यूएई के विदेश राज्यमंत्री ने ISIS के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को 'निराशा की हद तक धीमा' बताया
अबू धाबी:
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश राज्यमंत्री अनवर गरगाश ने चेताया है कि खुद को इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) कहने वाले आतंकी संगठन के खतरे से भारत भी महफूज नहीं। दाइश नाम से भी जाने जाने इस आतंकी संगठन के खिलाफ लड़ाई में यूएई भी शामिल है।
आईएसआईएस के खिलाफ मिलकर लड़ने की जरूरत
यूएई के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नहयान की बुधवार से शुरू हो रही तीन दिवसीय भारत यात्रा से पहले गरगाश ने एनडीटीवी को विशेष इंटरव्यू में कहा, 'यह लंबी अवधि का खतरा है, इसके खिलाफ हमें आपसी सहयोग कायम करने और जीरो टालरेंस बनाने की जरूरत है। कोई अस्पष्ट क्षेत्र नहीं है। हमें इस खतरे से निपटने की जरूरत है और कोई भी अछूता नहीं है। अगर आप सोचते हैं कि आप बचे हुए हैं तो आप लापरवाही करने जा रहे, आप झेलने जा रहे हैं। हर कोई-चाहे वह भारत हो या यूएई।'
पीएम मोदी की यात्रा से भारत-यूएई संबंधों को मिला नया आयाम
पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अबू धाबी यात्रा के बाद भारत और यूएई के बीच एक नई रणीतिक साझेदारी की शुरुआत हुई है, जिसमें दोनों देशों के बीच आतंकवाद रोधी सहयोग कहीं अधिक संस्थागत होने वाला है। पिछले कुछ दिनों इस खाड़ी देश ने आईएसआईएस से संदिग्ध संपर्क रखने को लेकर करीब एक दर्जन भारतीयों को स्वदेश भेजा है।
गरगाश ने बताया कि आतंकवाद के खिलाफ द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करना शाही यात्रा का एक अहम विषय होगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर द्विपक्षीय सहयोग बहुत अच्छा चल रहा है और आगामी 12 महीनों में यह कहीं अधिक संस्थागत होगा तथा कहीं बेहतर तरीके से काम करेगा। गरगाश ने बताया कि अगस्त में यहां की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएई नेतृत्व के साथ चर्चा में ऐसा सहयोग एक अहम हिस्सा होगा।
आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की जरूरत
वहीं आईएस से पैदा हुए खतरे का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि कोई भी देश अछूता नहीं है... हमें इस खतरे का मुकाबला करने के लिए किसी भी तरह के चरमपंथ और आतंकवाद के खिलाफ कहीं अधिक सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठनों के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। कोई अच्छा या बुरा आतंकवादी नहीं है।
वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर बड़ी शक्ति है भारत
गरगाश ने जोर देते हुए कहा कि यूएई भारत के खिलाफ पाकिस्तान को या पाकिस्तान के खिलाफ भारत को नहीं उकसा रहा। भारत वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर एक बड़ी शक्ति है और इसके साथ संबंध किसी तीसरे पक्ष से संबद्ध नहीं है। भारत-यूएई के बीच संबंध को शानदार बताते हुए मंत्री ने कहा कि मोदी की यात्रा के दौरान संबंधों में रणनीतिक बदलाव की झलक दिख सकती है। मोदी एक बहुत ही व्यवहारिक व्यक्ति हैं और हर कोई उनके 'किया जा सकता है' वाले नजरिया से प्रभावित है। 'यह वही चीज है, जिसे हम करना चाहते हैं।'
भारत के बुनियादी ढांचे में निवेश करेगा यूएई
गरगाश ने भारत में खासतौर पर बुनियादी ढांचा में निवेश बढ़ने की यूएई की प्रतिबद्धता का जिक्र किया। फिलहाल भारत में उसने करीब 10 अरब डॉलर निवेश कर रखा है। भारत में निवेशकों को पेश आ रही समस्याओं के बारे में उन्होंने कहा, 'हमें लालफीताशाही को कम करने और चीजों को आसान बनाने की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'मैं स्पष्ट कानून, सहज क्रियान्वयन, न सिर्फ यूएई से बल्कि अन्य देशों से भी विदेशी निवेश का बड़े पैमाने पर आना देखना चाहता हूं।' द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में बड़ी संभावना है, लेकिन उसे खोलना होगा।
