
GST स्लैब में हुए सरलीकरण के बाद 22 सितंबर से देश में 4 की बजाय 2 ही स्लैब लागू हैं. 12 फीसदी और 28 फीसदी वाला स्लैब खत्म कर दिया गया है और अब केवल 5 फीसदी और 18 फीसदी वाले स्लैब बचे हैं. ऐसे में कुछ वस्तुओं और सेवाओं में ITC यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट का पेच फंस रहा है. होटल में 7,500 रुपये प्रतिदिन किराये तक वाले कमरे 12% वाले GST स्लैब के अंतर्गत आते थे, जिन पर GST अब घटा कर 5% कर दिया गया है. सरकार के इस कदम से ग्राहकों को तो राहत मिलने वाली है, लेकिन ITC का लाभ हटाए जाने से ये होटल वालों के लिए थोड़ा घाटे जैसा है. ऐसे में होटल निकाय ने सरकार से आईटीसी बहाल करने की मांग की है.
एक आशंका ये जताई जा रही है कि आईटीसी में छूट नहीं मिलने पर, होटल इंडस्ट्री वो हिस्सा कहीं किराया बढ़ाकर तो पूरा नहीं करने लग जाएगी.
क्या है पूरा मामला?
फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) ने शनिवार को 7,500 रुपये तक किराए वाले कमरे पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) बहाल करने की मांग की. सरकार ने इन कमरों के किराए पर लगने वाले माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को 12% से घटाकर 5% कर दिया है. हालांकि, जीएसटी में कटौती से पहले आईटीसी का प्रावधान था, जिसे अब हटा दिया गया है.
क्या है ITC का पेच?
दरअसल, होटल चलाने वाली कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की सुविधा थी, जिसके तहत वे ग्राहकों से वसूले गए 12% फीसदी में से कुछ खर्चों पर टैक्स काट कर सरकार को पे करते थे. यानी वे अपने खर्चों पर जो टैक्स देते हैं, उसे ग्राहकों से वसूले गए टैक्स में से समायोजित (adjust) कर सकते थे. अब चूंकि नई व्यवस्था में ITC का प्रावधान हटा दिया गया है, तो होटल अपने खर्च पर दिए जाने वाले टैक्स का हिस्सा क्रेडिट नहीं करा पाएंगे.
90% होटलों को दिक्कत
एफएचआरएआई (FHRAI) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार जयसवाल बताया कि देश में 90 फीसदी प्रतिशत होटल ऐसे हैं जिनका कमरे का किराया 7,500 रुपये से कम होता है और अब उन पर पांच प्रतिशत जीएसटी लागू है लेकिन आईटीसी नहीं मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि भले ही जीएसटी की दरें घटाकर उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने, कर प्रणाली को सरल बनाने और उद्योग को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है, लेकिन आईटीसी हटाने से होटल उद्योग पर नया खर्च बढ़ गया है, खासकर छोटे और मझोले शहरों में.
आईटीसी हटने से होटल वालों को किराया, बिजली-पानी, बाहरी कर्मचारियों का खर्च और पूंजीगत निवेश पर जो कर देना पड़ता है, वह वापस नहीं मिल पाता, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि ऐसे में नया निवेश प्रभावित होगा.
FHRAI ने सरकार से जल्द से जल्द आईटीसी को फिर से लागू करने और टैक्स नियमों में स्पष्टता लाने के लिए सर्कुलर जारी करने का अनुरोध किया है.
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