
- जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने साने ताकाइची को अध्यक्ष चुना है जो पहली महिला प्रधानमंत्री बन सकती हैं.
- ताकाइची रक्षा खर्च बढ़ाने, न्यूक्लियर फ्यूजन रिसर्च और कड़े इमीग्रेशन नियमों की समर्थक हैं.
- उन्होंने युद्धकालीन इतिहास की समीक्षा की है और यासुकुनी तीर्थस्थल का दौरा कर चीन को नाराज किया है.
जापान को पहली बार एक महिला प्रधानमंत्री मिलने वाली है. साने ताकाइची को देश की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) का अध्यक्ष चुन लिया गया है. इसके साथ ही वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हो गई हैं. उन्होंने शनिवार को हुए दूसरे दौर के मतदान में पूर्व नेता जुनिचिरो कोइज़ुमी के बेटे शिंजिरो कोइज़ुमी को हरा दिया है. शुरुआती दौर में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिला और इस तरह से ताकाइची देश की पहली महिला पीएम की रेस में शामिल हो गईं. अगले प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए संसदीय मतदान 15 अक्टूबर को होने की उम्मीद है.
ड्रम से राजनीति तक
ताकाइची एक हेवी-मेटल ड्रमर और एक बाइकर भी रही हैं. आज, वह रक्षा खर्च में वृद्धि, न्यूक्लियर फ्यूजन रिसर्च, मजबूत साइबर सिक्योरिटी, विकास के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन और कड़े इमीग्रेशन नियमों जैसी नीतियों की समर्थक हैं. ताकाइची को बड़े स्तर पर विदेशी मामलों में कट्टर माना जाता है. वह जापान के युद्धकालीन इतिहास की समीक्षावादी हैं और यासुकुनी तीर्थस्थल का नियमित रूप से दौरा करती हैं और उनका यह दौरा पड़ोसी देश चीन को नाराज कर जाता है. न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार उन्हें चीन के प्रति सख्त और दक्षिण कोरिया के प्रति सतर्क माना जाता है.
एक लंबा राजनीतिक करियर
साल 1993 में अपने गृहनगर नारा से पहली बार चुने जाने के बाद से, ताकाइची ने आर्थिक सुरक्षा, आंतरिक मामलों और लैंगिक समानता सहित कई प्रमुख पदों पर कार्य किया है. उन्होंने मार्गरेट थैचर को एक राजनीतिक आदर्श बताया है और शिंजो आबे के रूढ़िवादी दृष्टिकोण से पूरी तरह सहमत हैं.
बदलेगी देश के लोगों की सोच
64 साल की ताकाइची काफी लंबे समय से एलडीपी के दक्षिणपंथी धड़े से जुड़ी रही हैं. भले ही जापान काफी आगे बढ़ गया हो लेकिन अभी भी देश की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है. शक्तिशाली निचले सदन में सिर्फ करीब 15 फीसदी महिलाएं ही हैं. सिर्फ दो महिलाएं प्रीफेक्चरल गवर्नर के तौर पर कार्यरत हैं.
ताकाइची के साथ ही कुछ लोगों को उम्मीद है कि उनका चुनाव बदलाव का संकेत हो सकता है लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अभी तक संशय में हैं. टोकाई यूनिवर्सिटी में जेंडर और पॉलिटिक्स के विशेषज्ञ प्रोफेसर युकी त्सुजी ने कहा कि ताकाइची को 'महिला अधिकारों या लैंगिक समानता नीतियों में कोई दिलचस्पी नहीं है.' उन्होंने ऐतिहासिक तौर पर समाज में महिलाओं की भूमिका को मजबूत करने वाले प्रस्तावों का विरोध किया है.
सेम सेक्स मैरिज के खिलाफ
ताकाइची ने महिलाओं को मां और पत्नी के तौर पर देखने के एलडीपी के पारंपरिक और रूढ़िवादी दृष्टिकोण का लगातार समर्थन किया है. इसके अलावा उन्होंने सेम सेक्स मैरिज, शाही सिंहासन पर महिलाओं के उत्तराधिकार और मैरिड कपल को अलग-अलग सरनेम रखने की मंजूरी देने वाले कानून का विरोध किया है. उन्होंने मेनोपॉज से जुड़े अपने संघर्षों पर भी बात की है. वह इस बात की वकालत भी करती आई हैं कि पुरुषों को महिला स्वास्थ्य के बारे में बेहतर शिक्षा दी जानी चाहिए. उनका मानना है कि अगर ऐसा होता है तो महिलाओं को काम पर और स्कूल में बेहतर समर्थन मिल सकेगा.
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