बीजिंग:
चीन के नए नेता शी चिनपिंग ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आश्वासन दिया है कि बीजिंग भारत के साथ रिश्तों के विकास को अत्यधिक महत्व देगा क्योंकि द्विपक्षीय सहयोग दोनों देशों के लोगों के लिए काफी लाभकारी हैं।
शी ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है ‘जैसा कि चीन करता रहा है, आगे भी भारत के साथ रिश्तों के विकास को वह अत्यधिक महत्व देगा और उसे द्विपक्षीय संबंधों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए भारत के साथ करीबी सहयोग की आकांक्षा है।’ यह पत्र सिंह को 11 जनवरी को शीर्ष चीनी राजनयिक दाई बिंगो ने नई दिल्ली में दिया।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने शी को यह कहते हुए उद्धृत किया है ‘चीन भारत संबंधों में बीते कुछ बरसों में लगभग स्थिरता रही है जिससे दोनों देशों और उनकी जनता को लाभ हुआ है।’ उन्होंने कहा कि चीन और भारत के समान विकास के लिए दुनिया में पर्याप्त गुंजाइश है और दुनिया को भी समान विकास की जरूरत है।
नई दिल्ली में पिछले सप्ताह ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बैठक हुई थी। इसी सिलसिले में भारत चीन सीमा वार्ता के प्रमुख वार्ताकार दाई बिंगो नई दिल्ली आए थे।
समझा जाता है कि शी का यह पत्र सिंह के उस पत्र के जवाब में था जो सिंह ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के महासचिव पद पर शी के निर्वाचन और हू जिंताओ का उत्तराधिकारी बनने के बाद लिखा था।
सिंह ने अपने पत्र में नए चीनी नेतृत्व को बधाई दी थी। साथ ही उन्होंने दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने का आश्वासन भी दिया था। सिंह का यह पत्र राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने पिछले माह बीजिंग यात्रा के दौरान शी को सौंपा था। दाई स्टेट काउंसिलर और शीर्ष राजनयिक के पद से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। करीब एक दशक तक इस पद पर रहते हुए उन्होंने मेनन और उनके कई पूर्ववर्तियों के साथ 15 दौर की बातचीत की।
सिंह के साथ बैठक में दाई ने कहा कि पिछले दस साल में चीन और भारत के द्विपक्षीय संबंधों में कई बड़े घटनाक्रम हुए हैं।
दोनों देशों ने अपने विवादों तथा मतभेदों को काबू में रखा और द्विपक्षीय संबंधों को विकास की ओर अग्रसर किया। इसके साथ ही दोनों देशों ने सह अस्तित्व के मित्रतापूर्ण संबंधों को बनाए रखने का तरीका भी खोजा।
दाई ने कहा कि अगले पांच से दस साल में चीन और भारत के सामने अपने संबंधों के विकास के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अवसर आएंगे।
उन्होंने दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बने रहने की उम्मीद जाहिर की और यह भरोसा भी जताया कि दोनों देशों के नेताओं के मार्गदर्शन में चीन भारत संबंधों का अच्छी तरह विकास होगा।
शी ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है ‘जैसा कि चीन करता रहा है, आगे भी भारत के साथ रिश्तों के विकास को वह अत्यधिक महत्व देगा और उसे द्विपक्षीय संबंधों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए भारत के साथ करीबी सहयोग की आकांक्षा है।’ यह पत्र सिंह को 11 जनवरी को शीर्ष चीनी राजनयिक दाई बिंगो ने नई दिल्ली में दिया।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने शी को यह कहते हुए उद्धृत किया है ‘चीन भारत संबंधों में बीते कुछ बरसों में लगभग स्थिरता रही है जिससे दोनों देशों और उनकी जनता को लाभ हुआ है।’ उन्होंने कहा कि चीन और भारत के समान विकास के लिए दुनिया में पर्याप्त गुंजाइश है और दुनिया को भी समान विकास की जरूरत है।
नई दिल्ली में पिछले सप्ताह ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बैठक हुई थी। इसी सिलसिले में भारत चीन सीमा वार्ता के प्रमुख वार्ताकार दाई बिंगो नई दिल्ली आए थे।
समझा जाता है कि शी का यह पत्र सिंह के उस पत्र के जवाब में था जो सिंह ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के महासचिव पद पर शी के निर्वाचन और हू जिंताओ का उत्तराधिकारी बनने के बाद लिखा था।
सिंह ने अपने पत्र में नए चीनी नेतृत्व को बधाई दी थी। साथ ही उन्होंने दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने का आश्वासन भी दिया था। सिंह का यह पत्र राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने पिछले माह बीजिंग यात्रा के दौरान शी को सौंपा था। दाई स्टेट काउंसिलर और शीर्ष राजनयिक के पद से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। करीब एक दशक तक इस पद पर रहते हुए उन्होंने मेनन और उनके कई पूर्ववर्तियों के साथ 15 दौर की बातचीत की।
सिंह के साथ बैठक में दाई ने कहा कि पिछले दस साल में चीन और भारत के द्विपक्षीय संबंधों में कई बड़े घटनाक्रम हुए हैं।
दोनों देशों ने अपने विवादों तथा मतभेदों को काबू में रखा और द्विपक्षीय संबंधों को विकास की ओर अग्रसर किया। इसके साथ ही दोनों देशों ने सह अस्तित्व के मित्रतापूर्ण संबंधों को बनाए रखने का तरीका भी खोजा।
दाई ने कहा कि अगले पांच से दस साल में चीन और भारत के सामने अपने संबंधों के विकास के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अवसर आएंगे।
उन्होंने दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बने रहने की उम्मीद जाहिर की और यह भरोसा भी जताया कि दोनों देशों के नेताओं के मार्गदर्शन में चीन भारत संबंधों का अच्छी तरह विकास होगा।