
साल 2025 तक आते-आते दुनिया की कई बड़ी इकोनॉमी Central Bank Digital Currency (CBDC) की तरफ बढ़ चुकी हैं. भारत भी अब इस रेस में पीछे नहीं है. चीन जहां इस मामले में सबसे आक्रामक रहा है, वहीं भारत का Digital Rupee अब टेस्टिंग से निकलकर धीरे-धीरे लोगों की जेब में पहुंचने की तैयारी में है. हालांकि RBI अब भी इसे "पायलट मोड" में ही बता रहा है, लेकिन इसके बावजूद देश के 15 से ज्यादा बड़े बैंक Digital Rupee को लोगों तक पहुंचाने के लिए ऐप्स के जरिए इसका इस्तेमाल करवा रहे हैं.
क्या Digital Rupee लॉन्च हो चुका है? क्या इसे यूज़ कर सकते हैं?
हां, दिसंबर 2022 में Digital Rupee का रिटेल वर्जन लॉन्च किया गया था. इसके साथ ही होलसेल ट्रांजैक्शन्स के लिए भी अलग सिस्टम शुरू हुआ था. हालांकि RBI अभी भी इसे पायलट के रूप में ही देख रहा है. Digital Rupee पर न तो कोई इंटरेस्ट मिलता है और न ही ट्रांजैक्शन फीस लगती है. यह पूरी तरह से सरकार की गारंटी पर आधारित है. ठीक वैसे ही जैसे आप कैश इस्तेमाल करते हैं.
अभी Axis Bank, SBI, HDFC जैसे 15 बैंक डिजिटल रुपी ऐप्स की टेस्टिंग कर रहे हैं. इनमें से कुछ ऐप्स सीधे UPI से जुड़े हैं, लेकिन UPI से ये पूरी तरह अलग सिस्टम है.
Digital Rupee का फायदा क्या है?
RBI इसे real-time, seamless और भरोसेमंद पेमेंट सिस्टम के रूप में पेश कर रहा है. लेकिन इसके बावजूद 2024 के आखिर तक इसका यूज़ देश में मौजूद कुल कैश का सिर्फ 0.006% रहा है. यानी लोगों ने इसे अपनाया नहीं है.
UPI और Bitcoin से तुलना क्यों हो रही है?
भारत में आज की तारीख में UPI सबसे पॉपुलर डिजिटल पेमेंट सिस्टम है. लोग गूगल पे, फोनपे, पेटीएम जैसी ऐप्स से जो भी पेमेंट करते हैं, वो सब UPI पर आधारित है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर UPI इतना सफल है तो डिजिटल रुपी की जरूरत क्या है?
चीन में भी ऐसा ही हो रहा है. वहां e-CNY नाम की डिजिटल करेंसी है, लेकिन लोग अब भी WeChat Pay और Alipay ही ज़्यादा यूज़ करते हैं. भारत में भी यही ट्रेंड दिख रहा है.
Bitcoin की बात करें तो वो न किसी देश से जुड़ा है, न किसी एक करेंसी से. वो पूरी तरह ओपन-सोर्स है और उस पर सरकार की पकड़ नहीं होती. वहीं डिजिटल रुपी को RBI पूरी तरह कंट्रोल करता है.
क्या Digital Rupee से प्राइवेसी पर असर पड़ेगा?
यह एक बड़ा सवाल है. RBI ने अभी तक Digital Rupee से जुड़े टेक्निकल डिटेल्स साफ नहीं किए हैं. मसलन, इसमें कितनी ट्रैकिंग होती है, यूजर का डेटा कितना स्टोर होता है या कौन क्या खरीद रहा है, इस पर पब्लिक डोमेन में ज्यादा जानकारी नहीं है.इस वजह से कई लोग ये मानते हैं कि Digital Rupee के जरिए सरकार लोगों के खर्च की आदतों पर और ज़्यादा नजर रख सकती है.
डिजिटल कंट्रोल की ओर भारत का नजरिया
यह भी बहस का मुद्दा है. जिस तरह से RBI इसे प्रमोट कर रहा है, उससे लगता है कि यह एक ऐसा सॉल्यूशन है जिसे पहले तैयार किया गया और अब उसके लिए प्रॉब्लम ढूंढी जा रही है.जैसे-जैसे इसकी टेस्टिंग आगे बढ़ रही है, कुछ व्यवहारिक परेशानियां सामने आ रही हैं. जैसे, इसमें ट्रांजैक्शन सिर्फ फिक्स डिनोमिनेशन में ही हो पा रहे हैं, जो कि एक लिमिटेशन है.इतिहास भी बताता है कि भारत का नजरिया डिजिटल कंट्रोल की ओर रहा है.
क्या RBI इसे इंटरनेशनल लेवल पर ले जाएगा?
फिलहाल इसका कोई बड़ा संकेत नहीं मिला है. चीन जहां e-CNY को इंटरनेशनल लेनदेन के लिए टेस्ट कर रहा है, वहीं भारत अभी तक Digital Rupee को सिर्फ घरेलू लेनदेन के लिए ही इस्तेमाल कर रहा है.Digital Rupee फिलहाल एक नया प्रयोग है. इसका यूज़ कितना बढ़ेगा, क्या UPI को टक्कर मिल पाएगी, और क्या लोगों को इसमें भरोसा आएगा, ये सब आने वाला वक्त बताएगा.
फिलहाल ये जरूर कहा जा सकता है कि RBI की ये कोशिश भारत के फाइनेंशियल सिस्टम को और ज़्यादा डिजिटल और कंट्रोल्ड बनाने की दिशा में एक और कदम है. लेकिन आम यूज़र्स के लिए इसमें क्या खास बात है, इसका जवाब अभी धुंधला ही है.
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