असम के NRC से क्यों बाहर हो सकते हैं हजारों वास्तविक भारतीय, NDTV की पड़ताल

अब जबकि एनआरसी के लिए दावे और आपत्ति की प्रक्रिया समाप्त हो गई है और सत्यापन शुरू होने वाला है, तब एनडीटीवी की पड़ताल में बिलकुल अलग कहानी सामने आई है.

असम के NRC से क्यों बाहर हो सकते हैं हजारों वास्तविक भारतीय, NDTV की पड़ताल

असम एनआरसी की पड़ताल में बिलकुल अलग कहानी सामने आई है. (फाइल फोटो)

असम:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी सप्ताह असम में एक चुनावी रैली में दावा किया था कि कोई भी वास्तविक भारतीय एनआरसी (NRC) में नहीं छूटेगा, लेकिन अब जबकि एनआरसी के लिए दावे और आपत्ति की प्रक्रिया समाप्त हो गई है और सत्यापन शुरू होने वाला है, तब एनडीटीवी की पड़ताल में बिलकुल अलग कहानी सामने आई है. एनडीटीवी ग्राउंड जीरो पर पहुंचा और पाया कि अभी भी तमाम ऐसे लोग, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर तबके के हैं, जो एनआरसी के लिए दावा नहीं कर पाए, क्योंकि दावा प्रक्रिया बेहद जटिल है. दूसरी तरफ, अलग-अलग मुद्दों को लेकर पिछले कुछ दिनों में 3 लाख से ज्यादा आपत्तियां प्रस्तुत की गई हैं. आपको बता दें कि 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित एनआरसी की ड्राफ्ट लिस्ट के बाद दावों और आपत्तियों की समय-सीमा समाप्त हो चुकी है. ड्राफ्ट लिस्ट में छूटे करीब 40 लाख लोगों में से कम से कम 34 लाख लोगों ने नागरिकता के लिए दावा कर दिया है, लेकिन करीब 6 लाख लोग अभी भी छूट गए हैं. 

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एनडीटीवी सर्वाधिक दावे और आपत्तियों वाले मुस्लिम बहुल बारपेटा जिले में पहुंचा और पाया कि यहां की हकीकत कुछ और है. हमारी मुलाकात गरीब तबके से ताल्लुक रखने वाले और लकड़हारे (वुड कटर) का काम करने वाले 58 वर्षीय इंद्र भानु मजुमदार से हुई. नौ लोगों के उनके परिवार में, दो छोटी बेटियों का नाम एनआरसी की ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं था और दोबारा दावा भी नहीं कर पाए. इसकी वजह यह है कि वे जब भी स्थानीय नागरिक सेवा केंद्र पर दावे के लिए गए, न तो कथित तौर पर उनकी किसी ने मदद की और न ही यह बताया कि अब आगे क्या करना है. इंद्र भानु मजुमदार के अलावा ऐसे तमाम परिवार हैं, जिनकी कमोबेश यही कहानी है. अब इनके भाग्य का फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है, जो एनआरसी की मॉनीटरिंग कर रहा है. आपको बता दें कि बीते तीन दिनों में आई करीब 3 लाख आपत्तियों में से 1 लाख के आसपास आपत्तियां अकेले बारपेटा जिले की ही हैं. 

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आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम की बराक घाटी के लोगों को आश्वस्त किया था कि एनआरसी  (NRC) से किसी का नाम अलग नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, "मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि भारत के किसी नागरिक का नाम एनआरसी में नहीं छूटेगा". पीएम मोदी ने कहा, "मुझे मालूम है कि एनआरसी का अपडेट करने की प्रक्रिया में अनेक लोगों को कष्ट उठाना पड़ा है. मुझे इसकी जानकारी है, लेकिन यह आपका त्याग है कि प्रकिया सफल हुई है. हमने सर्वोच्च न्यायालय से राहत प्रमाण पत्र, शरणार्थी शिविर प्रमाण पत्र जैसे कुछ दस्तावेजों को नागरिकता के लिए दावा करने वालों के वैध प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार किए जाने की अपील की. मुझे प्रसन्नता है कि सर्वोच्च न्यायालय इससे सहमत हुआ". 

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