
- जॉर्जियो अरमानी, फैशन इंडस्ट्री के प्रसिद्ध डिजाइनर, 91 वर्ष की आयु में निधन हो गए हैं.
- अरमानी ब्रांड के कपड़े उच्च गुणवत्ता वाले फैब्रिक से बनते हैं, जिनमें इटालियन ऊन और कश्मीरी रेशम शामिल हैं.
- अरमानी का मानना था कि उनके कपड़े केवल फैशन नहीं बल्कि क्लास और अमीरी का प्रतीक हैं.
अरमानी, फैशन की दुनिया का वह ब्रांड जिसका आउटफिट एक बार खरीदना शायद हर किसी का सपना होगा, भले ही वह बस वॉर्डरोब में पड़ा रहे. लेकिन इसे खरीदना हर किसी के बस में नहीं और इस तरह के क्लासिक फैशन ब्रांड को शुरू करने वाले जॉर्जियो अरमानी का शुक्रवार को निधन हो गया. 91 साल की उम्र में उन्होंने इस अलविदा कह दिया लेकिन हकीकत में वह शायद अपने चाहने वालों के बीच में हमेशा जिंदा रहेंगे. अरमानी के चाहने वाले सिर्फ इटली और अमेरिका में ही नहीं बल्कि भारत में भी मौजूद रहे हैं. अरमानी की एक टी-शर्ट की कीमत पांच हजार रुपये से शुरू होती है और 85 हजार रुपये तक जाती है. आखिर कुछ तो खास रहा ही होगा जो लोग इतनी कीमत अदा करके कपड़े पहनते हैं.
तो ये हैं असली वजह
अरमानी हमेशा कहते थे वह हमेशा कपड़ों के लिए हाई क्वालिटी वाला फैब्रिक चुनते हैं. उनके कपड़ों में इटली की खास ऊन से लेकर कश्मीर के रेशम के साथ ही बाकी लग्जरी फैब्रिक का प्रयोग होता है. मैगजीन जीक्यू की रिपोर्ट के अनुसार हर अरमानी आउटफिट को खास और एक्सपर्ट दर्जी से ही बनवाया जाता है. साथ ही सिलाई, लाइनिंग और फिनिशिंग इतनी सटीक होती है कि सूट लंबे समय तक टिके रहते हैं और परफेक्ट फिट देते हैं. वहीं हाई-एंड कलेक्शन ज्यादातर इटली में ही तैयार होते हैं. ऐसे में इसकी लागत भी ज्यादा होती है. इसके अलावा अरमानी हमेशा इस बात पर यकीन करते थे उनके फैशन ब्रांड के कपड़े सिर्फ फैशन नहीं बल्कि एक स्टेटस सिंबल है. उनका मानना था कि अरमानी पहनना मतलब, क्लास, अमीरी और सलीके को कैरी करना.
सेकेंड वर्ल्ड वॉर की यादें
इटली के पियासेंजा में 11 जुलाई को पैदा अरमानी के पिता एक शिपिंग मैनेजर थे. उनके दादा लोदोविको थिएटर कंपनी के लिए विग बनाते थे. उनके माता-पिता की मुलाकात स्टेज पर ही हुई थी. अरमानी ने कई इंटरव्यू में अपने परिवार को बेहद गरीब करार दिया था. वह मानते थे कि खूबसूरती और फैशन उन्हें अपने पिता और मां से विरासत में मिला था. सेकेंड वर्ल्ड वॉर ने उनका बचपन दर्द से भर दिया था. उस समय मित्र देशों की सेनाओं ने आसपास के कारखानों पर बमबारी शुरू कर दी थी. उस समय अरमानी की मां ने पांच साल के अरमानी को उनके भाई-बहनों के साथ करीब के गांव में भेज दिया था. इसी युद्ध के दौरान जॉर्जियो उस समय एक बड़े हादसे का शिकार हो गए जब बैरक में गोले से निकले बारूद में उस समय ब्लास्ट हो गया जब वह अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे. 20 दिन से ज्यादा समय तक अरमानी अस्पताल में रहे.
मिलिट्री सर्विस से फैशन का रुख
दो साल की मिलिट्री सर्विस के लिए अरमानी एक अस्पताल में काम करने के लिए चले गए थे. वापस आकर उन्होंने अपनी मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि वह उन्हें काफी कठिन लगती थी. साल 1954 में डिपार्टमेंटल स्टोर ला रिनासेंटे के विंडो डिस्प्ले पर काम करने लगे. कुछ ही समय बाद, उन्होंने फैशन और स्टाइल डिपार्टमेंट में ग्रेजुएशन कर लिया. साल 1970 के दशक में उस समय की कठोर सिलाई से अलग बिना ढांचे वाला और सॉफ्ट फैब्रिक वाला सूट तैयार करके अरमानी ने पुरुषों के फैशन को ही बदलकर रख दिया. अरमानी पहले ऐसे डिजाइनर थे जिन्होंने 18 साल से कम उम्र के मॉडलों को बैन कर दिया था. आउटफिट्स के अलावा अरमानी होटलों, रेस्टोरेंट, परफ्यूम, होम इंटीरियर और यहां तक कि चॉकलेट के सेक्टर में भी छाए हैं.
फिल्म जिसने पलट दी अरमानी की किस्मत

साल 1980 से थोड़ा पहले की बात है. अरमानी आम 'दर्जी' थे. उनके बनाए कपड़े तब स्टेटमेंट नहीं हुआ करते थे. एक फिल्म आई अमेरिकन जिगोलो. 29 साल के रिचर्ड गेरे (जो शिल्पा शेट्टी को सरेआम किस करने पर घिरे थे.) इस फिल्म के हीरो थे. फिल्म में अरमानी को कॉस्ट्यूम का जिम्मा दिया गया. गेरे पर अरमानी के सूट इतने फबे कि रातोंरात अरमानी का फैशन हर किसी का अरमान बन गया. अरमानी इटली के सबसे अमीर फैशन डिजाइन थे और इनकी संपत्ति अरबों में हैं. हर समय एक सिग्नेचर रॉयल ब्लू टीशर्ट में नजर आने वाले अरमानी ने कभी घर नहीं बसाया. अरमानी एक बेहद निजी व्यक्ति थे. वैनिटी फेयर को दिए एक खास इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उनके पुरुषों और महिलाओं दोनों के साथ संबंध थे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं