केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हरियाणा के पंचकूला में कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) द्वारा ‘सतत कृषि में सहकारिता की भूमिका' विषय पर आयोजित सहकारी सम्मेलन में हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि इतिहास, धर्म, अध्यात्म और परंपराओं से जुड़ा हरियाणा आज धीरे-धीरे कृषि और सहकारिता के सहयोग से किसानों की समृद्धि के नए आयाम लिख रहा है.

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि,"गुजरात में आज अमूल 36 लाख महिला दुग्ध उत्पादकों को हर साल लगभग 90 हजार करोड़ रुपए वितरित करती है. यदि हम उतने ही दूध को बाजार मूल्य पर बेचें, तो वह मात्र 12 हजार करोड़ रुपए में बिकता. इस 12 हजार करोड़ और 90 हजार करोड़ रुपए के बीच का जो अंतर है, वही सहकारिता की ताकत है. इसलिए कहा जाता है कि पशुपालन, कृषि और सहकारिता—इन तीनों को जोड़कर 'सहकार से समृद्धि' का सृजन किया जा सकता है. हमने हमेशा कृषि और पशुपालन को केवल रोजगार की दृष्टि से देखा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना करके 'सहकार से समृद्धि' का एक नया मंत्र दिया. अब रोजगार के साथ-साथ समृद्धि को भी जोड़ने का काम किया जा रहा है."
कृषि के आधार को मजबूत किया
अमित शाह ने कहा कि, "मोदी ने अपनी सरकार आने के बाद कृषि के आधार को मजबूत किया और सहकारिता के माध्यम से मजबूत की गई कृषि को किसानों को समृद्ध बनाने के लिए उपयोग किया. कम पानी, कम केमिकल और कम जोखिम नई कृषि नीति की नींव है. इसमें वैज्ञानिक तरीके से सिंचाई करके कम पानी में ज्यादा फसल प्राप्त करना, प्राकृतिक खेती के माध्यम से उर्वरकों का उपयोग कम करना, तथा मिट्टी के परीक्षण से न्यूनतम जोखिम वाली फसलों का चयन करना शामिल है. मिट्टी की सेहत, जल सुरक्षा, संस्थागत ऋण, बाजार पहुंच, उत्पाद का प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग, इन सभी माध्यमों से किसान की आय बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए. साथ ही, धीरे-धीरे सब्सिडी पर निर्भर कृषि की जगह सस्टेनेबल फार्मिंग की दिशा में आगे बढ़ना होगा, जो सतत मुनाफा बढ़ाने वाली हो. इसके लिए हमने जल और मिट्टी की सुरक्षा, उनका परीक्षण, ऑर्गेनिक फार्मिंग, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने वाली खेती, डिजिटल कृषि मिशन और सहकारिता, इन सभी वर्टिकल्स को आगे बढ़ाने का काम किया है."

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि, "2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तब देश का कृषि बजट 22 हजार करोड़ रुपए था, जिसे हमारी सरकार ने बढ़ाकर 1 लाख 27 हजार करोड़ रुपए करने का काम किया है. ग्रामीण विकास का बजट 80 हजार करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 1 लाख 87 हजार करोड़ रुपए किया जा चुका है. आज कोई सरपंच ऐसा नहीं है, और हरियाणा में तो बिल्कुल भी नहीं, जिसे पिछले 10 साल में 10 करोड़, 20 करोड़ या 25 करोड़ रुपए गांव के विकास के लिए न मिले हों. यह विकास के दृष्टिकोण में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है. फसल बीमा को ज्यादा उपयोगी बनाया गया है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से हर किसान को हर साल 6 हजार रुपए दिए जा रहे हैं. एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में 1 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया. e-NAM के माध्यम से किसानों को उचित दाम मिल रहे हैं. श्री अन्न मिशन, दलहन-तिलहन मिशन, डेयरी सेक्टर की चक्रीय व्यवस्था—इनके अलावा कई प्रकार के इनिशिएटिव्स लिए गए हैं."
'किसानों की आय बढ़ाने की मजबूत नींव डाली गई'
अमित शाह ने आगे कहा, "लगभग 1 लाख करोड़ रुपए के माध्यम से पिछले 10 साल में 1 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचित करने का काम भी आगे बढ़ाया गया है. ढेर सारी पहल करके कृषि क्षेत्र को मजबूत किया गया है. सहकारिता मंत्रालय की स्थापना इसलिए की गई ताकि कृषि और पशुपालन के माध्यम से किसान द्वारा पैदा की जाने वाली उपज का पूरा मुनाफा किसान तक पहुँच सके. इन पहलों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की मजबूत नींव डाली गई है. जब अमूल की स्थापना हुई थी, तब वह रोजाना मात्र 2 हजार लीटर दूध इकट्ठा करता था. आज यह देशभर में कई करोड़ लीटर (लगभग 3 करोड़ लीटर प्रतिदिन) दूध इकट्ठा करता है और इसका टर्नओवर लगभग 1 लाख 23 हजार करोड़ रुपए है."
'देश में अमूल जैसी कम से कम 20 संस्थाएं खड़ी होंगी'
शाह ने विश्वास जताया कि 15 साल बाद इस देश में अमूल जैसी कम से कम 20 संस्थाएं खड़ी होंगी, जो किसानों के लिए काम करने वाली मजबूत सहकारी संस्थाएं होंगी. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने गन्ना किसानों को सबसे अधिक दाम देने का काम किया है और नायब सिंह सैनी सरकार ने हरियाणा के किसानों को खुशहाल बना दिया है, जो सबसे बड़ी उपलब्धि है.उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता आंदोलन लगभग 125 साल पुराना है, लेकिन मोदी जी ने जो इनिशिएटिव लिया है, उससे यह आंदोलन नई बुलंदियों पर पहुँचेगा, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह समृद्धि का प्रमुख कारण बनेगा.
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि, "हरियाणा ने हमेशा देश की खाद्य सुरक्षा, दूध उत्पादन और खेलों के मैदान में देश के लिए पदकों की झड़ी लगाने का काम किया है. मोर्चा या मैदान कोई भी हो, हरियाणा के किसानों, जवानों और खिलाड़ियों ने हर मोर्चे पर हमारे तिरंगे की शान बढ़ाई है. आज भी हम उस कालखंड को भूल नहीं सकते, जब हमारी आबादी बहुत कम होने के बावजूद खाने के लिए हमें अमेरिका से लाल गेहूं मंगाने पड़ते थे. यह हरियाणा और पंजाब की ही भूमि है जिसने देश को अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बनाकर दुनिया में सम्मान दिलाया है."
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