- जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची की ताइवान पर टिप्पणियों को लेकर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई है.
- चीन ने अपने नागरिकों को जापान यात्रा से बचने की सलाह दी है, यह द्विपक्षीय संबंधों में तनाव और बढ़ा सकता है.
- जापान की पीएम ने अपने बयान को वापस लेने से इनकार किया है और इसे जापान की दीर्घकालीन नीति बताया है.
जापान और चीन के संबंधों में तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है. जापान के प्रधानमंत्री की ताइवान को लेकर टिप्पणी से चीन भड़क उठा है. जापान की प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर कई दिनों तक तीखी आलोचना और राजदूत को तलब करने के बाद अब चीन ने अपने नागरिकों को जापान की यात्रा से बचने की सलाह दी है. साथ ही आरोप लगाया है कि 'भड़काऊ टिप्पणियों' से माहौल को गंभीर नुकसान पहुंचा है.
टोक्यो स्थित चीनी दूतावास ने शुक्रवार देर रात को सोशल मीडिया पर लिखा कि हाल ही में जापान के नेताओं ने ताइवान के बारे में स्पष्ट रूप से भड़काऊ टिप्पणियां की हैं, जिससे लोगों के बीच आपसी माहौल को गंभीर नुकसान पहुंचा है. बयान में आगे कहा गया, "विदेश मंत्रालय और जापान स्थित चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावास चीनी नागरिकों को निकट भविष्य में जापान की यात्रा से बचने की गंभीरता से याद दिलाते हैं."
एक-दूसरे के राजदूतों को किया तलब
चीन ने शुक्रवार को कहा कि उसने ताइवान के बारे में जापान के प्रधानमंत्री की टिप्पणियों को लेकर उनके राजदूत को तलब किया है. जापान ने जोर देकर कहा कि स्व-शासित द्वीप पर उसकी स्थिति अपरिवर्तित है.
कूटनीतिक विवाद बढ़ा तो जापान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने शुक्रवार को बीजिंग के राजदूत को तलब किया, क्योंकि एक चीनी वाणिज्य दूत ने ऑनलाइन पोस्ट में जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची की गर्दन "काटने" की बात कही थी. इस पोस्ट को अब हटा दिया गया है.

जापान की पीएम ने क्या कहा था?
पिछले हफ्ते जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने संसद में कहा था कि ताइवान पर सशस्त्र हमलों के कारण 'सामूहिक आत्मरक्षा' के तहत द्वीप पर सेना भेजने की जरूरत पड़ सकती है. ताइवान को चीन अपना क्षेत्र बताता है.
साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ताइवान में किसी आपात स्थिति में 'युद्धपोतों और बल प्रयोग की आवश्यकता होती है तो यह (जापान के) अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करने वाली स्थिति बन सकती है, चाहे आप इसे किसी भी तरह से देखें".
बीजिंग ने ताइवान पर नियंत्रण पाने के लिए बल प्रयोग की संभावना से इनकार नहीं किया है.

ताकाइची की टिप्पणियों पर जताई आपत्ति
बीजिंग के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान के अनुसार, चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग ने गुरुवार को जापानी राजदूत केंजी कनासुगी को तलब किया.
इसमें कहा गया है कि सुन ने "जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची की चीन के बारे में गलत टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति जताई".
बयान में कहा गया है, "अगर कोई भी किसी भी रूप में चीन के एकीकरण के काम में हस्तक्षेप करने की हिम्मत करता है, तो चीन निश्चित रूप से कड़ा जवाब देगा."
जापान ने जू जियान के बयान को बताया अनुचित
कुछ घंटों बाद जापान ने कहा कि उसने बीजिंग के राजदूत वू जियांगहाओ को तलब किया और ओसाका में बीजिंग के महावाणिज्य दूत जू जियान द्वारा दिए गए "बेहद अनुचित बयानों" पर कड़ा विरोध जताया. विदेश मंत्रालय ने वू से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि "चीनी पक्ष उचित कदम उठाए".
ज़ू ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में "बिना किसी हिचकिचाहट के उस गंदी गर्दन को काट डालने" की धमकी दी थी.
उन्होंने ताकाइची का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी टिप्पणियों से संबंधित एक समाचार लेख का हवाला दिया.
जापानी विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोटेगी ने गुरुवार को कहा कि अब हटा दी गई पोस्ट "बेहद अनुचित" थी.
जापान-चीन संबंध प्रभावित न हों: मोटेगी
जी7 बैठक के लिए कनाडा में मौजूद मोटेगी ने कहा कि हम चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाते रहने का पुरजोर आग्रह करते हैं कि इससे जापान-चीन संबंध प्रभावित न हो.
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव मिनोरू किहारा ने कहा कि ताइवान पर उनकी सरकार की स्थिति अपरिवर्तित है और "1972 के जापान-चीन संयुक्त विज्ञप्ति के अनुरूप है".
1972 के विज्ञप्ति ने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बना दिया, जिसमें जापान ने अमेरिका सहित कई अन्य देशों द्वारा मान्यता प्राप्त "एक चीन" नीति को स्वीकार किया.
किहारा ने कहा, "ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता न केवल जापान की सुरक्षा के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है."
ताइवान संबंधी टिप्पणियां बर्दाश्त नहीं: चीन
चीन के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि वह ताकाइची की ताइवान संबंधी टिप्पणियों को वह "किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं करेगा".
प्रवक्ता लिन जियान ने एक प्रेस वार्ता में कहा, "जापानी पक्ष को अपनी गलती तुरंत सुधारनी चाहिए और अनुचित टिप्पणियों को वापस लेना चाहिए."
ताकाइची का बयान वापस लेने का इरादा नहीं
जवाब में ताकाइची ने सोमवार को संसद को बताया कि उनका अपने बयान को वापस लेने का कोई इरादा नहीं है और उन्होंने जोर देकर कहा कि यह जापान की दीर्घकालीन नीति के अनुसार है. हालांकि उन्होंने कहा कि वह भविष्य में विशिष्ट परिदृश्यों का उल्लेख करने से बचेंगी.
ताकाइची ताइवान की मुखर समर्थक हैं और उसके साथ सुरक्षा संबंधों की वकालत करती हैं.
2015 में पारित सुरक्षा कानून जापान को कुछ शर्तों के तहत "सामूहिक आत्मरक्षा" के अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति देता है, जिसमें देश के अस्तित्व के लिए स्पष्ट खतरा भी शामिल है.
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