अस्पताल में विज्ञान-बाहर आस्था : कोरोना से बचाव के लिए लोग अपना रहे अलग-अलग नुस्खे

कानपुर के हैलेट अस्पताल के अंदर कोविड वॉर्ड के बाहर कोरोना माता को खुश करने के लिए लोग भजन गा रहे हैं. वॉर्ड के अंदर विज्ञान काम कर रहा है और वॉर्ड के बाहर आस्था.

अस्पताल में विज्ञान-बाहर आस्था : कोरोना से बचाव के लिए लोग अपना रहे अलग-अलग नुस्खे

यूपी में कोरोना के खात्मे के लिए भजन-कीर्तन हो रहे हैं. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • कोरोना के खात्मे को अंधविश्वास का सहारा
  • पीपल के पेड़ के नीचे सो रहे हैं लोग
  • कोरोना के नाश के लिए भजन-कीर्तन भी
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Covid-19) में कोरोनावायरस (Coronavirus) की दवा-इलाज के साथ-साथ उसका नाश करने के लिए बड़े पैमाने पर दुआ, ताबीज, झाड़-फूंक, टोना-टोटका और पूजा-पाठ चल रहा है. कई जगहों पर अस्पतालों के अंदर भजन-कीर्तन हो रहा है. यही नहीं, ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए कुछ लोग पीपल के पेड़ के ऊपर सो रहे हैं तो कुछ पीपल के पेड़ के नीचे.

आगरा के नोबरी गांव में विनोद शर्मा अब रोज पांच घंटे पीपल के पेड़ पर सोते हैं. वो कहते हैं कि ऑक्सीजन के मामले में वो आत्मनिर्भर हो गए हैं. सरकार के ऑक्सीजन सिलेंडर और विदेशी ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर पर वो आश्रित नहीं हैं. उन्होंने कहा, हम लोग सरकार के सहारे नहीं हैं. युवा वर्ग हैं. मैं यहां (पीपल के पेड़ के नीचे) 15 दिन से बैठ रहा हूं. डेली आता हूं. पांच घंटे बैठकर जाता हूं. ऑक्सीजन लेवल बिल्कुल फिट है. हमारे करीब 25-30 लोग हैं. बुजुर्ग भी आते हैं. ऑक्सीजन लेवल करीब-करीब कंट्रोल हो चुका है उनका.'

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कानपुर के हैलेट अस्पताल के अंदर कोविड वॉर्ड के बाहर कोरोना माता को खुश करने के लिए लोग भजन गा रहे हैं. वॉर्ड के अंदर विज्ञान काम कर रहा है और वॉर्ड के बाहर आस्था. खाटू श्याम परिवार के सदस्य गौरव खन्ना कहते हैं, 'आज हमने गेट के बाहर पूरा दरबार सजाया और एक अरदास की है. हमारे नितिन भैया ने एक भजन तैयार किया और बाबा से कहा कि इस महामारी से सबको निजात मिल जाए और जितने भी पीड़ित हैं, वो सकुशल सही होकर घर जाएं.'

रायबरेली के AIIMS कंपाउंड और जिला अस्पताल परिसर, दोनों जगह कोरोना के खात्मे के लिए हवन किया गया. चंदौली में भी बड़ा हवन किया गया. मेरठ, सहारनपुर, हापुड़, फिरोजाबाद और मुरादाबाद में बीजेपी से जुड़े लोगों ने मोबाइल हवन किया. लोग कहीं ठेलों तो कहीं ट्रैक्टर ट्रॉली पर हवन करते गांव-गांव घूमे. प्रदेश के तमाम जिलों में महिलाएं मंदिरों और नदियों के किनारों और पेड़ों के इर्द-गिर्द कोरोना के लिए गीत गाती रहीं.

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बाराबंकी के जैदपुर में भी एक पीपल के नीचे लोगों की भीड़ दिखी. गांववाले ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए काफी वक्त पीपल के पेड़ के नीचे गुजारते हैं, हालांकि कोरोना मरीजों का ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह यह है कि उनके फेफड़े वातावरण से जरूरी ऑक्सीजन खींच नहीं पा रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें अलग से ऑक्सीजन देनी पड़ती है. गांववालों को लगता है कि पीपल के पेड़ के नीचे बैठने से ऑक्सीजन अपने आप अंदर चली जाएगी. लोग इस बात को पूरे दावे के साथ कहने से गुरेज नहीं करते हैं कि पीपल के पेड़ के नीचे बैठने से उनका ऑक्सीजन लेवल ठीक हुआ है.

गौरतलब है कि पीपल में औषधीय गुण भी होते हैं. उसके नीचे बैठने से प्रदूषण मुक्त ताजी हवा मिलती है, ऑक्सीजन मिलती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आपका ऑक्सीजन लेवल 80-85 है तो वह 97 हो जाएगा. अगर यही हो रहा होता तो दुनिया में लाखों लोग पीपल के पेड़ के नीचे बैठ जाते और ऑक्सीजन की कमी से उनकी मौत नहीं होती.

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