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IAS अवार्ड विवाद: 1.29 लाख तस्वीरों से खंडवा को म‍िला 2 करोड़ का पुरस्कार, अब 20 AI फोटो की एंट्री

IAS ऋषव गुप्ता और IAS डॉ. नागार्जुन गौड़ा को मिले National Water Award को लेकर सोशल मीडिया पर AI फोटो और फर्जी आंकड़ों के आरोप सामने आए. खंडवा (Khandwa News) जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया कि जल संचय, जनभागीदारी (JSJB 1.0) अभियान के तहत अपलोड की गई 1.29 लाख तस्वीरों का केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा सत्यापन हुआ था और वायरल दावों का पुरस्कार से कोई संबंध नहीं है.

IAS अवार्ड विवाद: 1.29 लाख तस्वीरों से खंडवा को म‍िला 2 करोड़ का पुरस्कार, अब 20 AI फोटो की एंट्री
PRO Khandwa

IAS Award Khandwa: मध्‍य प्रदेश में खंडवा ज‍िला कलेक्‍टर आईएएस ऋषव गुप्ता व ज‍िला पंचायत के मुख्‍य कार्यपालन अध‍िकारी आईएएस नागार्जुन बी गौड़ा द्वारा प्राप्‍त क‍िए गए नेशनल लेवल अवार्ड पर सवाल उठ रहे हैं. सोशल मीड‍िया पर क‍िए जा रहे दावों को खंडवा ज‍िला प्रशासन ने भ्रामक व फेक न्‍यूज बताया है. खंडवा कलेक्‍टर की ओर से जारी बयान के अनुसार ''दुर्भाग्यवश, कुछ social media accounts के द्वारा खंडवा जिला द्वारा किए जा रहे जल संचयन कार्यों संबंधी प्रथम दृष्टया Fake News प्रसारित की जा रही है.

JSJB और CTR दोनों अलग अलग पोर्टल

खंडवा ज‍िला कलेक्‍टर आईएएस ऋषव गुप्ता के अनुसार यह स्पष्ट किया जाता है कि जल संचय जन भागीदारी (JSJB) कार्यक्रम के अंतर्गत पूरे देश में सर्वाधिक (1.25 लाख से अधिक) जल संरक्षण कार्यों के निर्माण हेतु खंडवा ज़िले को माननीय राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. JSJB कार्यक्रम के लिए एक अलग JSJB पोर्टल उपलब्ध था. जिला प्रशासन द्वारा ब्लॉक स्तर एवं जिला स्तर पर सावधानीपूर्वक और गहन जांच के पश्चात सत्यापित फ़ोटो ही JSJB पोर्टल पर अपलोड की गई थीं.

इसके अतिरिक्त, कैच द रेन (CTR) नामक एक अन्य पोर्टल है, जिस पर सामान्यतः जल संरक्षण से संबंधित आईईसी (IEC) फ़ोटो केवल शैक्षणिक एवं प्रेरणात्मक उद्देश्य से अपलोड की जाती हैं. जिला प्रशासन के संज्ञान में यह बात आई है कि CTR पोर्टल पर लगभग 20 AI द्वारा निर्मित फ़ोटो अपलोड की गई थीं, संभवतः दुर्भावनापूर्ण इरादों से. इन लगभग 20 AI जनित फ़ोटो को अपलोड करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जा रही है.

परंतु यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया जाता है कि कैच द रेन (CTR) पोर्टल पूर्णतः जल संचय जन भागीदारी (JSJB) पोर्टल से भिन्न है और कैच द रेन पोर्टल पर अपलोड की गई शैक्षणिक फ़ोटो को JSJB पुरस्कार के लिए विचार में नहीं लिया जाता है. अतः सभी से अनुरोध है कि सोशल मीडिया पर इस प्रकार के गंभीर आरोप लगाने से पूर्व इन सूक्ष्म तथ्यों का अध्ययन अवश्य किया जाए. 

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खंडवा IAS अवार्ड विवाद क्या है?

