जयपुर:
लेखक-गीतकार प्रसून जोशी को जयपुर साहित्य महोत्सव में एमिटी विश्वविद्यालय की ओर से मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है. उनका कहना है कि जो प्रकृति को और अधिक उजागर कर रहे हैं वहीं साहित्य को बढ़ावा दे रहे हैं. प्रसून ने कहा, जो प्रकृति जैसे हिल स्टेशन और पहाड़ के करीब हैं वह शहर के व्यस्त जीवन को उजागर नहीं करते हैं. इसलिए उनका साहित्य के प्रति झुकाव है.
उन्होंने कहा, आप अपने बच्चे को डॉक्टर या इंजीनियर बना सकते हैं, लेकिन आप उसे एक लेखक नहीं बना सकते, जब तक कि उसने बचपन से बहुत पढ़ा न हो. दुर्भाग्यवश शहरी जीवन में ऐसा संभव नहीं है. यहां तक कि साक्षर व्यक्ति जो शहर में रहता है वह अक्सर प्रकृति की यात्रा करता है, इससे उसे ऊर्जा मिलती है.
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उन्हें ऐसा भी लगता है कि सिद्धांत की तुलना में पैसा अधिक मजबूत हो गया है. उन्होंने कहा, आज हमारे आदर्श वैसे लोग हैं, जिसके लिए पैसा महत्वपूर्ण है, जो बेकार और लुटेरे हैं. हमें उन्हें अपना आदर्श नहीं बनाना चाहिए. हमें नहीं सोचना चाहिए कि यह पैसा कैसे कमाया जाए. मैं पैसे कमाने के खिलाफ नहीं हूं.
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उन्होंने कहा, हमें अपना आदर्श वैसे लोगों को बनाना चाहिए, जिसने कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की है. एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, विचारक, गीतकार, पटकथा लेखक के रूप में कला, साहित्य और विज्ञापन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रसून जोशी को डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (डी. फिल.) की उपाधि से सम्मानित किया गया.
इसके अलावा सम्मान पाने वाले व्यक्तियों में अब्दुला गुल (तुर्की के राष्ट्रपति), एलेन जॉनसन सरलीफ (लाइबेरिया की राष्ट्रपति), अरुण जेटली, प्रो. सी.एन.आर. राव, डॉ. आर.ए. माशेलकर, डॉ. एस.के. ब्रह्मचारी, डॉ. के. कस्तूरीरंगन, डॉ. के. राधाकृष्णन, डॉ. आर. चिदंबरम, अजय जी. परिमल, डॉ. शेखर बसु, प्रो. बिबेक डेबरॉय, शोभाना भारतीय और एन.आर. नारायण मूर्ति सहित कई शामिल थे.
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एजेंसी से इनपुट
उन्होंने कहा, आप अपने बच्चे को डॉक्टर या इंजीनियर बना सकते हैं, लेकिन आप उसे एक लेखक नहीं बना सकते, जब तक कि उसने बचपन से बहुत पढ़ा न हो. दुर्भाग्यवश शहरी जीवन में ऐसा संभव नहीं है. यहां तक कि साक्षर व्यक्ति जो शहर में रहता है वह अक्सर प्रकृति की यात्रा करता है, इससे उसे ऊर्जा मिलती है.
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उन्हें ऐसा भी लगता है कि सिद्धांत की तुलना में पैसा अधिक मजबूत हो गया है. उन्होंने कहा, आज हमारे आदर्श वैसे लोग हैं, जिसके लिए पैसा महत्वपूर्ण है, जो बेकार और लुटेरे हैं. हमें उन्हें अपना आदर्श नहीं बनाना चाहिए. हमें नहीं सोचना चाहिए कि यह पैसा कैसे कमाया जाए. मैं पैसे कमाने के खिलाफ नहीं हूं.
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उन्होंने कहा, हमें अपना आदर्श वैसे लोगों को बनाना चाहिए, जिसने कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की है. एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, विचारक, गीतकार, पटकथा लेखक के रूप में कला, साहित्य और विज्ञापन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रसून जोशी को डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (डी. फिल.) की उपाधि से सम्मानित किया गया.
इसके अलावा सम्मान पाने वाले व्यक्तियों में अब्दुला गुल (तुर्की के राष्ट्रपति), एलेन जॉनसन सरलीफ (लाइबेरिया की राष्ट्रपति), अरुण जेटली, प्रो. सी.एन.आर. राव, डॉ. आर.ए. माशेलकर, डॉ. एस.के. ब्रह्मचारी, डॉ. के. कस्तूरीरंगन, डॉ. के. राधाकृष्णन, डॉ. आर. चिदंबरम, अजय जी. परिमल, डॉ. शेखर बसु, प्रो. बिबेक डेबरॉय, शोभाना भारतीय और एन.आर. नारायण मूर्ति सहित कई शामिल थे.
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