भारतीय मूल के अमेरिकी रिचर्ड राहुल वर्मा को विदेश मंत्री जॉन कैरी ने भारत में अमेरिकी दूत के तौर पर शपथ दिलाई। नई दिल्ली में शीर्ष दूत नियुक्त होने वाले वर्मा (46) पहले भारतीय-अमेरिकी हैं।
अगले महीने कैरी के दौरे के पहले उनके भारत आने की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जनवरी के अंतिम दिनों में मुख्य अतिथि के तौर पर गणतंत्र दिवस परेड में शिरकत करने आएंगे।
पिछले सप्ताह अमेरिकी सीनेट ने ध्वनिमत से उनके नाम की पुष्टि कर दी थी। भारत के साथ असैन्य परमाणु करार पर कांग्रेस में मुहर लगाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। प्रशासन में रहने के दौरान उन्होंने भारत अमेरिका संबंधों की जोरदार पैरवी की और हाल में शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक 'सेंटर फोर अमेरिकन प्रोग्रेस' में 'इंडिया 2020' परियोजना की शुरुआत की।
वह नैंसी पॉवेल का स्थान लेंगे, जिन्होंने कथित वीजा फर्जीवाड़ा आरोपों पर राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के साथ सलूक को लेकर विवाद के बाद मार्च में इस्तीफा दे दिया था। फिलहाल, नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के नेतृत्व की जिम्मेदारी कैथलीन स्टीफंस पर है।
वर्मा के माता-पिता 1960 के दशक में अमेरिका आए थे। 'इंडियन अमेरिकन फोरम फोर पॉलिटिकल एड्यूकेशन' के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संपत शिवांगी ने कहा, यह भारतीय अमेरिकियों के लिए जश्न का दिन है।
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