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NDAA 2026: हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को चुनौती देगा अमेरिका, ट्रंप ने बनाया नया कानून

डोनाल्ड ट्रंप ने NDAA 2026 कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. अब हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका विशेष राजदूत तैनात करेगा. जानें इसका भारत और सुरक्षा पर क्या असर पड़ेगा.

NDAA 2026: हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को चुनौती देगा अमेरिका, ट्रंप ने बनाया नया कानून
डोनाल्ड ट्रम्प ने NDAA 2026 कानून पर किए हस्ताक्षर: हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को रोकने के निर्देश (फाइल फोटो)
PTI

US News: दुनिया के सबसे शक्तिशाली समुद्री क्षेत्र हिंद महासागर (Indian Ocean) में चीन (China) के बढ़ते दबदबे को खत्म करने के लिए अमेरिका (America) ने अब तक का सबसे बड़ा कदम उठाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (NDAA 2026) पर हस्ताक्षर कर इसे कानून बना दिया है. इस नए कानून का सीधा लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की खतरनाक और घातक गतिविधियों को जड़ से उखाड़ फेंकना है.

तैनात होगा अमेरिका का 'Ambassador-at-Large'

इस कानून के तहत अमेरिका के विदेश विभाग में एक विशेष पद 'Ambassador-at-Large' बनाया जाएगा. यह राजदूत विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक संबंध मजबूत करेगा. इसका मुख्य काम 'ड्रैगन' की हर चाल को पहचानना और उसे नाकाम करने के लिए अमेरिकी सैन्य और कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल करना होगा.

चीन की 'बैकडोर' एंट्री पर सख्त पाबंदी

ट्रंप प्रशासन का यह कानून सिर्फ युद्ध तक सीमित नहीं है. इसमें विशेष प्रावधान किए गए हैं ताकि चीनी सैन्य कंपनियां तीसरे देशों के जरिए अमेरिकी प्रतिबंधों से बचकर व्यापार नहीं कर सकें. इसके अलावा, चीन के सिविल न्यूक्लियर सेक्टर और न्यूक्लियर सप्लाई चेन पर भी अमेरिका अपनी पैनी नजर रखेगा.

'पैसिफिक डिटरेंस इनिशिएटिव' का विस्तार

कानून के तहत 'पैसिफिक डिटरेंस इनिशिएटिव' के लिए फंडिंग बढ़ा दी गई है. इसका मतलब है कि हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक अमेरिका अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर और सैन्य तैयारियों को और भी आधुनिक बनाएगा.

भारत के लिए क्या हैं मायने?

NDAA 2026 में हिंद महासागर को केंद्र में रखना भारत के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है. अमेरिका अब इस क्षेत्र में अपने सहयोगियों (विशेषकर भारत) के साथ मिलकर समुद्री निगरानी (Maritime Awareness) को बढ़ाएगा. साथ ही साथ सैन्य अभ्यास के स्तर और दायरे को विस्तार देगा और इंटेलिजेंस शेयरिंग को और तेज करेगा.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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