आईएसआईएस के खिलाफ मिलकर लड़ने की जरूरत
यूएई के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नहयान की बुधवार से शुरू हो रही तीन दिवसीय भारत यात्रा से पहले गरगाश ने एनडीटीवी को विशेष इंटरव्यू में कहा, 'यह लंबी अवधि का खतरा है, इसके खिलाफ हमें आपसी सहयोग कायम करने और जीरो टालरेंस बनाने की जरूरत है। कोई अस्पष्ट क्षेत्र नहीं है। हमें इस खतरे से निपटने की जरूरत है और कोई भी अछूता नहीं है। अगर आप सोचते हैं कि आप बचे हुए हैं तो आप लापरवाही करने जा रहे, आप झेलने जा रहे हैं। हर कोई-चाहे वह भारत हो या यूएई।'
पीएम मोदी की यात्रा से भारत-यूएई संबंधों को मिला नया आयाम
पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अबू धाबी यात्रा के बाद भारत और यूएई के बीच एक नई रणीतिक साझेदारी की शुरुआत हुई है, जिसमें दोनों देशों के बीच आतंकवाद रोधी सहयोग कहीं अधिक संस्थागत होने वाला है। पिछले कुछ दिनों इस खाड़ी देश ने आईएसआईएस से संदिग्ध संपर्क रखने को लेकर करीब एक दर्जन भारतीयों को स्वदेश भेजा है।
गरगाश ने बताया कि आतंकवाद के खिलाफ द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करना शाही यात्रा का एक अहम विषय होगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर द्विपक्षीय सहयोग बहुत अच्छा चल रहा है और आगामी 12 महीनों में यह कहीं अधिक संस्थागत होगा तथा कहीं बेहतर तरीके से काम करेगा। गरगाश ने बताया कि अगस्त में यहां की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएई नेतृत्व के साथ चर्चा में ऐसा सहयोग एक अहम हिस्सा होगा।
आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की जरूरत
वहीं आईएस से पैदा हुए खतरे का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि कोई भी देश अछूता नहीं है... हमें इस खतरे का मुकाबला करने के लिए किसी भी तरह के चरमपंथ और आतंकवाद के खिलाफ कहीं अधिक सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठनों के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। कोई अच्छा या बुरा आतंकवादी नहीं है।
वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर बड़ी शक्ति है भारत
गरगाश ने जोर देते हुए कहा कि यूएई भारत के खिलाफ पाकिस्तान को या पाकिस्तान के खिलाफ भारत को नहीं उकसा रहा। भारत वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर एक बड़ी शक्ति है और इसके साथ संबंध किसी तीसरे पक्ष से संबद्ध नहीं है। भारत-यूएई के बीच संबंध को शानदार बताते हुए मंत्री ने कहा कि मोदी की यात्रा के दौरान संबंधों में रणनीतिक बदलाव की झलक दिख सकती है। मोदी एक बहुत ही व्यवहारिक व्यक्ति हैं और हर कोई उनके 'किया जा सकता है' वाले नजरिया से प्रभावित है। 'यह वही चीज है, जिसे हम करना चाहते हैं।'
भारत के बुनियादी ढांचे में निवेश करेगा यूएई
गरगाश ने भारत में खासतौर पर बुनियादी ढांचा में निवेश बढ़ने की यूएई की प्रतिबद्धता का जिक्र किया। फिलहाल भारत में उसने करीब 10 अरब डॉलर निवेश कर रखा है। भारत में निवेशकों को पेश आ रही समस्याओं के बारे में उन्होंने कहा, 'हमें लालफीताशाही को कम करने और चीजों को आसान बनाने की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'मैं स्पष्ट कानून, सहज क्रियान्वयन, न सिर्फ यूएई से बल्कि अन्य देशों से भी विदेशी निवेश का बड़े पैमाने पर आना देखना चाहता हूं।' द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में बड़ी संभावना है, लेकिन उसे खोलना होगा।
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