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के कलेक्टर IAS ऋषव गुप्ता और जिला पंचायत सीईओ IAS डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा को 18 नवंबर 2025 को राष्ट्रीय जल पुरस्कार मिलने के बाद सोशल मीडिया पर आरोप लगे कि अवॉर्ड के लिए AI से बनाई गई फर्जी तस्वीरें और गलत आंकड़े अपलोड किए गए. कुछ यूजर्स ने दावा किया कि छोटे गड्ढों को कुआं बताकर काम दिखाया गया और तस्वीरों में AI वॉटरमार्क तक मौजूद था.

खंडवा को क्‍यों म‍िला 2 करोड़ रुपए का पुरस्कार?

खंडवा जनसंपर्क अधिकारी (PRO) के अनुसार, 6वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार के तहत खंडवा जिले की ग्राम पंचायत कावेश्वर को सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार दिया गया. यह पुरस्कार 18 नवंबर 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता और जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा को प्रदान किया गया. 

PRO ने बताया कि भारत सरकार के जल शक्ति अभियान ‘कैच द रेन' के अंतर्गत संचालित ‘जल संचय, जनभागीदारी' पहल में खंडवा जिले ने जल संरक्षण के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान हासिल किया, जिसके लिए जिले को 2 करोड़ रुपए का पुरस्कार भी मिला. ग्राम पंचायत कावेश्वर का चयन वहां किए गए जल संरक्षण कार्यों के आधार पर किया गया. पंचायत को इसके लिए 1.5 लाख रुपए का नगद पुरस्कार और ट्रॉफी प्रदान की गई. प्रशासन के अनुसार, कावेश्वर पंचायत में जल संरक्षण से जुड़े कार्य राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पाए गए थे.

खंडवा जिला पंचायत सीईओ क्‍या बोले? 

जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा  के अनुसार  जल संचय, जनभागीदारी (JSJB 1.0) केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा चलाया गया एक राष्ट्रीय अभियान था, जिसका उद्देश्य देशभर में जनभागीदारी से जल संरचनाओं के निर्माण को प्रोत्साहित करना था. यह अभियान वर्ष 2024 में शुरू हुआ था और 31 मई 2025 को समाप्त हो गया.

प्रशासन के अनुसार, इस अभियान के तहत खंडवा जिले द्वारा कुल 1,29,046 कार्यों की तस्वीरें 31 मई 2025 तक पोर्टल पर अपलोड की गई थीं. इन कार्यों में समुदाय, संस्थाओं, पंचायतों, नगर परिषदों और नगर निगमों द्वारा किए गए विभिन्न जल संरक्षण कार्य शामिल थे. इनमें रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सोख्ता गड्ढा, रिचार्ज पिट, बोरवेल रिचार्ज, बंद बोर रिचार्ज, डगवेल रिचार्ज, ओपन वेल रिचार्ज, गली प्लग, नाला बंड, बोल्डर वाल, गेबियन स्ट्रक्चर, रिचार्ज शाफ्ट, कंटूर ट्रेंच, परकोलेशन पोंड, चेकडैम मरम्मत और स्टॉपडैम मरम्मत जैसे कार्य शामिल हैं. प्रशासन का कहना है कि इन कार्यों की प्रकृति छोटे गड्ढों से लेकर बड़ी जल संरचनाओं तक हो सकती है.

जिला प्रशासन ने यह भी बताया कि जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इन सभी तस्वीरों का डेस्क सत्यापन किया गया, साथ ही कुल कार्यों के 1 प्रतिशत का रैंडम फील्ड सत्यापन भी कराया गया. इसी सत्यापन प्रक्रिया के बाद खंडवा जिले को पुरस्कार प्रदान किया गया.

सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्ट्स में जिन ग्राम पंचायतों शाहपुरा माल, पलानीमाल, डोटखेड़ा और हरवंशपुरा का उल्लेख किया जा रहा है, उनके संबंध में प्रशासन ने कहा कि इन पंचायतों से जुड़ी शिकायतें पूर्व में जनसुनवाई में प्राप्त आवेदनों के आधार पर थीं. ये सभी कार्य ‘जल गंगा संवर्धन अभियान' के अंतर्गत किए गए थे, जिनका जल संचय, जनभागीदारी (JSJB 1.0) अभियान से कोई संबंध नहीं है, न ही इन कार्यों की तस्वीरें JSJB पोर्टल पर अपलोड की गई थीं.

ग्राम पंचायत शाहपुरा माल को लेकर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि वहां 150 डगवेल खोदने और उनकी फोटो अपलोड करने का दावा निराधार है. पंचायत में मनरेगा के तहत केवल 61 डगवेल रिचार्ज कार्य स्वीकृत और प्रगतिरत हैं, जिन पर सिर्फ मजदूरी का भुगतान हुआ है. जनसुनवाई में प्राप्त शिकायतों की जांच के बाद ग्राम रोजगार सहायक को पद से हटाने की कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है.

पलानीमाल पंचायत के मामले में प्रशासन ने बताया कि वर्ष 2008 में बने स्टॉपडैम का जिर्णोद्धार मरम्मत श्रेणी में किया गया था, न कि नया निर्माण. मौके पर कार्य हुआ है और तस्वीरों में यह स्पष्ट दिखाई देता है. इसका भी JSJB 1.0 में फोटो अपलोड से कोई संबंध नहीं है.

डोडखेड़ा पंचायत में खेत तालाब से जुड़ी शिकायत पर प्रशासन ने कहा कि तालाब का निर्माण मौके पर किया गया है और हितग्राही व उनके परिजनों द्वारा स्वयं मजदूरी का कार्य किया गया, जिसका भुगतान सीधे उनके खातों में हुआ. यह कार्य मनरेगा पोर्टल पर प्रगतिरत है और इस शिकायत का भी JSJB 1.0 अवॉर्ड से कोई लेना-देना नहीं है.

इसी तरह, जनपद पंचायत पुनासा की ग्राम पंचायत हरवंशपुरा में 11 खेत तालाबों को लेकर आई शिकायत पर जांच में पाया गया कि 10 तालाबों पर कार्य पूरा हो चुका है, जबकि एक की जांच जारी है. सभी 11 तालाबों पर मजदूरी व्यय हुआ है और कार्य मनरेगा पोर्टल पर दर्ज है. प्रशासन ने साफ किया कि इसका भी JSJB 1.0 पुरस्कार से कोई संबंध नहीं है.

ओंकारेश्वर में सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों द्वारा दो माह पहले फोटो अपलोड किए जाने के आरोपों पर प्रशासन ने कहा कि JSJB अभियान 31 मई 2025 को समाप्त हो चुका था, इसके बाद फोटो अपलोड करना संभव ही नहीं है. जिन तस्वीरों की बात की जा रही है, वे नेशनल वाटर मिशन के ‘कैच द रेन' अभियान से संबंधित हैं, जो JSJB से अलग अभियान है.

खंडवा में 1.29 लाख तस्वीरें अपलोड हुईं

जिले द्वारा केवल 1714 फोटो अपलोड किए जाने के दावे को भी प्रशासन ने तथ्यहीन बताया. प्रशासन के अनुसार, JSJB 1.0 के तहत खंडवा जिले ने करीब 1.29 लाख तस्वीरें अपलोड की थीं, और उन्हीं के आधार पर जिले को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला.

जिला प्रशासन ने कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया में लगाए जा रहे आरोप जनसुनवाई में पहले से प्राप्त शिकायतों को आधार बनाकर किए गए हैं, जिन पर जांच और कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है. प्रशासन का दावा है कि यह खबरें भ्रामक, तथ्यहीन और जिला प्रशासन की छवि धूमिल करने वाली हैं, और इनका जल संचय, जनभागीदारी अभियान (JSJB 1.0) के पुरस्कार से कोई संबंध नहीं है. 

IAS Officer Madhya Pradesh: खंडवा को मिले राष्ट्रीय जल पुरस्कार पर उठे सवाल, प्रशासन ने बताया सच

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