- भोपाल मेट्रो परियोजना की शुरुआत 2009 में हुई, लेकिन अभी तक मेट्रो सेवा शुरू नहीं हो पाई है.
- मेट्रो के केंद्रीय विद्यालय स्टेशन के पिलर्स इतने छोटे बनाए गए हैं कि भारी वाहन टकराने का खतरा बना हुआ है.
- मेट्रो परियोजना के कई स्टेशन अधूरे हैं, कई स्टेशनों पर एंट्री-एग्जिट तो बन गए हैं लेकिन काम पूरा नहीं हुआ है.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के लोगों का मेट्रो का सपना अब तक सपना ही है. इसके हकीकत बनने का इंतजार हर किसी को है. मेट्रो के पूरे होने से पहले ही पुराने कामों में खामियां दिखाई देने लगी हैं. केंद्रीय विद्यालय मेट्रो स्टेशन के पियर्स इतने छोटे बनाए गए हैं कि भारी वाहन टकराने का खतरा बना हुआ है. अब उन्हीं पिलर्स के नीचे तीन फीट गहरी खुदाई कर जगह बनाई जा रही है. दूसरी तरफ मेट्रो को पटरी पर दौड़ाने के लिए CMRS की मंजूरी का इंतजार है. इस इंतजार में परियोजना की लागत दोगुनी हो चुकी है.
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चुनाव से पहले चली मेट्रो अब तक नहीं दौड़ी
भोपाल की जिस मेट्रो में चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 3 अक्टूबर 2023 बैठे थे, वह 2 साल की देरी के बाद भी दोबारा दौड़ नहीं पाई है. साल 2009 में भोपाल मेट्रो की घोषणा हुई थी. 9 साल बाद डीपीआर को मार्च 2016 में अंतिम रूप दिया गया और 2018 में पहला वर्क ऑर्डर हुआ. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अक्टूबर 2018 में भोपाल और इंदौर प्रोजेक्ट को केंद्र से मंजूरी मिली थी. उस समय कहा गया था कि चार साल यानी 2022 में जनता मेट्रो की सवारी करेगी. लेकिन अब तक यह शुरू नहीं हुई है.
भोपाल मेट्रो का पहला रूट एम्स से करोंद तक 16.05 किलोमीटर लंबा है. लेकिन काम पूरा नहीं हुआ है. फिलहाल 6.22 किमी एम्स से सुभाष नगर के बीच का प्रायोरिटी कॉरिडोर ही तैयार हो रहा है. वैसे पूरे प्रोजेक्ट में भोपाल मेट्रो की कुल लम्बाई 30.95 किमी. का प्लान है, जिसमें दो लाइन और एक डिपो होगा. भोपाल मेट्रो में कुल 30 स्टेशन होंगे, जिनमें 16 ऑरेंज लाइन और 14 ब्लू लाइन शामिल हैं.
मेट्रो के काम में दिख रहीं खामियां
डेढ़ साल पहले प्रगति पंप के पास मेट्रो के पिलर की ऊंचाई इतनी कम थी ट्रक भी टकरा जाए. एनडीटीवी के खबर दिखाने के बाद इसमें सुधार तो किया गया लेकिन शायद सीख नहीं ली गई, अब बिल्कुल वही काम केंद्रीय विद्यालय मेट्रो स्टेशन के पास हुआ है. अब कमिश्नर ऑफ मेट्रो रेल सेफ्टी की टीम आ चुकी है, लग रहा है हरी झंडी मिलेगी लेकिन कई जगहों पर 30 फीसद से ज्यादा सिविल तक का काम अधूरा है. रानी कमलापति मेट्रो स्टेशन के पास रैंप अधूरा है और नाली खुदी पड़ी है. यहां दो एंट्री-एग्जिट बने हैं लेकिन सुविधाएं अधूरी हैं. एम्स स्टेशन का हाल भी कुछ ऐसा ही है. स्टेशन के नाम पर सिर्फ ढांचा तैयार, दूसरी साइड एंट्री-एग्जिट का काम अधूरा है.
एंट्री-एग्जिट बने हैं लेकिन सुविधाएं अधूरी
अलकापुरी गेट का एक साइड स्ट्रक्चर बना है. लिफ्ट-एस्केलेटर तो हैं लेकिन रास्ता अधूरा है. DRM ऑफिस स्टेशन पर 30% काम बाकी है. दूसरी साइड का काम अब भी अधूरा है. एमपी नगर स्टेशन पर रैंप के पास खुला गड्ढा है और रैंप का काम भी अधूरा है, जिसकी वजह से वहां पहुंचना कठिन है. किसी भी स्टेशन में दिव्यांगो के लिये रैंप तैयार नहीं है.
जानकारों का कहना है कि गलत प्लानिंग की वजह से ऐसे हालात पैदा होते हैं. इसकी वजह से प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़ जाती है. टाउन प्लानर सुयश कुलश्रेष्ठ ने कहा कि DPR जब बनाई जाती है तब समस्याओं पर चर्चा की जाती है ,DPR ही गलत तरीके से बनाई जाएगी तो उसका क्रियान्वयन भी गलत होगा. शुरुआत से गलती हुई जिसकी वजह निर्माण में भी गलती हो रही है.
भोपाल मेट्रो पर सियासत तेज
मेट्रो भले ही ट्रैक पर नहीं दौड़ रही हो लेकिन इस पर सियासत फुल स्पीड में हो रही है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही श्रेय लेने की होड़ में हैं. कांग्रेस का कहना है कि उनकी सरकार ने मेट्रो का सपना देखा. वहीं बीजेपी कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर रही है.
कांग्रेस के पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि 7000 करोड़ के मेट्रो की परियोजना कमलनाथ लेकर आये थे, हमने 2023 तक मेट्रो चालू करने का दावा किया था. बीजेपी सरकार की लापरवाही और ठेकेदारों के भ्रष्टाचार के चलते 2 साल पहले जो काम पूरा हो जाना चाहिए था अब भी देरी से चल रहा है. बीजेपी के पास न कोई दृष्टिकोण हैं न विजन है ,हज़ारों करोड़ की राशि जो कमलनाथ ने स्वीकृत कराई थी वह बर्बाद हो रही है.
कांग्रेस पर बीजेपी का पलटवार
इस पर बीजेपी नेता और अध्यक्ष नगर निगम भोपाल किशन सूर्यवंशी ने कहा कि कांग्रेस और कमलनाथ दोनों सिर्फ शिलान्यास करना जानते हैं, वह भूल गए की मेट्रो की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के समय में हुई थी. डीपीआर कब तैयार हुई ,योजना कब प्लानिंग में आई, उसकी अगुवाई किसने की थी ,कांग्रेस को सब पता है लेकिन झूठा क्रेडिट लेना यह उनकी आदत में है. बीजेपी ने लगातार शहरों के विकास पर फोकस करके काम किया है. इंदौर, भोपाल में मेट्रो की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी की देन है, बहुत जल्द मेट्रो की सौगात मिलेगी और इसके क्षेत्र के विस्तार पर भी विचार हो रहा है .
बता दें कि 2017-18 में भोपाल मेट्रो के 27.9 किमी के कॉरिडोर का अनुमानित खर्च 6,941 करोड़ था जो अब बढ़कर 10,033 करोड़ रु. हो चुका है. मेट्रो पटरी पर कब दौड़ेगी इसका इंतजार सबको है.
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