखने या बांटने पर मौत की सजा दी जाती है. 2014 के बाद से देश में निगरानी और दमन में तेज़ी आई है, जिससे हालात और खराब हुए हैं. कोरोना महामारी के बाद राजनीतिक अपराधों के लिए फांसी की संख्या बढ़ी है.
10 सालों में मानवाधिकारों की हालत और खराब
संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया (डीपीआरके) में पिछले 10 सालों में मानवाधिकारों की हालत सुधरी नहीं, बल्कि और भी खराब हो गई है. किम जोंग-उन सरकार ने लोगों पर निगरानी और नियंत्रण बढ़ा दिया है. अब नागरिकों की हर बात पर नजर रखी जाती है और उन्हें सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलने की आज़ादी नहीं है. रिपोर्ट का निष्कर्ष है- 'आज की दुनिया में कोई भी अन्य आबादी ऐसे प्रतिबंधों के अधीन नहीं है.' उत्तर कोरिया से भागे एक शख्स ने बताया, 'लोगों की आंखों और कानों को बंद करने के लिए, उन्होंने दमन को और तेज़ कर दिया. यह एक प्रकार का नियंत्रण था जिसका उद्देश्य असंतोष या शिकायत के सबसे छोटे संकेतों को भी खत्म करना था.'
दुनिया से बहुत कट चुका नॉर्थ कोरिया!
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 में उत्तर कोरिया पहले से भी ज्यादा 'बंद देश' बन गया है, और यह बाहरी दुनिया से बहुत कट चुका है. दुनिया के अन्य देशों से दूरी की वजह से वहां लोगों की जिंदगी और भी कठिन और दर्दभरी हो गई है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा, 'हमने जो देखा है, वह एक खोया हुआ दशक है और मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि अगर डीपीआरके अपने मौजूदा रास्ते पर चलता रहा, तो वहां की जनता को और भी अधिक पीड़ा, क्रूर दमन और भय का सामना करना पड़ेगा, जिसे उन्होंने इतने लंबे समय तक झेला है.
विदेशी शो देखने पर मौत की सज़ा
रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक बंदी शिविर अभी भी चल रहे हैं. कोरिया गणराज्य, जापान और अन्य जगहों से किडनैप विदेशी नागरिकों सहित लाखों लापता लोगों का भविष्य अज्ञात है. नागरिक जीवन भर राज्य द्वारा निरंतर दुष्प्रचार के शिकार होते रहते हैं. भोजन के अधिकार का उल्लंघन जारी है, और कुछ राज्य नीतियों के कारण भूखमरी और बढ़ रही है. उत्तर कोरिया में मौत की सज़ा (मृत्युदंड) को कानून से मंजूरी मिली हुई है. लोगों की बोलने की आज़ादी और सही जानकारी तक पहुंच में बड़ी गिरावट आई है. अब कुछ ऐसे कामों के लिए भी सख्त सज़ाएं, यहां तक कि मौत की सज़ा दी जा सकती है, जैसे कि विदेशी टीवी शो या नाटक देखना या दूसरों के साथ शेयर करना. इसके अलावा, तकनीक के ज़रिए लोगों पर निगरानी और कड़ी हो गई है, यानी सरकार अब जनता की हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर नजर रख रही है.
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