
- नेपाल में जेन-जी समूह के नेतृत्व में हुए हिंसक प्रदर्शनों में तीन पुलिसकर्मियों समेत 25 पच्चीस लोग मारे गए.
- नेपाल सेना ने देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश और कर्फ्यू लगाकर सुरक्षा अभियानों की कमान संभाल ली है.
- जनरल सिगडेल ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की अपील की, उनके पीछे 18वीं सदी के राजा की तस्वीर नजर आई.
नेपाल में पिछले दो दिनों में जेन-जी समूह के नेतृत्व में हुए सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान तीन पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 25 लोग मारे गए. पुलिस और अधिकारियों की तरफसे बुधवार को इस बात की जानकारी दी गई है. नेपाल सेना ने बुधवार को विरोध प्रदर्शनों की आड़ में संभावित हिंसा को रोकने के लिए देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश और कर्फ्यू लगा दिया. सेना ने मंगलवार रात 10 बजे से सुरक्षा अभियानों की कमान संभाल ली है. इसके साथ ही जनरल सिगडेल ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए आगे आने की अपील की. जिस समय जनरल सिगडेल प्रदर्शनकारियों से अपील कर रहे थे, उनके पीछे लगी एक तस्वीर ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा. आइए आपको बताते हैं कि आखिर किसकी है वह फोटो और कैसे उन्होंने आधुनिक नेपाल की नींव डाली थी.
18वीं सदी के राजा पृथ्वी नारायण
जनरल सिगडेल के पीछे जो फोटो नजर आई वह दरअसल 18वीं सदी के मध्य के पूर्व हिंदू राजा पृथ्वी नारायण शाह. राजा पृथ्वी नारायण शाह ने क्षेत्रीय एकीकरण के अपने अभियानों के जरिए आधुनिक नेपाल की नींव रखी थी. जैसे ही जनरल सिगडेल की फोटो आई सोशल मीडिया पर तहलका मच गया.
इस फोटो के आते ही लोगों ने अलग-अलग तरह से सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी. कुछ लोगों का कहना था कि जनरल सिगडेल के पीछे पृथ्वी नारायण शाह की तस्वीर की मौजूदगी एक 'असाधारण' घटना है और एक बड़ा संकेत है.
नेपाल एशिया का वह देश जिस पर आधुनिक इतिहास के ज्यादातर समय शाह वंश की राजशाही का शासन रहा है. साल 2008 में माओवादी विद्रोह द्वारा शाह वंश के वर्तमान प्रमुख, राजा ज्ञानेंद्र शाह को गद्दी से उतारने से पहले, यह अंतिम हिंदू साम्राज्य था. 17 वर्षों में 13 सरकारों के चक्र से गुजर चुके नेपाल में इस साल की शुरुआत से ही नई राजशाही की वापसी को लेकर प्रदर्शन हुए हैं.
एक गोरखा राजा था पृथ्वी
द सिक्किम टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी नारायण शाह एक हिंदू राजा और आधुनिक नेपाल के फाउंडर थे. उनके पूर्वज राजस्थानी राजपूत थे. उन्होंने नेपाल को 'यो थान ता असली हिंदुस्तान रहेछा' (यह स्थान वास्तविक हिंदुस्तान है) कहा था. राजा पृथ्वी नारायण शाह एक गोरखा राजा थे. कहते हैं कि उन्होंने नेपाल (अब काठमांडू घाटी) की सुंदरता से मोहित होकर, उस क्षेत्र को जीतने के बाद अपनी राजधानी गोरखा से नेपाल में बदलने का फैसला किया.
मृत्यु के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी हावी
अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने नेपाल को उसकी वर्तमान सीमा तक बढ़ाया. उन्होंने नेपाल के विस्तार के लिए युद्ध लड़ते हुए अपने जीवन के 30 वर्ष बिताए, असफलताओं के बावजूद, वे सफल रहे. उन्हें सिर्फ नुवाकोट के राजा के हाथों हार मिली थी. उन्होंने नेपाली भूमि में बंगाल के नवाबों और बनारस के करीब ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ युद्ध किया.
उनकी मृत्यु के बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी ने नेपाल पर फिर से हमला किया, लेकिन पहले प्रयास में अंग्रेज हार गए. यह भारतीय उपमहाद्वीप में औपचारिक युद्ध में उनकी पहली हार थी. बाद में उन्होंने सीमा के पांच जगहों से नेपाल पर फिर से हमला किया. सुगौली की संधि के जरिये से नेपाल ने अपनी एक तिहाई भूमि अंग्रेजों को दे दी जिसमें महाकाली के पश्चिम और मेची के पूर्व की भूमि शामिल थी.
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