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अटल बिहारी वाजपेयी: मध्यप्रदेश में वो चुनाव, जिन पर टिकी थी पूरे देश की नजर, ग्वालियर-विदिशा जीते या हारे?

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती (25 द‍िसंबर) के मौके पर पर मध्यप्रदेश की उन ऐतिहासिक लोकसभा सीटों को याद किया जा रहा है, जहां उन्होंने सियासत के बड़े उतार-चढ़ाव देखे. ग्वालियर से 1971 में जीत, 1984 में करारी हार और 1991 में विदिशा से ऐतिहासिक विजय उनके राजनीतिक सफर के अहम पड़ाव रहे.

अटल बिहारी वाजपेयी: मध्यप्रदेश में वो चुनाव, जिन पर टिकी थी पूरे देश की नजर, ग्वालियर-विदिशा जीते या हारे?
Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary
bjp.org

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: देश के सबसे सम्मानित नेताओं में शुमार अटल बिहारी वाजपेयी. जिनकी वाणी पर संसद ठहर जाती थी और जिनके फैसलों पर देश की दिशा तय होती थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी मध्यप्रदेश की उन चुनावी जंगों का भी हिस्सा रहे, जिनके नतीजों पर पूरे देश की नजर टिकी थी?

मध्यप्रदेश की ग्वालियर और विदिशा दो ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां अटल जी का उतरना सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि सियासत की असली कसौटी बन गया था. आज 25 दिसंबर 2025 को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आइए आपको ले चलते हैं मध्यप्रदेश के उन लोकसभा चुनावों के पन्नों में, जहां कभी जनता ने अटल जी की झोली भर दी, तो कभी वोटों की कमी ने उन्हें हार का स्वाद भी चखाया.

चार राज्‍यों से उतरे चुनाव मैदान में 

अटल बिहारी वाजपेयी देश के इकलौते ऐसे राजनेता रहे, जिन्होंने चार राज्यों से लोकसभा चुनाव जीते. उत्तर प्रदेश की लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात की गांधीनगर, मध्यप्रदेश की ग्वालियर और विदिशा, और दिल्ली की नई दिल्ली लोकसभा सीट से उन्होंने जीत दर्ज की थी. 

ग्वालियर लोकसभा चुनाव 1971

उत्तर प्रदेश से लोकसभा में पहुंचने के बाद साल 1971 के आम चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने गृह जिले ग्वालियर मध्‍य प्रदेश से चुनावी भाग्य आजमाया. तब अटल बिहारी वाजपेयी को 1,88,995 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के गौतम शर्मा को 1,18,685 वोट ही हासिल हो सके. इस तरह ग्वालियर में अटल जी ने शानदार जीत दर्ज की.

ग्वालियर लोकसभा चुनाव 1984

अटल बिहारी वाजपेयी 12 बार सांसद रहे. 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के सदस्य. लेकिन 1984 के लोकसभा चुनाव में ग्वालियर सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया के खिलाफ अटल जी को लगभग 2 लाख वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. माधवराव सिंधिया को कुल 307,735 और अटज ब‍िहारी वाजपेयी को कुल  132,141 वोट म‍िले थे. यह उनकी राजनीति का सबसे कठिन दौर माना जाता है.

विदिशा-रायसेन लोकसभा चुनाव 1991

1991 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश की लखनऊ सीट के साथ-साथ मध्यप्रदेश की विदिशा सीट से भी मैदान में उतरे. इस चुनाव में अटल जी ने कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई. बीजेपी उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी को 2,79,232 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा को 1,75,098 वोट प्राप्त हुए. इस तरह अटल जी ने 1,04,134 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की.

बाद में मीडिया से बातचीत में प्रताप भानु शर्मा ने बताया था कि हार के बाद संसद परिसर में जब अटल जी से मुलाकात हुई तो उन्होंने आत्मीयता से उन्हें गले लगाया और कहा था क‍ि “शर्मा जी, क्षेत्र में आपका बड़ा दबदबा है. आपने चुनाव बहुत अच्छी तरह लड़ा. मुझे दुख है कि मेरे कारण आपको हार मिली.”

ग्वालियर से प्रधानमंत्री तक

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में कृष्ण बिहारी वाजपेयी और श्रीमती कृष्णा देवी के घर हुआ था.
वे देश के प्रधानमंत्री 16 मार्च 1996 से 31 मई 1996 तक और फिर 19 मार्च 1998 से 13 मई 2004 तक रहे.

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