प्रतीकात्मक चित्र
बीजिंग:
चीन की नवगठित सैन्य इकाई 'रॉकेट फोर्स' अपने साथ परमाणु पनडुब्बियों और बमवर्षक विमानों को शामिल करके दुनिया में पहली ऐसी स्वतंत्र इकाई बन सकती है जिसके पास थल, जल और वायुसेना की संयुक्त शक्ति होगी।
चीन की सेना के आधिकारिक प्रकाशन ‘चाइना मिलिट्री ऑनलाइन’ ने एक विशेषज्ञ के हवाले से एक लेख में कहा कि नौसेना की परमाणु पनडुब्बी और वायुसेना के बमवर्षक विमान को शामिल करने के बाद पीएलए रॉकेट फोर्स जल, थल और वायु सैन्य बलों की क्षमता वाली पहली स्वतंत्र इकाई बन जाएगी जो अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस से ज्यादा एकीकृत होगी।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने बड़े फेरबदल के साथ नए साल की शुरुआत की है। उसने रणनीतिक मिसाइल फोर्स के दर्जे को बढ़ाकर इसे सेना, नौसेना और वायुसेना की क्षमता वाली एकीकृत इकाई बना दिया है।
उसने रणनीतिक सहयोग बल (एसएसएफ) का भी गठन किया है ताकि युद्ध के दौरान मिसाइल हमले के लिए उचित इलेक्ट्रॉनिक और साइबर खुफिया जानकारी मुहैया कराई जा सके। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ‘सेकंड आर्टिलरी कोर’ (एसएसी) का नाम बदलकर पीएलए रॉकेट फोर्स (पीआरएफ) कर दिया और एसएसएफ के गठन का ऐलान किया। एसएसी की स्थापना 1966 में की गई थी।
कम, मध्यम और लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम परमाणु और पारंपरिक मिसाइल के जखीरे के साथ चीन का मिसाइल बल दुनिया के सबसे बड़े मिसाइल बलों में से एक माना जाता है।
पीआरएफ की जरूरत पर जोर देते हुए चीन की सेना के आधिकारिक प्रकाशन में विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग के हवाले से कहा गया है, ‘‘चीन को हमेशा बड़ी ताकतों की घेराबंदी का सामना करना पड़ता है। समुद्र के दूसरी तरफ के देश के पास समुद्र में शक्तिशाली नौसेना और वायुसेना भी शक्तिशाली है। चीन की नौसेना और वायुसेना अल्पकालीन समय में समग्र रूप से मुकाबला नहीं कर पाएंगे।’’
सोंग ने कहा कि पीआरएफ भविष्य में परमाणु और पारंपरिक दोनों हथियारों को शामिल कर सकता है। परमाणु बल थल, जल और वायु तीनों को कवर कर लेगा।
चीन की सेना के आधिकारिक प्रकाशन ‘चाइना मिलिट्री ऑनलाइन’ ने एक विशेषज्ञ के हवाले से एक लेख में कहा कि नौसेना की परमाणु पनडुब्बी और वायुसेना के बमवर्षक विमान को शामिल करने के बाद पीएलए रॉकेट फोर्स जल, थल और वायु सैन्य बलों की क्षमता वाली पहली स्वतंत्र इकाई बन जाएगी जो अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस से ज्यादा एकीकृत होगी।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने बड़े फेरबदल के साथ नए साल की शुरुआत की है। उसने रणनीतिक मिसाइल फोर्स के दर्जे को बढ़ाकर इसे सेना, नौसेना और वायुसेना की क्षमता वाली एकीकृत इकाई बना दिया है।
उसने रणनीतिक सहयोग बल (एसएसएफ) का भी गठन किया है ताकि युद्ध के दौरान मिसाइल हमले के लिए उचित इलेक्ट्रॉनिक और साइबर खुफिया जानकारी मुहैया कराई जा सके। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ‘सेकंड आर्टिलरी कोर’ (एसएसी) का नाम बदलकर पीएलए रॉकेट फोर्स (पीआरएफ) कर दिया और एसएसएफ के गठन का ऐलान किया। एसएसी की स्थापना 1966 में की गई थी।
कम, मध्यम और लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम परमाणु और पारंपरिक मिसाइल के जखीरे के साथ चीन का मिसाइल बल दुनिया के सबसे बड़े मिसाइल बलों में से एक माना जाता है।
पीआरएफ की जरूरत पर जोर देते हुए चीन की सेना के आधिकारिक प्रकाशन में विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग के हवाले से कहा गया है, ‘‘चीन को हमेशा बड़ी ताकतों की घेराबंदी का सामना करना पड़ता है। समुद्र के दूसरी तरफ के देश के पास समुद्र में शक्तिशाली नौसेना और वायुसेना भी शक्तिशाली है। चीन की नौसेना और वायुसेना अल्पकालीन समय में समग्र रूप से मुकाबला नहीं कर पाएंगे।’’
सोंग ने कहा कि पीआरएफ भविष्य में परमाणु और पारंपरिक दोनों हथियारों को शामिल कर सकता है। परमाणु बल थल, जल और वायु तीनों को कवर कर लेगा।
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