दिल्ली में रह रहे तुर्की मूल के शख्स सेरकैन ऊंसल भूकंप प्रभावित देश में हर कुछ मिनट पर अपने रिश्तेदारों एवं दोस्तों को फोन करके पूछते हैं कि ‘हैलो, क्या आप सुरक्षित हैं' और दूसरी ओर से जवाब ‘हां' में सुनने के बाद तुरंत फोन रख देते हैं. यहां एक तुर्क रेस्तरां संचालित कर रहे ऊंसल (45) ने कहा, ‘‘चूंकि बचाव कार्य जारी है, मैं फोन लाइन को व्यस्त नहीं रखना चाहता. वहां बिजली नहीं है और लोग नेटवर्क की समस्या का सामना कर रहे हैं. हम बस यह जानना चाहते हैं कि क्या वे ठीक हैं. मैं उनसे पूछता हूं ‘क्या आप सुरक्षित हैं.' यदि वे ‘हां' में जवाब देते हैं तो मैं फोन रख देता हूं.''
सोमवार को आए 7.8 तीव्रता का भूकंप और इसके बाद आए कई हल्के झटकों के कारण 5,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है तथा तुर्की में और पड़ोसी देश सीरिया में हजारों मकान ढह गए. भूकंप के झटके काहिरा तक महसूस किए गए.
भारत में रह रहे तुर्की मूल के लोग भी यह जान रहे हैं कि उनके देश को इस विनाश से उबरने में कई वर्ष लग जाएंगे.
ऊंसल ने कहा कि तुर्की मूल के कुछ लोगों की जब अपने परिवार के सदस्यों से फोन पर बातचीत नहीं हो पाई, तो वे अपने देश के लिए रवाना हो गए.
ऊंसल 25 साल पहले दिल्ली आ गए थे, जबकि उनके परिवार के ज्यादातर लोग तुर्की में रह रहे हैं. भूकंप की खबर मिलने के तुरंत बाद उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को फोन किया था.
यहां अपने बेटे के साथ रह रहे ऊंसल ने कहा, ‘‘अपने परिवार और ससुराल के लोगों के सुरक्षित होने के बारे में जानकर मुझे राहत मिली. हम ठीक हैं, लेकिन सबकुछ ठीक नहीं है.''
उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां सुरक्षित हैं, लेकिन हजारों मील दूर...हमारे परिवार के सदस्यों के पास सर्द रात बिताने के लिए जगह नहीं है और उनके कई दोस्त अब भी लापता हैं. ''
उन्होंने बताया कि उनके तीन दोस्त तुर्की रवाना हो गए हैं क्योंकि उनका अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क नहीं हो पाया था.
दिल्ली में रह रही तुर्की मूल की फिदान दुमन ने अपने देश से आ रही दुखद खबरों के कारण बहुत भावुक होते हुए कहा, ‘‘हालांकि मेरा परिवार सुरक्षित है लेकिन मेरे दोस्त और अन्य परिचित लोगों का अब भी कुछ पता नहीं चल सका है.''
दुमन एक सिविल इंजीनियर हैं और अपने दो बच्चों तथा पति के साथ यहां रह रही हैं.
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