अमेठी में मोहम्मद आरिफ कभी साल भर पहले घायल नन्हे सारस को अपने घर ले आए थे. उसकी देखभाल की. उसके बाद सारस के उनकी दोस्ती हो गई और इस दोस्ती के चर्चे लोगों की जुबान पर चढ़ गए. वे स्कूटर से कहीं जाते तो सारस उनके पीछे-पीछे उड़ते हुए जाता. पिछले महीने जब यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर ज्यादा वायरल होने लगीं तो उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने सारस को आरिफ से अलग कर दिया. सारस को कानपुर के चिड़ियाघर के एक विशेष बाड़े में क्वरंटीन करने के लिए रख दिया गया. आरिफ पर वन्यजीव कानून के तहत एक केस दर्ज कर दिया गया.
आरिफ कल अपने उसी सारस को देखने के लिए कानपुर चिड़ियाघर गए. क्वारंटीन का समय समाप्त होने के बाद आरिफ को वहां जाने की इजाजत मिल गई. बाड़े में बंद सारस आरिफ को देखकर भारी उत्साहित हो गया. वह बाड़े में कूदता रहा, पंख फड़फड़ाता रहा. आरिफ मायूस सा बेचैन होकर उसे देखता रहा. वह कर भी क्या सकता था? जंगली पशु-पक्षी के लिए वन्य जीव संरक्षण कानून है ही ऐसा. आप एक जंगली जानवर या जंगली पक्षी को अपने घर में नहीं रख सकते, यह देश का कानून है.
आरिफ से NDTV ने खास इंटरव्यू किया.
आरिफ ने कहा कि, ''सारस से दूर रहकर बहुत परेशान हूं. वह मेरा दोस्त है और एक दोस्त जब दूसरे दोस्त से जुदा हो जाता है तो आप समझ सकते हैं. जब से वन विभाग मेरे दोस्त सारस को लेकर गया है, तब से हम घर नहीं गए हैं.''
उन्होंने बताया कि, ''चिड़ियाघर में जैसे ही सारस ने हमको देखा तो उसने तुरंत पहचान लिया. वह उछलने लगा. वह तड़प रहा था, वह बाहर निकलकर हमसे मिलना चाह रहा था. उसको शायद ऐसा लग रहा होगा कि अब आरिफ आ गए हैं, वह 15-20 दिन से कैद है तो शायद आज उसको बाहर निकालकर कहीं ले जाएं. हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं क्योंकि वाइल्ड लाइफ का नियम है, उस प्रोटेकाल को फालो करते हुए जितना समय दिया गया उतना ही हम मिले.''
आरिफ ने कहा कि, ''वहां उसको एक छोटे से पिंजड़े में कैद किया गया है. कोई पिंजड़े में कैद होकर कैसे ठीक हो सकता है.''
उन्होंने कहा कि, ''उसको हमने घर में नहीं रखा था, वह सिर्फ एक दोस्त था और रहता वह जंगल में ही था. उसका जब दिल करता था, भूख लगती थी तो मेरे दरवाजे पर आकर खड़ा हो जाता था. वह खाना खाता था और फिर अपने परिवार में जंगल में चला जाता था. जंगल मेरे घर से एक-डेढ़ किलोमीटर दूर है.''
आरिफ ने कहा कि, ''सारस का क्वारंटीन खत्म हो गया है तो उसे आजाद कर देना चाहिए. मेरी दरख्वास्त है कि उसे आजाद करके किसी पक्षी विहार में शिफ्ट कर दें जहां वह पहले जैसी जिंदगी जी सके. अगर उसका दिल करेगा तो जहां उसे शिफ्ट किया जाएगा वहां से उड़कर अमेठी आ सकता है. उत्तर प्रदेश में ढेर सारे पक्षी विहार हैं, उसे कहीं भी शिफ्ट कर दिया जाए.''
उन्होंने कहा कि, ''सारस चिड़ियाघर में एक पिंजड़े में है. वह उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है. उसे पिंजड़े में कैद करना हमारे हिसाब से सही नहीं है. बाकी जो नियम होगा उसको हम भी फालो करेंगे. जैसे आम तौर पर सारस रहते हैं वह भी वैसे रह सके. जहां ढेर सारे सारस हों उसे उनके बीच ले जाकर रिलीज कर दिया जाए.जहां वह कैद है वह एक पिंजड़ा है जिसमें वह अकेला है.''
अखिलेश यादव और वरुण गांधी के बयानों को लेकर आरिफ ने कहा कि, ''यह राजनीतिकरण नहीं है, वे सब लोग तो उस पक्षी को आजाद करने के सपोर्ट में हैं.''
उन्होंने बताया कि, ''सारस एक साल पहले हमको खेत में मिला था. उसका पैर टूटा हुआ था. उसका हमने इलाज किया और उसके बाद जंगल जाता और जब उसका दिल करता हमसे मिलने आ जाता. उसे 21 तारीख को हमारे खेत से ले जाया गया था, उसके बाद आज पहली बार मिलने का मौका मिला. हमने कहा दुबारा कब आ सकते हैं तो कहा, 15-20 दिन बाद आईए.''
उन्होंने कहा कि, ''जब डॉक्टरों को लगे कि वह ठीक है तो उसे किसी बर्ड सेंचुरी में जाकर रिलीज कर दें.''
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