छत्तीसगढ़ में इसी साल होने वाले विधानसा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक राज्य में पार्टी इस बार तीन बार के मुख्यमंत्री रमन सिंह के चेहरे पर दांव नहीं खेलेगी बल्कि सीधे पीएम मोदी के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरेगी. दरअसल बीजेपी को लगता है कि राज्य में उसके लिए मौका है क्योंकि उसे लगता है कि भूपेश बघेल सरकार के लिए एंटी इनकंबेंसी का माहौल है. बीजेपी ने फैसला किया है कि वो राज्य में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी.
लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत 50 के पार हुआ था
पीएम मोदी के रायपुर दौरे से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बीते पांच जुलाई को राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के साथ मैराथन बैठक की थी. जिसके बाद पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को छत्तीसगढ़ का चुनाव प्रभारी बनाया है. सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला इसलिए भी लिया गया ताकि राज्य इकाई में गुटबाजी को थामा जा सके. साल 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली थी. तब पार्टी को 90 में से महज 15 सीटें मिलीं थीं जबकि कांग्रेस 68 सीटों पर जीत दर्ज की थी. तब दोनों पार्टियों के बीच वोट का फासला बढ़कर 10 फीसदी हो गया था. हालांकि इसके अगले साल ही हुए लोकसभा चुनाव परिणाम ने पार्टी की उम्मीदों को पर लगा दिए. तब बीजेपी को राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से 9 पर जीत मिली थी और वोट प्रतिशत भी बढ़कर 50 को पार कर गया था.
24 से ज्यादा केन्द्रीय मंत्री करेंगे छत्तीसगढ़ का दौरा
अब बीजेपी को राज्य में संभावनाएं दिख रही है. बता दें कि पीएम मोदी और अमित शाह के अलावा मनसुख मंडाविया, अर्जुन मुंडा, गिरिराज सिंह और फग्गनसिंह कुलस्ते समेत केंद्र सरकार के कई मंत्री पिछले एक महीने में छत्तीसगढ़ का दौरा कर चुके हैं. आने वाले दिनों में 24 से ज़्यादा केंद्रीय मंत्री छत्तीसगढ़ का दौरा करने वाले हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी और गृहमंत्री चुनाव से पहले महीने में 2 बार छत्तीसगढ़ के किसी ना किसी कार्यक्रम में शामिल होंगे.
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