यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से अब दिल्ली में लगातार बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. मंगलवार को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 205 मीटर पार करने के बाद भी अब भी बढ़ रहा है. आज सुबह 8 बजे, जल स्तर 208.48 मीटर था. इससे पहले 1978 में नदी का जलस्तर 207.49 मीटर पहुंचने का रिकॉर्ड था. अधिकारियों का कहना है कि राजधानी के कुछ हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति के पीछे दिल्ली और आसपास के इलाकों में भारी बारिश के साथ-साथ हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़ा जाना इसका प्रमुख कारण है.
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली जिस संकट का सामना कर रही है, उसमें अन्य कारकों का भी योगदान हो सकता है. केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, "हमने देखा कि हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी को पिछले वर्षों की तुलना में दिल्ली पहुंचने में कम समय लगा. इसका मुख्य कारण अतिक्रमण और गाद हो सकता है. पहले, पानी प्रवाह के लिए अधिक जगह थी. जो कि अब पहले जैसा नहीं रह गया."
उत्तर की ओर हिमाचल प्रदेश में बहुत भारी बारिश के कारण बैराज भर गया है, जहां मानसून ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है. राष्ट्रीय राजधानी से लगभग 180 किलोमीटर दूर हरियाणा के यमुनानगर में बैराज से पानी को दिल्ली तक पहुंचने में लगभग दो से तीन दिन लगते हैं. इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) में नेचुरल हेरिटेज डिवीजन के प्रधान निदेशक मनु भटनागर ने छोटी अवधि में अत्यधिक वर्षा को यमुना के बढ़ने का मुख्य कारण बताया.
साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स, पीपल (SANDRP) के एसोसिएट कोऑर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने कहा कि यमुना के जल स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि का एक प्रमुख कारण महत्वपूर्ण गाद संचय के कारण नदी के तल का ऊंचा होना है. उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "वज़ीराबाद से ओखला तक 22 किलोमीटर की नदी के भीतर 20 से अधिक पुल प्रवाह को बाधित करते हैं, जिससे नदी के तल में गाद जमा हो जाती है और रेतीली चट्टानों का निर्माण होता है."
दिल्ली में आज हालात और खराब होने की आशंका के चलते निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. बचाव कार्य के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की 12 टीमें पहले से ही ग्राउंड पर मौजूद हैं.
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