मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के कई जिलों से नवजात बच्चों की मौत (Newborn Deaths) की खबर आ रही है. शहडोल (Shahdol) जिले में तो 6 दिनों में 12 बच्चों की मौत हो गई. जांच करने स्वास्थ्य मंत्री वहां पहुंच रहे हैं. विपक्षी कांग्रेस (Congress) ने भी अपना जांच दल बनाया है. ऐसी ही खबरें आदिवासी बहुल अनूपपुर (Anuppur) और मंडला (Mandla) से भी हैं. वहीं सागर (Sagar) में भी कई नवजातों ने दम तोड़ दिया. कांग्रेस का कहना है कि शिवराज सिंह सरकार (Shivraj Singh Government) के आने के बाद से 15000 से ज्यादा बच्चों ने दम तोड़ दिया है.
शहडोल जिले की रेहनतुन निशा शनिवार को सुबह बुढ़ार अस्पताल में भर्ती थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि ''दर्द से कराहती रही, प्रसव नहीं कराया जा सका... मामला बिगड़ा तो डॉक्टरों ने शहडोल रेफर कर दिया. लापरवाही ऐसी की एंबुलेंस भी नहीं मिली. रास्ते में ऑटो में प्रसव हो गया. बच्चे को बचा नहीं पाए.''
उनके भाई महफूज़ ने कहा कि ''वहां डॉक्टरों ने देखा नर्स ने देखा, रेफर कर दिया शहडोल. तत्काल आना पड़ा.च एंबुलेंस नहीं मिली तो ऑटो में लाए. लालपुर पेट्रोल पंप के पास बच्चा पैदा हुआ.''
आदिवासी बहुत अनूपपुर में अप्रैल से नवंबर, यानी 8 महीनों में शिशु गहन चिकित्सा इकाई में 754 बच्चे भर्ती हुए जिसमें से 120 की मौत हो गई. मंडला में 61 दिन में 28 बच्चों की जान चली गई. लेकिन प्रशासन मानता है कि बच्चों को समुचित इलाज मिल रहा है. कमिश्नर नरेश पाल का कहना है कि अनूपपुर, उमरिया,शहडोल तीनों जिलों में बच्चों को विलंब से भर्ती किया गया. जांच में सामने आया कि समुचित इलाज दिया गया है.
शहडोल संभाग का दर्द टीस ही रहता था कि बुंदेलखंड में सागर मेडिकल कॉलेज से भी भयावह आंकड़े आ गए. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के SNCU और PICU वार्ड में पिछले तीन महीनों में भर्ती हुए 92 नवजातों की इलाज के दौरान मौत हुई. यह मृत्यु दर सामान्य से दोगुनी है. सिर्फ नवंबर में ही 37 नवजातों की मौत हो गई. अक्टूबर में 32 और सितंबर में 23 बच्चों को बचाया नहीं जा सका. सागर में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के प्रबारी डॉ आरएस वर्मा कहते हैं कि ''थोड़ा डॉक्टर कम हैं हमारे यहां. प्रोफेसर भी देख रहे हैं. पूरी कोशिश कर रहे हैं डेथ रेट घटे.''
विपक्ष कह रहा है कि 8 महीने में 15000 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है, स्वास्थ्य मंत्री इस्तीफा दें. कांग्रेस के प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि ''आठ माह की शिवराज सरकार के दौरान 15819 बच्चों ने दम तोड़ दिया है. शहडोल में 519 बच्चों ने दम तोड़ा है. अनूपपुर में 120, मंडला में 28, पूरे प्रदेश में बच्चों की यही हालत है. जांच दल ने लीपापोती का काम किया है. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तत्काल इस्तीफा दें. मुख्यमंत्री से मांग है कि उन्हें तत्काल हटाया जाए.''
मध्यप्रदेश के मुखिया खुद को बच्चों का मामा कहते हैं लेकिन रोज सरकारी अस्पतालों में उनके भांजे-भांजी दम तोड़ रहे हैं. सरकारी महकमा खुद प्रबंधन को क्लीन चिट दे रहा है. हालात यह हैं कि कहीं ऑटो में प्रसव हो रहा है, कहीं डॉक्टर नहीं है.
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