- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बंगाल दौरा आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए बेहद अहम माना जा रहा है.
- भाजपा ने चुनाव तैयारियां तेज कर दी हैं और शाह पार्टी की संगठनात्मक ताकत और कमजोरियों का आकलन कर रहे हैं.
- अमित शाह का ध्यान मतुआ मतदाताओं पर भी है. उनका मानना है कि SIR को लेकर मतुआ समुदाय में गलतफहमियां फैलाई गई.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार शाम को तीन दिन के दौरे पर कोलकाता पहुंचे. अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है. शाह का पूरा ध्यान भाजपा की चुनावी रणनीति तैयार करने और संगठनात्मक चुनौतियों को दूर करने पर है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बंगाल जीतने की कोशिश में जुटी भाजपा के लिए शाह की रणनीति क्या होगी और किन बाधाओं को पार कर पार्टी सत्ता तक पहुंच सकती है. आइए जानते हैं बंगाल के लिए अमित शाह की क्या रणनीति है.
1. ताकत और कमजोरियों का आकलन
भाजपा ने बंगाल चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. शाह इस दौरे में पार्टी की संगठनात्मक ताकत और कमजोरियों का आकलन कर रहे हैं. वे विभिन्न स्तरों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, उनकी राय और शिकायतें सुन रहे हैं. जिला स्तर और अन्य इकाइयों से भी सीधे फीडबैक लिया जा रहा है. इस दौरान शाह प्रचार तंत्र को मजबूत करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं.

Photo Credit: PTI
2. मतुआ समुदाय पर फोकस
अमित शाह का ध्यान मतुआ मतदाताओं पर भी है. उनका मानना है कि एसआईआर (SIR) को लेकर मतुआ समुदाय में गलतफहमियां फैलाई गई हैं. तृणमूल कांग्रेस यह प्रचार कर रही है कि एसआईआर के कारण मतुआ समुदाय असहज है. शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि मतुआ समुदाय में असुरक्षा का कोई भाव नहीं है और डर जैसी कोई बात नहीं है. उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि ममता बनर्जी चाहकर भी मतुआ वोटरों को अपने पाले में नहीं ला पा रही हैं. यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर और टीएमसी सांसद ममता बाला ठाकुर मतुआ इलाके में आमने-सामने हैं. हाल ही में शांतनु ठाकुर के एक बयान ने भाजपा को असहज स्थिति में डाल दिया था.

3. चुनावी नैरेटिव के मुद्दे
शाह के इस दौरे के बाद यह तय होगा कि भाजपा किन मुद्दों को चुनावी नैरेटिव का केंद्र बनाएगी. क्या हिंदुत्व का एजेंडा, ममता बनर्जी द्वारा धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल, मंदिर निर्माण और ‘मुसलमानों को खुश करने' की धारणा प्रमुख मुद्दे होंगे? साथ ही यह भी चुनौती है कि भाजपा इस धारणा का मुकाबला कैसे करेगी.
4. घुसपैठ और SIR का मुद्दा
भाजपा के लिए घुसपैठ कोई नया मुद्दा नहीं है. आरएसएस की स्थापना के समय से ही यह एक अहम विषय रहा है. शाह एसआईआर को इस तरह पेश करना चाहते हैं कि यह भविष्य में बंगाल को घुसपैठियों से मुक्त करने का प्रयास है. हालांकि सवाल यह है कि मतदाता सूचियों के प्रशासनिक पहलू से आगे बढ़कर भाजपा इस मुद्दे को चुनावी बहस का केंद्र कैसे बनाएगी.

Photo Credit: PTI
5. RSS के साथ तालमेल
शाह इस बार आरएसएस नेताओं से भी मुलाकात कर रहे हैं. उनके केशव भवन जाने की संभावना है, जहां वे यह संदेश देना चाहते हैं कि भाजपा और आरएसएस मिलकर काम कर रहे हैं. जिला स्तर पर सफल सहयोग के लिए वे समन्वय को मजबूत करने पर जोर देंगे.
6. धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों पर फोकस
अमित शाह इस्कॉन और सिस्टर निवेदिता के घर भी जाएंगे. ममता बनर्जी हाल ही में इन दोनों स्थानों पर गई थीं. इस्कॉन के रथ खींचने और दीघा में जगन्नाथ मंदिर निर्माण में योगदान देकर ममता ने धार्मिक प्रतीकों को साधने की कोशिश की थी. शाह बेलूर मठ और स्वामी विवेकानंद के घर के अलावा सिस्टर निवेदिता को प्राथमिकता देकर इसी नैरेटिव को काउंटर करना चाहते हैं.

Photo Credit: NDTV
7. नेतृत्व संकट और संगठनात्मक चुनौतियां
भाजपा के सामने बंगाल में सबसे बड़ी चुनौती नेतृत्व संकट और संगठनात्मक असंतुलन है. पार्टी के भीतर फूट, गलतफहमियां और नेताओं के बीच प्रतिद्वंद्विता भी मौजूद है. ऐसे में शाह इन समस्याओं को सुलझाने के लिए खुद मैदान में उतरे हैं.
8. बंगाल को लेकर विजन
भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह एक नए बंगाल की कल्पना करती है— एक शांतिपूर्ण, विकासोन्मुखी और भ्रष्टाचार मुक्त पश्चिम बंगाल. अमित शाह ने राज्य के नेताओं को ममता बनर्जी के भूमि अधिग्रहण और बीएसएफ की संलिप्तता के दावों का जवाब देने के तरीके बताए. उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी द्वारा भूमि उपलब्ध न कराने के कारण सीमा प्रबंधन और संबंधित समस्याएं अभी भी अनसुलझी हैं और इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है. विकास के संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वित्त उपलब्ध कराने के लिए तैयार है, लेकिन राज्य सरकारें उनका उचित उपयोग नहीं कर रही हैं. व्यापक भ्रष्टाचार के कारण न तो धन जारी किया जा रहा है और न ही उसका उपयोग किया जा रहा है.

9. भ्रष्टाचार पर भी फोकस
बंगाल में भ्रष्टाचार एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है. अमित शाह ने इस बार कोलकाता में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भ्रष्टाचार के मुद्दे को बार-बार उठाया. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के उन मंत्रियों, विधायकों, सांसदों और राजनेताओं के नाम गिनाए जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल भेजा गया था. उन्होंने भाजपा की राज्य इकाई को भ्रष्टाचार के मुद्दे को एक महत्वपूर्ण चुनावी अभियान बनाने की सलाह दी है.
10. बंगाली पहचान पर जोर
अमित शाह ने पहली बार बांग्ला में जनसभा को संबोधित किया और रवींद्रनाथ टैगोर, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जैसे दिग्गजों का जिक्र कर बंगाली पहचान को साधने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि भाजपा बंगाल की संस्कृति और डीएनए को समझती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं