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ट्रंप शांति नोबेल के हकदार हैं या मानवता के गुनहगार? पढ़ें युद्ध रुकवाने से लेकर टैरिफ लगाने तक का पूरा एनालिस

पाकिस्तान जो दुनिया में आतंक के एपिसेंटर के तौर पर जाना जाता है और ट्रंप भी इस बात को खुद कह चुके हैं. लेकिन ना जाने क्यों अब ट्रंप उस पाकिस्तान पर नरम पड़ रहे हैं.

ट्रंप शांति नोबेल के हकदार हैं या मानवता के गुनहगार? पढ़ें युद्ध रुकवाने से लेकर टैरिफ लगाने तक का पूरा एनालिस
ट्रंप के अजब-गजब के बयान इन दिनों चर्चाओं में हैं
  • डोनाल्ड ट्रंप के लागू किए गए टैरिफ से विश्व आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो रही है.
  • ट्रंप टैरिफ के कारण छोटे देशों की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है, जिनमें सीरिया, रवांडा और म्यामांर शामिल हैं.
  • अमेरिका ने कुछ देशों के साथ ट्रेड डील की है, लेकिन ये डील अमेरिका को बाजार में असीमित पहुंच देती हैं.
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नई दिल्ली:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार पाने की इच्छा जगजाहिर है. जहां एक तरफ ट्रंप दुनियाभर के उलझे मुद्दों को डील कराकर सुलझाने का दावा करते रहते हैं. तो वहीं दूसरी तरफ ट्रंप के टैरिफ के कारण दुनियाभर में आर्थिक अशांति का माहौल बना हुआ है. ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि क्या ट्रंप सच में नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं या वें मानवता के गुनहगार हैं. आइए जानते हैं विस्तार से.

अमेरिका की जनता भी होगी टैरिफ से त्रस्त

2 अप्रैल 2025 से शुरू हुई ट्रंप टैरिफ की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही है. दुनियाभर के ज्यादातर सभी देश ट्रंप के टैरिफ को 7 अगस्त के बाद झेलने वाले हैं. हालांकि कुछ देशों के साथ अमेरिका ने ट्रेड डील भी साइन की है, लेकिन हर डील में एक बात समान है, अमेरिका को उन देशों की मार्केट के लिए असीमित पहुंच और उनके सामानों पर अमेरिका में बिक्री पर टैरिफ. ट्रंप टैरिफ के माध्यम से अमेरिका को दोबारा महान बनाने का दम रखते हैं, लेकिन क्या इन टैरिफ्स से अमेरिका की जनता पर ही सामान का ज्यादा दाम देने का बोझ नहीं बढ़ेगा? 

छोटे देशों को बरबाद कर सकता है ट्रंप का टैरिफ 

बड़े देश तो एक बार के लिए फिर भी टैरिफ से बचाव के लिए नए ट्रेड पार्टनर्स की खोज या इस अमेरिका के साथ बातचीत का रास्ता अपना सकते हैं. लेकिन कई छोटे देश जिनकी अर्थव्यवस्था पहले से ही धूल चाट रहीं हैं, उनके लिए ये टैरिफ उन्हें बरबाद करने वाला साबित हो सकता है. सीरिया जैसा देश जो एक लंबी अस्थिरता के बाद अब थोड़ा संभलने का प्रयास कर रहा है उस देश पर 41% जितना भारी-भरकम टैरिफ एक स्थिर सीरिया के सपने को बस सपना ही बना देने के लिए काफी है. ऐसी ही रवांडा और म्यामांर के साथ भी हुआ है जिनपर 40% जैसे भारी-भरकम टैरिफ का बोझ आने वाला है. सवाल ये है कि क्या सीरिया, रवांडा और म्यामांर जैसे देश कैसे इस टैरिफ वॉर में टिक पाएंगे?

पाकिस्ताने के साथ ट्रंप की गलबहियां

पाकिस्तान जो दुनिया में आतंक के एपिसेंटर के तौर पर जाना जाता है और ट्रंप भी इस बात को खुद कह चुके हैं. लेकिन ना जाने क्यों अब ट्रंप उस पाकिस्तान पर नरम पड़ रहे हैं, जिसने एक समय पर अमेरिका के दुशमन ओसामा बिन लादेन को पनाह दी थी. ट्रंप ने जहा एक तरफ भारत जैसे दोस्ताना देश पर 25% टैरिफ का ऐलान किया है, तो वहीं पाकिस्तान पर एशिया में अब तक का सबसे कम 19% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. एक्सपर्ट्स पाकिस्तान के साथ ट्रंप के मधुर संबंधों का कारण ट्रंप परिवार का पाकिस्तान में निवेश, भविष्य में ईरान के साथ होने वाले संभावित युद्ध में पाकिस्तान से स्ट्रैटेजिक फ़ायदा और पाकिस्तान के द्वारा डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मनोनीत करना बता रहे हैं. ट्रंप के टैरिफ जहां कुछ सहयोगी देशों के लिए सिर्फ 10-15% तक की सीमा के बीच ही हैं, तो वहीं ब्राजील जैसे देश जिसपर ट्रंप ने 50% टैरिफ लगाया है.

ये ब्राजील की अर्थव्यवस्था के लिए घातक होने जा रहा है. ट्रंप ने कनाडा पर भी 35% टैरिफ लगाया है और कई बार सार्वजनिक मंचों से कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य तक कहा है. साथ ही साथ ट्रंप ने इजरायल- गाजा जंग के बीच गाजा को एक ‘सी फेसिंग प्रॉपर्टी' भी बताया था. तो क्या ये गाजा में जंग से मारे जा रहे लोगों की मौत का मखौल उड़ाने जैसे नहीं है. तो जहां एक तरफ ट्रंप देशों की संप्रभुता और मानवता का भी सम्मान नहीं कर रहे हैं, तो क्या उन्हें नोबल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए या नहीं? ये सवाल अब भी बरकरार है. (रिटन बॉय वैभव शर्मा) 

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