लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं.इस चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को वैसी सफलता नहीं मिली है, जैसा दावा किया जा रहा था. बीजेपी को सबसे अधिक झटका उत्तर प्रदेश में लगा है.बीजेपी और उसके सहयोगी दल केवल 36 सीटें ही जीत पाए हैं.इस बार बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपने चार सहयोगियों के साथ चुनाव लड़ा.इनमें जयंत चौधरी की आरएलडी, संजय निषाद की निषाद पार्टी, ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा और अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस).
सीट बंटवारे में बीजेपी ने अपना दल (एस) को मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज की सीट, जयंत चौधरी को बागपत और बिजनौर, ओमप्रकाश राजभर को घोसी और निषाद पार्टी को संतकबीरनगर और भदोही सीट दी थी.संतकबीरनगर और भदोही में निषाद पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण निषाद और विनोद बिंद बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में थे.
जयंत चौधरी का स्ट्राइक रेट कितना है?
बीजेपी के सहयोगी दलों में सबसे अच्छा प्रदर्शन जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल ने किया है. आरएलडी को बागपत और बिजनौर सीट मिली थी. उसने दोनों सीटें जीत ली हैं. बागपत के आरएलडी के टिकट पर डॉक्टर राजकुमार सांगवान जीते हैं. उन्होंने सपा के अमरपाल को एक लाख 59 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया. वहीं बिजनौर से चंदन चौहान ने सपा के दीपक को एक कड़े मुकाबले में 37 हजार वोटों से मात दी.
बड़ी मुश्किल से जीतीं अनुप्रिया पटेल?
अपना दल (एस) को जो दो सीटें मिली थीं, वो दोनों सीटें उसने 2019 के चुनाव में जीती थीं. अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर और पकौड़ी लाल कोल राबर्ट्सगंज से सांसद चुनी गई थीं.इस बार अनुप्रिया ने फिर मिर्जापुर से ही दावेदारी की. लेकिन राबर्ट्सगंज में अपना उम्मीदवार बदल दिया था. पकौड़ी लाल कोल के खिलाफ माहौल को देखते हुए पार्टी ने उनका टिकट काटकर उनकी बहू रिंकी सिंह कोल को दे दिया था.अपना दल (एस) 2014 से ही बीजेपी के साथ है.
इन दोनों सीटों पर एक साथ एक जून को मतदान हुआ था. लेकिन जब परिणाम आए तो दोनों सीटों पर अपना दल (एस) के उम्मीदवार संघर्ष करते हुए नजर आए. राबर्ट्सगंज में रिंकी सपा के छोटेलाल खरवार से करीब एक लाख 30 हजार वोटों से हार गईं. वहीं मिर्जापुर में कड़े मुकाबले के बाद अनुप्रिया पटेल केवल 37 हजार वोटों से जीत पाईं.
घोसी से बेटे को नहीं जिता पाए ओमप्रकाश राजभर
इस चुनाव में जिन सीटों पर लोगों की नजर थी, उनमें घोसी लोकसभा सीट भी शामिल थी. दरअसल यहां से सुहेलदेवल भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर चुनाव मैदान में थे. ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. चुनाव परिणाम आए तो यहां से राजभर को बड़ा झटका लगा. अरविंद राजभर को सपा के राजीव राय ने करीब एक लाख 63 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया. राय को पांच लाख तीन हजार 131 वोट मिले. वहीं अरविंद राजभर को तीन लाख 40 हजार 188 वोटों से ही संतोष करना पड़ा. इस सीट पर बीजेपी को यह दोहरा झटका था. क्योंकि पिछले साल हुए विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को हार का सामना करना पड़ा था.
सुभासपा प्रमुख दावा करते रहे हैं कि मऊ के साथ-साथ बलिया, गाजीपुर, आजमगढ़, वाराणसी और देवरिया जिले में अच्छा प्रभाव है, लेकिन इनमें से वाराणसी को छोड़कर कहीं (देवरिया में लोकसभा की दो सीटें हैं, एक पर बीजेपी को जीत मिली है. सलेमपुर में उसे हार का सामना करना पड़ा है.)से भी बीजेपी का उम्मीदवार नहीं जीत सका.
निषाद पार्टी के प्रमुख का बेटा भी हारा
निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं.इस चुनाव में निषाद पार्टी बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में थी.उसके दो नेता बीजेपी से उम्मीदवार थे.भदोही में निषाद पार्टी के विधायक विनोद बिंद और संतकबीरनगर में प्रवीण निषाद चुनाव मैदान में थे.प्रवीण निषाद 2019 में संतकबीरनगर से बीजेपी के सिंबल पर चुनाव जीते थे.इस बार प्रवीण को सपा के लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद ने 92 हजार से अधिक वोटों से मात दी. संतकबीरनगर का चुनाव परिणाम एक तरह से निषाद पार्टी के लिए बड़ा झटका था. क्योंकि प्रवीण निषाद को हराने वाला उम्मीदवार भी निषाद ही है.वहीं भदोही में विनोद कुमार बिंद ने तृणमूल कांग्रेस के ललितेशपति त्रिपाठी को 44 हजार से अधिक मतों से मात दी.
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