प्रवर्तन निदेशालय ( ED) ने मंगलवार को शिवसेना नेता संजय राऊत की अलीबाग की जमीन और दादर का फ्लैट कुर्क करने का नोटिस दिया है. ED का दावा है कि गोरेगांव में पतरा चॉल पुनर्वसन प्रोजेक्ट में बिल्डर ने अनियमितता कर तकरीबन 1,039 करोड़ कमाए और उसी पैसे में से 55 लाख रुपये गुरु आशीष कंपनी के एक डायरेक्टर प्रवीण राउत ने संजय राउत की पत्नी को दिए, जिससे संपत्ति खरीदी गई. आइए जानते हैं, आखिर क्या है गोरेगांव का पतरा चॉल प्रोजेक्ट और संजय राउत की उसमें क्या कोई भूमिका थी.
दरअसल, मुंबई के गोरेगांव पश्चिम में सिद्धार्थ नगर में अंग्रेजों के जमाने में बनी मिलिट्री की बैरक आजादी के बाद गरीब विस्थापितों का आशियाना थी. लेकिन अब यहां के 672 निवासी फिर से विस्थापित हो गए क्योंकि पुनर्विकास के नाम पर बिल्डर गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने यहां की FSI दूसरे बिल्डरों को बेच दी और इन्हें अधर में छोड़ दिया. यहां पर 672 परिवार रहते थे, इनसे बिल्डर ने एक अच्छे मकान का दावा किया था. लेकिन वो मकान नहीं मिले. नतीजा ये हैकि कुछ लोग अब भी किराए के मकान में विस्थापित बनकर रह रहे हैं. कुछ लोग यहां से विरार, वसई और पनवेल चले गए हैं और कुछ लोग अपने गांव चले गए हैं. चॉल निवासी प्रमोद राजपूत का कहना है, 'अभी तक 5 साल से किसी को किराया नहीं मिला है, तब 40 हजार किराया मिलता था. काफी भूख हड़ताल, प्रदर्शन किया, देवेंद्र फडणवीस साहब आए थे, उद्धव साहब ने बुलाकर मीटिंग की थी, सुभाष देसाई साहब ने भी काफी मदद की है.'
सिद्धार्थ नगर गृहनिर्माण सोसायटी के चेयरमैन राजेश दलवी ने कहा, 'देखो घोटाला तो हुआ है लेकिन किसने किया है वो हमें मालूम नहीं है.' जब उनसे पूछा गया कि क्या संजय राउत कभी आए थे, क्योंकि ED प्रवीण राउत से संजय राउत का कनेक्शन जोड़ा जा रहा है तो उन्होंने कहा कि नहीं, संजय राउत साहब कभी हमें यहां दिखे नहीं और ना ही उनका कुछ यहां है. अब सरकार के दखल के बाद म्हाडा ने खुद अब इनके पुनर्वसन की जिम्मेदारी ली है तो एक उम्मीद जगी है. लेकिन संजय राउत मनी लॉन्ड्रिंग मामले को इस प्रोजेक्ट से जोड़ने से सभी चिंतित हैं कि कहीं अब ये प्रोजेक्ट राजनीति का शिकार ना हो जाए?
उधर, शिवसेना नेता संजय राऊत ने मंगलवार को ED की अपने ऊपर कार्रवाई के बाद पलटवार कर बीजेपी के किरीट सोमैया पर हमला बोला है. शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, 'किरीट सोमैया ने आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए आम जनता से पैसे जमा किए थे और दावा किया था कि वो पैसे राजभवन को दिए जाएंगे. लेकिन आरटीआई से पता चला है कि राजभवन तक वो पैसे पहुंचे ही नहीं.' वहीं किरीट सोमैया का कहना है राउत बिना सबूत के कुछ भी आरोप लगाते हैं. उन्होंने कहा, 'अगर मैंने कुछ गलत किया है मुझे जेल में डालो. संजय राउत अब तक 17 आरोप लगा चुके हैं लेकिन सबूत एक का भी नहीं दिया.' इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने दिल्ली में प्रधानमंत्री के साथ हुई मुलाकात में संजय राऊत पर ईडी कार्रवाई का मुद्दा उठाया और संजय राऊत पर अन्याय होने की बात कही.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, ED का दावा है कि पतरा चॉल के 672 परिवारों के पुनर्वास के लिए सोसायटी, म्हाडा और गुरू आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच करार हुआ था. गुरू आशीष कंपनी के डायरेक्टर HDIL के राकेश वाधवान, सारंग वाधवान और प्रवीण राउत थे. कंपनी पर आरोप है कि उसने म्हाडा को गुमराह कर वहां की FSI पहले तो 9 दूसरे बिल्डरों को बेच कर 901 करोड़ जमा किए. फिर मिडोज नाम से एक नया प्रोजेक्ट शुरू कर 138 करोड़ रुपए फ्लैट बुकिंग के नाम पर वसूले लेकिन 672 असली किरायेदारों को उनका मकान नहीं मिला. इस तरह कंपनी ने 1039.79 करोड़ रुपए बनाए. ED का आरोप है कि बाद में HDIL ने गुरु आशीष कंपनी के डायरेक्टर प्रवीण राउत को 100 करोड़ रुपए दिए, जिसमें से प्रवीण राऊत ने 55 लाख रुपए संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत को दिए थे जो मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा है.
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