तुर्की में आए विनासकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या समय बीतने के साथ-साथ बढ़ती ही जा रही है. अभी तक भूकंप की वजह से 5 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी हैं. तुर्की में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है. भारत ने भी तुर्की में राहत औऱ बचाव के लिए अपना एक दल भेजा है. इन सब के बीच तुर्की पुलिस ने सोशल मीडिया पर पैनिक फैलाने के आरोप में चार लोगों को हिरासत में लिया है.
तुर्की पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार हमने चार ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है जो अपने सोशल मीडिया एकाउंट से डर फैलाने की कोशिश कर रहे थे. सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई जानकारी कहां से शेयर की गई इसे लेकर अभी जांच जारी है. तुर्की में भूकंप के बाद सोशल मीडिया की मदद से बड़ी संख्या में लोग पुलिस से मदद मांग रहे हैं.
बता दें कि तुर्की और सीरिया में भूकंप के तेज झटकों ने हजारों इमारतों को तबाह कर दिया. तबाही का मंजर इतना भयावह था कि बचावकर्ताओं ने जीवित बचे लोगों के रेस्क्यू के लिए नंगे हाथों से ही खुदाई करनी पड़ी. दर्जनों देशों ने 7.8-तीव्रता के भूकंप के बाद तुर्की की सहायता का वादा किया. ये भूकंप तब आया जब लोग अभी भी सो रहे थे और ठंड के मौसम ने राहत कार्यों और इमरजेंसी सेवाओं को और मुश्किल बना दिया. तुर्की में लोगों के से भरे कई बहुमंजिला अपार्टमेंट मलबे के ढेर में तब्दील हो गए. साथ ही सीरिया में भी कई इमारतें ढह गई.
अलेप्पो में पुरातात्विक स्थलों को भी नुकसान पहुंचा. दक्षिण-पूर्वी तुर्की शहर कहामनमारस में एक 23 वर्षीय रिपोर्टर मेलिसा सलमान ने कहा, "यह पहली बार था जब हमने ऐसा अनुभव किया," सीरिया के राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के प्रमुख रायद अहमद ने इसे "देश के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ा भूकंप" करार दिया. शुरुआती भूकंप के बाद दर्जनों आफ्टरशॉक्स आए, जिनमें 7.5 तीव्रता का भूकंप भी शामिल है, जिसने सोमवार को खोज और बचाव कार्य में और खलल डाल दिया. दक्षिणपूर्वी तुर्की के शहर सान्लिउफ़ा में, बचावकर्ता रात में काम कर रहे थे और सात मंजिला इमारत के मलबे से जीवित बचे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे थे. तापमान शून्य से नीचे गिरने के बावजूद, शहर में सहमे हुए लोग आग के चारों ओर घूमते हुए सड़कों पर रात बिताने की तैयारी कर रहे थे.
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