
मध्यप्रदेश दौरे पर हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी
भोपाल:
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस राम वन पथ गमन यात्रा पर निकल रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवंबर 2007 में भगवान राम के मध्य प्रदेश से गुजरने वाले रास्ते को तय करने के लिए राम वन गमन पथ बनाने का एलान किया था और 11 साल से ये योजना फाइलों में अटकी थी. संस्कृति विभाग के बजट में न सिर्फ इसका जिक्र है, बल्कि इसके लिए एक हजार रुपए का बजट भी आवंटित है. 25 तारीख को राजधानी भोपाल में बीजेपी कार्यकर्ता महाकुंभ के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा था कि विकास के मुद्दे पर हमने चुनाव लड़ा. हम विकास भी जानते हैं और आस्था भी जानते हैं. हम राम का नाम लेना भी जानते हैं, राम राज लाना भी जानते हैं. बीजेपी के राज में रामराज आया कि नहीं वो तो जनता बताएगी लेकिन हां, श्रीराम जिस रास्ते से वनवास गये थे उसपर 11 साल पहले ऐलान होने के बावजूद रास्ता नहीं बन पाया.
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2007 में राम वन गमन पथ बनाने की घोषणा की थी. 56 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई थी पर 11 साल बाद प्रदेश सरकार के बजट पर नजर डाले तो इस योजना के लिए महज 1 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है. इस योजना पर सरकार ने विचार 2004 में किया था और 2008 चुनावों की सुगबुगाहट के पहले 2007 में चित्रकूट में ऐलान हुआ. घोषणा के बाद संस्कृति विभाग सक्रिय हुआ और रामकथा, साहित्य, पुरातत्व, भूगोल, हिन्दी व भूगर्भशास्त्र जैसे विषयों के जानकारों बैठक बुलाई गई. शोध और सर्वेक्षण के लिए 11 लोगों की समिति गठित की गई और पौराणिक मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम ने माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ चित्रकूट के रास्ते वर्तमान मध्यप्रदेश में प्रवेश किया था. इसके बाद वे अमरकंटक होते हुए नर्मदा पार करके रामेश्वरम की ओर चले गए थे.
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राम वन गमन पथ योजना के तहत इन क्षेत्रों में सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से विकास के साथ इनके लिए एक रूट तैय़ार करना था. समिति ने 2010 में रिपोर्ट सौंप दी. हालांकि फिर योजना का क्या हुआ कोई नहीं जानता है. साल 2018-19 के लिए पेश किए गए बजट में मांग संख्या 26 के तहत कला एवं संस्कृति संवर्द्धन के तहत जिन कामों का जिक्र किया गया है उनमें रामपथ विकास भी शामिल है. इस शीर्ष में मद संख्या- 5494 रामपथ विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में एक हजार रुपए का बजट आवंटन है. इस मामले पर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है 2007 -8 में संस्कृति विभाग ने शोध और सर्वेक्षण किया, लंबे समय काम किया लेकिन कुछ काम बाकी रहा हो इसलिये टोकन के तौर पर 1000 रुपये रखे हैं, साइंटिकिक ढंग से सबूतों के आधार पर बहुत अच्छे ढंग से काम किया है.
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योजना फाइलों से निकलती भी नहीं, तभी कांग्रेस ने इस रास्ते पर निकलने का प्लान बना लिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कामतानाथ मंदिर में पूजा की और राम पथ गमन यात्रा का प्लान तय कर लिया, जो 15 दिन तक चलेगी. यात्रा रामघाट, गुप्त गोदावरी, मैहर होते हुए अमरकंटक में ख़त्म होगी. 35 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी. शिवभक्त राहुल को विंध्य में रामभक्त घोषित कर, जय सियाराम का नारा बुलंद कर दिया. कांग्रेस प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कहा पिछले 3 वर्ष देखे तो 1000 रुपये की राशि है, 33 करोड़ का पथ बनना है, करोड़ों के पथ के लिये 1000 रुपये समझा जा सकता है कि बीजेपी के प्रभू श्रीराम क्या हैं, ये घोषणा करते भूल जाते हैं. हमधर्म का इस्तेमाल राजनीति में नहीं करते.
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शिवराज सरकार ने ने राम वन गमन योजना के लिए लिए 11 सदस्यों की एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी. जिसके सदस्यों को चित्रकूट, सिद्देश्वर, कालिंजर कोट, सहित रामायण में वर्णित उन स्थलों का जायजा लेने भेजा गया, जहां से भगवान राम मध्य प्रदेश की सीमाओं से वनवास के लिए गुजरे थे. लेकिन बाद में इस प्रोजेक्ट पर न तो अफसरों ने ध्यान दिया और न ही मुख्यमंत्री ने, सारा काम कागजों में ही सिमट गया, उल्टा सतना में राम पथ के कई स्थानों पर खनन को मंजूरी मिल गई. मसलन सरभंगा आश्रम के अलावा सिद्घा पहाड़ के करीब भी वर्षों से खनन होता आ रहा है, सिद्घा कोठार में 2008 तक खनन चलता रहा, सरभंगा में 2020 तक खनन की अनुमति दी गई है.
VIDEO: 15 दिन तक चलेगी कांग्रेस की राम वन पथ गमन यात्रा
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2007 में राम वन गमन पथ बनाने की घोषणा की थी. 56 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई थी पर 11 साल बाद प्रदेश सरकार के बजट पर नजर डाले तो इस योजना के लिए महज 1 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है. इस योजना पर सरकार ने विचार 2004 में किया था और 2008 चुनावों की सुगबुगाहट के पहले 2007 में चित्रकूट में ऐलान हुआ. घोषणा के बाद संस्कृति विभाग सक्रिय हुआ और रामकथा, साहित्य, पुरातत्व, भूगोल, हिन्दी व भूगर्भशास्त्र जैसे विषयों के जानकारों बैठक बुलाई गई. शोध और सर्वेक्षण के लिए 11 लोगों की समिति गठित की गई और पौराणिक मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम ने माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ चित्रकूट के रास्ते वर्तमान मध्यप्रदेश में प्रवेश किया था. इसके बाद वे अमरकंटक होते हुए नर्मदा पार करके रामेश्वरम की ओर चले गए थे.
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