
- अमेरिकी सेना की स्पेशल नेवी सील टीम ने छह साल पहले नॉर्थ कोरिया में किम जोंग उन की जासूसी के लिए मिशन किया था.
- मिशन के दौरान अमेरिकी सैनिकों ने आम नागरिकों को गोली मार दी, जो शेलफिश पकड़ने नाव पर थे- रिपोर्ट
- इस घटना की सैन्य जांच हुई, जिसमें हत्याओं को उचित ठहराया गया, लेकिन जांच के परिणाम गोपनीय रखे गए.
अमेरिकी सेना की स्पेशल नेवी सील (SEALs) टीम एक खुफिया मिशन पर नॉर्थ कोरिया के अंदर घुसती है. मकसद सिर्फ एक- नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की जासूसी करना. लेकिन मिशन फेल हो जाता है. मिशन सिर्फ फेल नहीं होता बल्कि अमेरिकी सेना के हाथ नॉर्थ कोरिया के सिविलियंस (आम लोगों) के खून से सन जाते हैं. यह किसी हॉलीवुड फिल्म का प्लॉट नहीं है बल्कि शुक्रवार को न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट छापकर कहा कि आज से 6 साल पहले ठीक ऐसा ही हुआ था.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मिशन को इतना जोखिम भरा माना गया कि इसके लिए सीधे राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता थी. लेकिन अब ट्रंप ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि उन्हें ऑपरेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. राष्ट्रपति ने पत्रकारों से कहा, "मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता. मैं इसे पहली बार सुन रहा हूं."
कैसे मिशन हो गया फेल?
न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस रिपोर्ट के लिए दो दर्जन लोगों का इंटरव्यू लिया है. इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सेना ने इस मिशन के लिए महीनों तक अभ्यास किया था. लेकिन इसके बावजूद मिशन भयानक रूप से गलत हो गया, यानी फेल हो गया.
अखबार के अनुसार इस मिशन को अंजाम अमेरिकी सेना की वही SEALs यूनिट दे रही थी, जिसने 2011 में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था. सील की एक टीम मिनी पनडुब्बियों में नॉर्थ कोरिया पहुंची. वो कई घंटों तक खुले पानी में थी. फिर टीम तैरकर तट पर आ गई.
सेना के जवानों ने सोचा था कि वे अकेले हैं, लेकिन उनकी नजर उस क्षेत्र में मौजूद छोटी नाव पर नहीं गई. बाद में वह नाव मिनी पनडुब्बियों की ओर बढ़ी. नाव के चालक दल के पास फ्लैशलाइट था. एक व्यक्ति पानी में कूद गया.
SEALs ने नाव के चालक दल के लोगों के फेफड़ों को छेदने के लिए चाकुओं का इस्तेमाल किया ताकि शव पानी में डूब जाएं, और वे सुरक्षित बच निकलने में सफल रहे. टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया कि ऑपरेशन की बाद में सैन्य जांच हुईं जिसमें पाया गया कि हत्याएं उचित थीं.
जांच में क्या पाया गया, इसको क्लासिफाइड रखा गया यानी बाहर नहीं आने दिया गया. यहां तक कि कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को अंधेरे में रखा गया, उन्हें कुछ जानकारी नहीं दी गई. भले इस असफल मिशन ने कोई बड़ा अंतरराष्ट्रीय संकट पैदा नहीं किया, लेकिन ऐसा आसानी से हो सकता था.
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