- प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय से जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कोई दस्तावेज़ गायब नहीं हैं
- नेहरू से जुड़े 51 बक्से वर्ष 2008 में यूपीए सरकार के दौरान गांधी परिवार ने वापस ले लिए थे
- ये दस्तावेज़ राष्ट्रीय ऐतिहासिक धरोहर हैं और अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास हैं
प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दस्तावेज गायब होने का मसला तूल पकड़ता जा रहा है.कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश ने लोकसभा में संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के लिखित उत्तर का हवाला देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय से जवाहरलाल नेहरू से संबंधित कोई दस्तावेज गायब नहीं होने की सच्चाई सामने आ गई है और क्या अब इस मामले में माफी मांगी जाएगी.इसका जवाब देते हुए आज केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने साफ किया कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कोई भी दस्तावेज प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय से लापता नहीं हैं. उन्होंने कहा कि लापता होने का मतलब मौजूदगी का स्थान अज्ञात होना होता है, लेकिन इस विषय में तो पता है कि पेपर्स कहां और किसके अधिकार में हैं.
नेहरू पेपर्स PMML से “लापता” नहीं हैं।
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) December 17, 2025
लापता” होने का अर्थ मौजूदगी का स्थान अज्ञात होना है, इस विषय में तो ज्ञात है कि पेपर्स कहाँ और किसके अधिकार में हैं।
जवाहरलाल नेहरू जी से जुड़े कागज़ात वाले 51 बक्सों को गांधी परिवार ने 2008 में PMML (तत्कालीन NMML) से वापस ले लिया था।…
एक सोशल मीडिया पोस्ट में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश को जवाब देते हुए शेखावत ने कहा कि नेहरू से जुड़े कागजात वर्ष 2008 में, यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान बाहर ले जाए गए थे. उन्होंने कहा कि ये निजी पारिवारिक दस्तावेज नहीं हैं, बल्कि देश की राष्ट्रीय ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि ये दस्तावेज कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी के पास ही है और उन्हें अभी तक नहीं लौटाया गया है.
ये दस्तावेज़ 2008 में विधिवत प्रक्रिया के तहत परिवार को सौंपे गए थे. इनके रिकॉर्ड व कैटलॉग प्रधानमंत्री मेमोरियल म्यूजिम एंड लाइब्रेरी में मौजूद है.लेकिन मूल प्रश्न यह है कि क्यों इन दस्तावेज़ों को अब तक वापस नहीं किया गया,जबकि प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय की ओर से इस बारे में जनवरी और जुलाई 2025 में कई बार पत्र भेजे गए.उन्होंने ये भी सवाल उठाया कि इतने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ सार्वजनिक अभिलेखागार के बाहर क्यों ले जाए गए. उन्होंने कहा कि ये निजी पारिवारिक दस्तावेज़ तो बिल्कुल भी नहीं हैं. ये भारत के प्रथम प्रधानमंत्री से जुड़े महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अभिलेख हैं.
साल 2008 में नेहरू पेपर्स को पीएमएमएल से बाहर ले जाया गया, तब कांग्रेस की सरकार थी, यह बताने की जरूरत नहीं कि उस समय देश को कैसे और किस तरह चलाया जा रहा था, तो ये पेपर्स श्रीमती सोनिया गांधी के अधिकार में चले जाना कौन सी बड़ी बात थी?
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) December 17, 2025
जयराम रमेश जी को पता होना चाहिए! पता नहीं… https://t.co/3ZO8mvUWXI
शेखावत ने कहा कि ऐसे दस्तावेज़ सार्वजनिक अभिलेखागार में होने चाहिए,किसी बंद कमरे में नहीं. उन्होंने कहा कि साल 2008 में नेहरू से जुड़े कागजात को पीएमएमएल से बाहर ले जाया गया,तब कांग्रेस की सरकार थी.उन्होंने सवाल खड़े किए कि उस समय देश को कैसे और किस तरह चलाया जा रहा था,और ऐसे में ये पेपर्स सोनिया गांधी के अधिकार में चले जाना कौन सी बड़ी बात थी. उन्होंने जयराम रमेश को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि रमेश जी को पता होना चाहिए.पता नहीं उन्हें क्यों पता नहीं है कि सोनिया जी ने लिखित रूप में स्वीकार किया है कि ये दस्तावेज़ उनके पास हैं.उन्होंने इस संबंध में सहयोग का आश्वासन भी दिया था,जो अब तक प्रतीक्षित है. शेखावत ने सोनिया गांधी से अपनी प्रतिबद्धता निभाने और इन दस्तावेजों को संग्रहालय को लौटाने का आग्रह किया.
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