रोम:
इटली की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी ने कहा कि दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी अपने नौ सैनिकों को यदि देश भारत वापस नहीं भेजता तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह अलग-थलग पड़ जाता। इसी खतरे को देखते हुए नौ सैनिकों को वापस भारत भेजने का निर्णय लिया गया।
इस मुद्दे पर सरकार से अहमति के कारण इटली के विदेश मंत्री गिलियो तेरजी पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। उनके इस्तीफे के एक दिन बाद बुधवार को संसद में मोंटी ने कहा, "हमारी प्राथमिकता हमारे दो नौ सैनिकों तथा भारत में रह रहे इटली के सभी लोगों की सुरक्षा एवं प्रतिष्ठा थी।"
मोंटी ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत के साथ विवाद के कारण इटली के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाने का खतरा था। उन्होंने कहा कि नौ सैनिकों को वापस भारत भेजने के इटली के फैसले से दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता खुला है, जिससे 'तुरंत समाधान' निकल सकता है।
उन्होंने इस मामले को भारत सरकार द्वारा इटली से हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए हुए विवादास्पद समझौते के आर्थिक हितों से जोड़ने की अटकलों को खारिज किया।
इटली के अस्थाई विदेशमंत्री के रूप में बुधवार को शपथ लेने वाले मोंटी ने तेरजी के इस्तीफे पर हैरानी जताते हुए यह भी कहा कि उन्होंने इस्तीफे की चेतावनी नहीं दी थी।
तेरजी ने मंगलवार को यह कहते हुए इटली के विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था कि अंतरिम सरकार ने उनकी आवाज को अनसुना कर नौ सैनिकों को वापस भारत भेजा।
ज्ञात हो कि इटली के मालवाहक जहाज के दो सुरक्षा कर्मियों- मेस्सिमिलानो लाटोरे तथा सेलवाटोरे जिरोने को आम चुनाव में मतदान करने और परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया था। लेकिन अब इटली ने उन्हें वापस भारत भेजने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। बाद में हालांकि इटली सरकार ने उनकी वापसी पर सहमति जताई और नौ सैनिक भारत लौटे।
इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।
इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी।
इस मुद्दे पर सरकार से अहमति के कारण इटली के विदेश मंत्री गिलियो तेरजी पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। उनके इस्तीफे के एक दिन बाद बुधवार को संसद में मोंटी ने कहा, "हमारी प्राथमिकता हमारे दो नौ सैनिकों तथा भारत में रह रहे इटली के सभी लोगों की सुरक्षा एवं प्रतिष्ठा थी।"
मोंटी ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत के साथ विवाद के कारण इटली के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाने का खतरा था। उन्होंने कहा कि नौ सैनिकों को वापस भारत भेजने के इटली के फैसले से दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता खुला है, जिससे 'तुरंत समाधान' निकल सकता है।
उन्होंने इस मामले को भारत सरकार द्वारा इटली से हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए हुए विवादास्पद समझौते के आर्थिक हितों से जोड़ने की अटकलों को खारिज किया।
इटली के अस्थाई विदेशमंत्री के रूप में बुधवार को शपथ लेने वाले मोंटी ने तेरजी के इस्तीफे पर हैरानी जताते हुए यह भी कहा कि उन्होंने इस्तीफे की चेतावनी नहीं दी थी।
तेरजी ने मंगलवार को यह कहते हुए इटली के विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था कि अंतरिम सरकार ने उनकी आवाज को अनसुना कर नौ सैनिकों को वापस भारत भेजा।
ज्ञात हो कि इटली के मालवाहक जहाज के दो सुरक्षा कर्मियों- मेस्सिमिलानो लाटोरे तथा सेलवाटोरे जिरोने को आम चुनाव में मतदान करने और परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया था। लेकिन अब इटली ने उन्हें वापस भारत भेजने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। बाद में हालांकि इटली सरकार ने उनकी वापसी पर सहमति जताई और नौ सैनिक भारत लौटे।
इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।
इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी।
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